Saturday, 12 April 2014

हार मानकर THOMAS ALVA EDISON भी अगर बैठ जाता तो शायद वह बल्ब नही बना पाता ...

 

नमस्कार दोस्तो मैं संजय़ कुमार अकेला  आज आपको इस लेख के माध्यम से आपको बताना चाहता
हूँ की जिंदगी का दूसरा नाम संघर्ष हैं अगर किसी की लाइफ मे संघर्ष नही
है तो उसकी लाइफ की स्टोरी पढ़ने मे कोई भी इंटरेस्ट नही लेगा क्योंकि
इंसान की आदत हैं संघर्षशील जीवनी पढ़ने की चाहे उसने खुद ने अपनी लाइफ
मे किसी को अस्पताल भी नही पहुँचाया हो पर वो भी संघर्षशील जीवनी ही
पढ़ेगा ये तो हो गई इंसान की आदत वाली बात अब मैं आपको इस बात से अवगत
करवाता हूँ कि एक असफल इंसान की स्टोरी पढ़कर अपने आप मे हार मान लेते
हैं पर एक सफल इंसान की स्टोरी पढ़कर कोई अपने आप को सफल क्यों नही मान
लेता ?

दोस्तो रात के समय अंधेरे मे भी आपको रोशनी मिलती हैं और जैसे दिन मे काम
करते हैं ठीक उसी प्रकार आप हर काम आसानी से कर लेते हैं क्या आपने कभी
सोचा हैं कि जिस इंसान ने ये बल्ब बनाया हैं उसका क्या नाम था ? और उसने
कितनी बार असफल होने के बाद इस बल्ब का अविष्कार किया है ???

हो सकता हैं आप मे से किसी को याद हो या किसी को नही हो कोई बात नही सब
धीरे धीरे ही सीखते व जानते हैं कोई भी अपनी माँ के पेट से परिपूर्ण होकर
नही आता हैं मैं आपको थोड़ा सा बता देता हूँ जितना मुझे याद है या सुना
,पढ़ा हैं|

मेरे प्यारे दोस्तो जिसने बल्ब का अविष्कार किया था उसका नाम था Thomas
Alva Edison जिसका जन्म अमेरिका मे February 11, 1847 को हुआ था उस जमाने
मे तो जैसे अभी आप जिन सुख-सुविधाओ का आनंद ले रहे हैं वो भी नही थी फिर
भी उस बंदा विपरीत परिस्थतियों के होते हुए भी पूरी दुनिया के इतिहास के
पन्नो मे अपनी छाप छोड़ गया हैं उसने बल्ब बनाते समय इतनी बार असफलता का
मुहं देखना पड़ा था दोस्तो कि आप सोच भी नही सकते उस महाशय को 9999 बार
असफलता का मुहं देखना पड़ा और 10000 वी बार उनको सफलता मिली और जब उनसे
पूछा गया कि आपको 9999 बार असफलता मिली तो आपने इतनी बार मे क्या सीखा तो
उन्होने एक बहुत ही अच्छी सी लाइन बोली जो इस प्रकार थी ...."मुझे 9999
बार असफलता नही मिली बल्कि मैने 9999 तरीके निकाल लिए हैं जिन तरीकों से
बल्ब नही बन सकता"

दोस्तो अगर 100 बार भी असफल होकर Thomas Alva Edison सोच लेता की अपने से
ये काम नही होने वाला तो क्या वो आज बल्ब के अविष्कारक होते ? नही कोई और
ही होता पर उन्होने कभी अपने आप को कमजोर नही समज़ा इसलिए हम आज भी उनकी
जीवनी पढ़ते है

दोस्तो मैं आज आपसे यहीं कहने वाला था कि 90% लोग एसे ही होते हैं जो जंग
लड़ने से पहले ही मैदान छोड़ देते हैं और उनकी तो हार निश्चित होती ही
हैं पर बाजी कोई और जीत लेता हैं जो हारने वाला था अपने आपको कभी भी कम
नही सजना चाहिए हो सकता हैं आपने जो लक्ष्य बनाया है वो पूरा नही हो पर
कम से कम दूसरी बार आप उस ग़लती की वजह से नही रुकेंगे जिसकी वजह से पहली
बार रुक गये थे |

अंत: मे मैं आपसे ये ही कहना चाहूँगा दोस्तो कि "

" एसी भी क्या जवानी जिसकी कोई नही हो कहानी "

अगर आपने इस जवानी मे ही कुछ नही किया तो शायद आप आगे कुछ नही कर सकते |


जिस व्यक्ति के पास लक्ष्य नही होता |

वह जीवन भर दूसरो के लक्ष्य को पूरा करने में लगा रहता हैं ||

ALL THE BEST................

संजय़ कुमार अकेला

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