Dear friends,
इस ज़िन्दगी में इंसान से जाने-अनजाने गलतियाँ होती रहती हैं. जब हम खुद गलती करते हैं तो लगता है कि काश सामने वाला माफ़ कर दे…पर जब किसी और से गलती होती है तो हम रूठ कर बैठे जाते हैं. और आज knowledge sakar पर हम इसी subject,यानि Forgiveness पे एक बेहेतरीन Hindi Article share कर रहे हैं. इसे पढने के बाद Forgiveness के विषय में मेरी सोच निश्चित रूप से बेहतर हुई है.उम्मीद है इस article को पढने के बाद Forgiveness को लेकर आपके नज़रिए में भी एक बेहतर बदलाव आएगा.
क्षमा करना क्यों है ज़रूरी ?
‘Be a human’ ये phrase आपने अपनी life में कितनी बार सुना होगा और बोला होगा, पर इसके गहरे अर्थ को समझने की कोशिश हम कितनी बार करते हैं. ‘Respect begets respect’ and ‘love begets love’ यानि ‘respect के बदले में respect और love के बदले में love ‘क्या हमेशा ऐसा ही हो ये ज़रूरी है? याद कीजिये अपने जीवन का कोई ऐसा पल जब आपने बिना ये सोचे किसी की मदद की हो कि बदले में मुझे क्या मिलेगा या इसकी मुझे क्या कीमत चुकानी पड़ेगी. ईश्वर ने इंसान को बहुतसारी अच्छाइयों और positive qualities से सजाया है. उन अच्छाइयों में एक अच्छाई है परोपकारी व्यवहार या altruistic behaviour. ये एक unselfish concern है दूसरों की सहायता करने का. हम अपनी life में लोगों की मदद कई बार करते हैं पर सोचने वालीबात ये है कि ये मदद कितनी बार बदले में कुछ न पाने की भावना से प्रेरित होती है. न चाहते हुए भी कहीं न कहीं हमारे मन में एक expectation याउम्मीद जन्म ले लेती है कि हमे भी इस उपकार के बदले में ज़रूर कुछ मिलेगा, कुछ नहीं तोबदले में एक thank you की उम्मीद तो हो ही जाती है.
तो ऐसा कौन सा उपकार है जोइस तरह की उम्मीद या भावना से परे है? ऐसा कौन सा उपकार है जो दूसरों के लिए तो अनमोल है पर मदद देने वाले के लिए बहुत ही आसान और सस्ता. वो उपकार है किसी को किसी की ग़लती के लिए क्षमा करना…forgive करना. किसी को किसी की भूल के लिए क्षमा करना और आत्मग्लानि से मुक्ति दिलाना एक बहुत बड़ा परोपकार है. क्षमा करने की प्रक्रिया मेंक्षमा करने वाला क्षमा पाने वाले से कहीं अधिक सुख पाता है. अगर सोचा जाये तोछोटी से छोटी या बड़ी से बड़ी ग़लती को कभी भी past में जा कर संवारा नहीं जासकता , उसके लिए क्षमा से अधिक कुछ नहीं माँगा जा सकता है. अगर आप किसी की भूल को माफ़ करते हैं तो उस व्यक्ति की सहायता तो करते ही हैं साथ ही साथ स्वयं की सहायता भी करते हैं. क्षमा करने के लिए व्यक्ति को अपनी ego से ऊपर उठ करसोचना पड़ता है जो कि एक कठिन काम है और सिर्फ एक सहनशील व्यक्ति ही इसे कर सकता है. कभी आपने इस बात पर ध्यान दिया है कि अपनी रोज़ की ज़िन्दगी में हम कितनो को क्षमा करते हैं और कितनो से क्षमा पाते हैं. कितना आसान है किसी से एक शब्द sorry कह कर आगे निकल जाना और बदले में अपने आप ही ये सोच लेना कि उस व्यक्ति ने हमे माफ़ भी कर दिया होगा. क्या होता अगर हमारे माता- पिता हमारी भूलों के लिए हमें क्षमा नहीं करते? क्या हो अगर ईश्वर हमें हमारे अपराधों के लिए क्षमा करना छोड़ दे . इसलिए अगर हम किसी को क्षमा नहीं कर सकते तो हम ईश्वर से अपने लिए माफ़ी की उम्मीद कैसे कर सकते हैं. किसी महान व्यक्ति ने कहा है कि किसी को किसी की भूल के लिए माफ़ ना करना बिल्कुल ऐसा ही है जैसे ज़हर खुद पीना औरउम्मीद करना कि उसका असर दूसरे पर हो. सोचिये कि अगर क्षमा नाम का परोपकार इसदुनिया में ना हो तो कोई किसी से कभी प्रेम ही नहीं कर पायेगा…love is nothing without forgiveness and forgiveness is nothing without love.
कोई भी परोपकार करने के लिए जो सबसे पहली और आवश्यक चीज़ आपके पास होनी चाहिए वो है आपकी ख़ुशी. हर इन्सान को किसी भी काम को करने से पहले अपनी ख़ुशी पहले देखनी चाहिए. सुनने में थोड़ा अजीब लगता है न कि अपनी ख़ुशी पहले कैसे रखें जबकि हमेशा से ये ही सीखते आये हैं कि अपनी ख़ुशी का sacrifice करके भी दूसरों कीख़ुशी पहले देखनी चाहिए. सवाल ये भी उठता है कि अगर अपनी ख़ुशी पहले देखेंगे तो परोपकार कैसे करेंगे? दोनों एक दूसरे के बिल्कुल opposite हैं. तो उत्तर ये है कि अगर आप किसी की मदद बाहरी प्रेरणा या extrinsic motivation की वजह से कर रहे हैं तो वो परोपकार है ही नहीं, परोपकार तो वो होता है जिसका स्रोत आंतरिक प्रेरणा या intrinsic motivation होता है. शायद आप ये नहीं जानते कि आप दूसरों को ख़ुशी तबही दे पाएंगे जब आप स्वयं खुश होंगे. Sacrifice करना एक अच्छी बात है लेकिन वहीँ जहाँ sacrifice करने से आपको ख़ुशी मिल रही हो. अगर कोई अपनी ख़ुशी को बार- बारमार कर sacrifice करता है तो एक दिन वो frustration का रूप ले लेता है जिसके negative effects भी हो सकते हैं. ये human nature है कि अगर हम अपने जीवन से परेशान या दुखी हैं तो दूसरों के खुशहाल जीवन को देख कर हम सच्चे मन से उसे कभी appreciate नहीं कर सकते. एक हारा हुआ इंसान कभी भी किसी जीतने वाले इंसानको सच्चे मन से बधाई नहीं दे पाता इसके पीछे उसकी कोई दुर्भावना नहीं होती बल्किअपनी ही आत्मग्लानि होती है. इसलिए किसी का भी कल्याण करने की पहली सीढ़ी हैअपने मन की ख़ुशी और संतुष्टि और क्षमा करनेकी प्रक्रिया में भी यही नियम लागू होता है. एक प्रसन्न रहने वाला व्यक्ति दूसरों को अधिक देर तक अप्रसन्न नहीं देख सकता. ऐसा कहा जाता है कि जिसके पास जो होता है वही वो दूसरों को देता है. जो वस्तु आप के पास उपलब्ध ही नहीं वो आप किसी को कैसे दे सकते है? आम के पेड़ से हमेशा आम ही प्राप्त करने की उम्मीद की जा सकती है किसी और फल की नहीं. ये याद रखिये कि अगर आप अन्दर से positive हैं और खुशहैं तो अपने आस- पास भी positivity ही फैलायेंगे. “idiots neither forgive nor forget, naive forgets but not forgive but a kind person forgives but never forgets.” ” मूर्ख व्यक्ति ना क्षमा करते हैं न भूलते हैं , अनुभवहीन व्यक्ति भूल जाते हैं ,पर क्षमा नहीं करते , लेकिन एक दयालु व्यक्ति क्षमा कर देता है पर भूलता नहीं.”
इसलिए अगर अपनी रोज़ की ज़िन्दगी में आप लोगों को क्षमा करते हैं तो ये आप का अनजाने में उनपर किया गया सबसे बड़ा उपकार होता है जिसकी आपको कुछ भी कीमत नहीं चुकानी पड़ती .
कहा भी गया है -
‘to err is human and to forgive is divine’
माफ़ करना अँधेरे कमरे में रौशनी करने जैसा होता है, जिसकी रौशनी में माफ़ी मांगने वाला और माफ़ करने वाला दोनों एक दूसरे को और करीब से जान पाते हैं. माफ़ करके आप किसी को एक मौका देते हैं अपनी अच्छाइयों को साबित करने का. सोचिये कि अगर द्रौपदी ने अपने अपमान के लिए दुर्र्योधन को क्षमा कर दिया होता तो शायद महाभारत के उस युद्ध में इतना नरसंहार न हुआ होता. क्यों कहा जाता है कि मरने वाले को हमेशा क्षमा कर देना चाहिए ? क्या सचमुच इसलिए कि उस इंसान को फिर कभी माफ़ी मांगने का मौका नहीं मिलेगा या इसलिए कि आपको फिर उसे कभी माफ़ करने का मौका न मिले?
तो अगर हम किसी ज़िन्दगी की सूखी ज़मीन पर माफ़ी की दो- चार बूंदों की बारिश कर पायें तो हो सकता है कि उस सूखी ज़मीन पर आशाओं, और मुस्कुराहटों के फूल खिल उठें.
तो ज़िन्दगी में रुठिये, मनाइए, शिकवे और मोहब्बत भी कीजिये पर सुनिए!!!!!!! ‘ज़रा सा माफ़ भी कीजिये’ !!!
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निवेदन :कृपया अपने comments के through बताएं की ये Forgiveness पे ये Hindi Article आपको कैसी लगा .
यदि आपके पास English या Hindi में कोई good news; inspirational story या जानकारी है जो आप हमारे साथ share करना चाहते हैं तो कृपया उसे अपनी फोटो के साथ E-mail करें. हमारी Id है:knowledgesakar@gmail.com.पसंद आने पर हम उसे आपके नाम और फोटो के साथ यहाँ PUBLISH करेंगे. Thanks!
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अधूरापन ज़रूरी है जीने के लिए …………
अनमोल वचन ( ज़िंदगी में आप जितना कम बोलते हैं, आपकी उतनी ज्यादा सुनी जाएगी। )
इस ज़िन्दगी में इंसान से जाने-अनजाने गलतियाँ होती रहती हैं. जब हम खुद गलती करते हैं तो लगता है कि काश सामने वाला माफ़ कर दे…पर जब किसी और से गलती होती है तो हम रूठ कर बैठे जाते हैं. और आज knowledge sakar पर हम इसी subject,यानि Forgiveness पे एक बेहेतरीन Hindi Article share कर रहे हैं. इसे पढने के बाद Forgiveness के विषय में मेरी सोच निश्चित रूप से बेहतर हुई है.उम्मीद है इस article को पढने के बाद Forgiveness को लेकर आपके नज़रिए में भी एक बेहतर बदलाव आएगा.
क्षमा करना क्यों है ज़रूरी ?
क्षमा करना क्यों है ज़रूरी ? |
तो ऐसा कौन सा उपकार है जोइस तरह की उम्मीद या भावना से परे है? ऐसा कौन सा उपकार है जो दूसरों के लिए तो अनमोल है पर मदद देने वाले के लिए बहुत ही आसान और सस्ता. वो उपकार है किसी को किसी की ग़लती के लिए क्षमा करना…forgive करना. किसी को किसी की भूल के लिए क्षमा करना और आत्मग्लानि से मुक्ति दिलाना एक बहुत बड़ा परोपकार है. क्षमा करने की प्रक्रिया मेंक्षमा करने वाला क्षमा पाने वाले से कहीं अधिक सुख पाता है. अगर सोचा जाये तोछोटी से छोटी या बड़ी से बड़ी ग़लती को कभी भी past में जा कर संवारा नहीं जासकता , उसके लिए क्षमा से अधिक कुछ नहीं माँगा जा सकता है. अगर आप किसी की भूल को माफ़ करते हैं तो उस व्यक्ति की सहायता तो करते ही हैं साथ ही साथ स्वयं की सहायता भी करते हैं. क्षमा करने के लिए व्यक्ति को अपनी ego से ऊपर उठ करसोचना पड़ता है जो कि एक कठिन काम है और सिर्फ एक सहनशील व्यक्ति ही इसे कर सकता है. कभी आपने इस बात पर ध्यान दिया है कि अपनी रोज़ की ज़िन्दगी में हम कितनो को क्षमा करते हैं और कितनो से क्षमा पाते हैं. कितना आसान है किसी से एक शब्द sorry कह कर आगे निकल जाना और बदले में अपने आप ही ये सोच लेना कि उस व्यक्ति ने हमे माफ़ भी कर दिया होगा. क्या होता अगर हमारे माता- पिता हमारी भूलों के लिए हमें क्षमा नहीं करते? क्या हो अगर ईश्वर हमें हमारे अपराधों के लिए क्षमा करना छोड़ दे . इसलिए अगर हम किसी को क्षमा नहीं कर सकते तो हम ईश्वर से अपने लिए माफ़ी की उम्मीद कैसे कर सकते हैं. किसी महान व्यक्ति ने कहा है कि किसी को किसी की भूल के लिए माफ़ ना करना बिल्कुल ऐसा ही है जैसे ज़हर खुद पीना औरउम्मीद करना कि उसका असर दूसरे पर हो. सोचिये कि अगर क्षमा नाम का परोपकार इसदुनिया में ना हो तो कोई किसी से कभी प्रेम ही नहीं कर पायेगा…love is nothing without forgiveness and forgiveness is nothing without love.
कोई भी परोपकार करने के लिए जो सबसे पहली और आवश्यक चीज़ आपके पास होनी चाहिए वो है आपकी ख़ुशी. हर इन्सान को किसी भी काम को करने से पहले अपनी ख़ुशी पहले देखनी चाहिए. सुनने में थोड़ा अजीब लगता है न कि अपनी ख़ुशी पहले कैसे रखें जबकि हमेशा से ये ही सीखते आये हैं कि अपनी ख़ुशी का sacrifice करके भी दूसरों कीख़ुशी पहले देखनी चाहिए. सवाल ये भी उठता है कि अगर अपनी ख़ुशी पहले देखेंगे तो परोपकार कैसे करेंगे? दोनों एक दूसरे के बिल्कुल opposite हैं. तो उत्तर ये है कि अगर आप किसी की मदद बाहरी प्रेरणा या extrinsic motivation की वजह से कर रहे हैं तो वो परोपकार है ही नहीं, परोपकार तो वो होता है जिसका स्रोत आंतरिक प्रेरणा या intrinsic motivation होता है. शायद आप ये नहीं जानते कि आप दूसरों को ख़ुशी तबही दे पाएंगे जब आप स्वयं खुश होंगे. Sacrifice करना एक अच्छी बात है लेकिन वहीँ जहाँ sacrifice करने से आपको ख़ुशी मिल रही हो. अगर कोई अपनी ख़ुशी को बार- बारमार कर sacrifice करता है तो एक दिन वो frustration का रूप ले लेता है जिसके negative effects भी हो सकते हैं. ये human nature है कि अगर हम अपने जीवन से परेशान या दुखी हैं तो दूसरों के खुशहाल जीवन को देख कर हम सच्चे मन से उसे कभी appreciate नहीं कर सकते. एक हारा हुआ इंसान कभी भी किसी जीतने वाले इंसानको सच्चे मन से बधाई नहीं दे पाता इसके पीछे उसकी कोई दुर्भावना नहीं होती बल्किअपनी ही आत्मग्लानि होती है. इसलिए किसी का भी कल्याण करने की पहली सीढ़ी हैअपने मन की ख़ुशी और संतुष्टि और क्षमा करनेकी प्रक्रिया में भी यही नियम लागू होता है. एक प्रसन्न रहने वाला व्यक्ति दूसरों को अधिक देर तक अप्रसन्न नहीं देख सकता. ऐसा कहा जाता है कि जिसके पास जो होता है वही वो दूसरों को देता है. जो वस्तु आप के पास उपलब्ध ही नहीं वो आप किसी को कैसे दे सकते है? आम के पेड़ से हमेशा आम ही प्राप्त करने की उम्मीद की जा सकती है किसी और फल की नहीं. ये याद रखिये कि अगर आप अन्दर से positive हैं और खुशहैं तो अपने आस- पास भी positivity ही फैलायेंगे. “idiots neither forgive nor forget, naive forgets but not forgive but a kind person forgives but never forgets.” ” मूर्ख व्यक्ति ना क्षमा करते हैं न भूलते हैं , अनुभवहीन व्यक्ति भूल जाते हैं ,पर क्षमा नहीं करते , लेकिन एक दयालु व्यक्ति क्षमा कर देता है पर भूलता नहीं.”
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तो अगर हम किसी ज़िन्दगी की सूखी ज़मीन पर माफ़ी की दो- चार बूंदों की बारिश कर पायें तो हो सकता है कि उस सूखी ज़मीन पर आशाओं, और मुस्कुराहटों के फूल खिल उठें.
तो ज़िन्दगी में रुठिये, मनाइए, शिकवे और मोहब्बत भी कीजिये पर सुनिए!!!!!!! ‘ज़रा सा माफ़ भी कीजिये’ !!!
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