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Monday, 10 February 2020

Old Monk and PPT Presentation

ये लेख एक सच्ची घटना पर आधारित है , लेकिन वैधानिक चेतावनी जारी करते हुए आपको सूचित करुगा की इसे अपने कॉलेज ,संस्थान जैसी जगहों पर ना दोहराये क्योकि इसके नतीजों के दुष्परिणाम हो सकते है
बात उन दिनों की है जब उत्तर प्रदेश के एक छोटे से कसबे का लड़का दिल्ली जैसे बड़े शहर में MBA करने जाता है , यु तो वो भी इंग्लिश मीडियम का छात्र था लेकिन बड़े शहरों के लड़की लड़को में जो कॉन्फिडेंस, स्मार्टनेस और प्रेजेंटेशन स्किल्स होती थी उससे वो उन सब से बहुत पीछे था। MBA में ६० परसेंट कोर्स प्रैक्टिकल और प्रेसेंटेशन्स पर आधारित होता है , लेकिन अब तो ओखली पर सर आ ही चूका था तो मूसल से डर तो निकालना ही था , हाथ पैर कापते थे प्रेजेंटेशन देने में , पोडियम का इस्तेमाल सिर्फ इसलिए होता था ताकि कोई कापते हुए पैर न देख ले और हां प्रेक्टिकल वाले दिन भुखार का वो झूठा बहाना भी काफी मददगार होता था।
प्लेसमेंट्स शुरू होने में बस ३ महीने बचे थे , और इंटरनेशनल प्लेसमेंट्स में अप्लाई करने से पहले हर स्टूडेंट को एक ३० मिनट की प्रेजेंटेशन देनी थी , उसमे फ़ेल होने पर मल्टीनेशनल कंपनी में काम करने का सपना सिर्फ सपना हो जाना था इसलिए हर कोई जीजान से तैयारी में लगा हुआ था।
विदेश में काम करने का सपना मैंने भी देखा था लेकिन प्रेसेनशन की उस प्रेत बाधा से निकलना बार बार मुस्किल हो रहा था। बार बार शीशे के आगे अटक अटक कर एक कोशिश मै भी कर रहा था और आखरी दिन तक अटकता रहा
समय आ गया था , सुबह के ८ बज रहे थे और सजा का समय दोपहर को २ बजे मुकवर हुआ था , एक कैदी से उसकी आखरी इच्छा पूछी जाती है , और अपनी इच्छा पूरी करने वो सीधे पास के ठेके पर ओल्ड मोंक का सहारा लेने पंहुचा , खाली पेट , दिल्ली की गर्मी में ओल्ड मोंक का एक एक पेग तेज़ाब की तरह अंदर जा रहा था , हर एक पेग में टूटते सपने थे , और आँख से सीधे गिलास में गिरते नमकीन आंसू पेग का वजन दोगुना कर रहे थे। लाल लाल आखे ले कर जब कॉलेज पंहुचा तो सब कुछ धुंधला लग रहा था ( सपने भी ) लेकिन डर कही दूर ठेके पर छूट गया। आगे का ज्यादा याद नहीं लेकिन तालियों की गड़गड़ाहट से नशा कुछ कमज़ोर ज़रूर हुआ था और 95 नंबर आये थे उस प्रेजेंटेशन में उसके , सुना था साक्षात " ओल्ड मोंक" ने वो प्रेजेंटेशन दी थी जिसके आशीर्वाद से विदेश भी गया और इंटरनेशनल प्लेसमेंट भी हुई
ये वाक्या युही पिछले हफ्ते याद आया जब पता चला नीतीश कुमार जी ne मदिरा पर पाबंदी लगा दी है , अच्छा कदम है नशा मुक्ति के लिए और इसका स्वागत भी होना चाहिए CM साहब ये भूल गए इसका असर सीधे तौर पर उनकी राज्य की एंग्रेज़ी भाषा पर पड़ेगा , नागिन डांस वाली वो अनूठी कला भी विलुप्ति की कगार पर आ सकती है , " परेशान मत हो तू मेरा छोटा भाई है " जैसे वाक्य सिर्फ किताबी बातें रह जायेगी। हर चीज़ के अपने नफे नुक्सान होते है , बचपन में पढ़ा था ज्यादा दूध पीने से भी दांत की कई बीमारी हो जाती है और एक पेग रोज़ लेने से दिल की बिमारी से बचा जा सकता है
अपनी अपनी ज़िन्दगी है सबको अपने अच्छे बुरे की पहचान है ये तो आप पर निर्भर करता है की " how you make it large "

Friday, 22 February 2019

कहानी पूरी फिल्मी है !


ये कहानी पिंटू तिवारी की है। इसे कहानी कहना धोखा है क्यूंकि ये UPTU की एक क्लास में 60 बच्चों में से 50 की कहानी है लेकिन जो इसे यादगार बनाता है वो इस कहानी का अंत नहीं है, happy ending नहीं हुई है लेकिन सफर, वो journey, जो मिर्ज़ापुर के पिंटू ने तय की है वो शायद कहानियों में ही मिलती है।
बात उस समय की है जब UPTU की काउंसलिंग सिर्फ लखनऊ में होती थी। पिंटू तिवारी UPTU AIR ५०,००० काउंसलिंग attend करने लखनऊ आये थे। मिर्ज़ापुर तो डिस्ट्रिक्ट था,रहते तो चुनार में थे। पहली बार लखनऊ आये तो ऐसा लगा की साला ये तो बड़े शहर में आ गए। किसी दूर के रिश्तेदार के यहाँ रुके थे और अगले सुबह Polytechnic पहुंचे इस उम्मीद में की HBTI कानपूर या KNIT सुल्तानपुर मिल गया तो सीधी ट्रैन है, आराम से चले जाएंगे। लेकिन कैसा है न की जो भी काउंसलिंग में आता था उस समय, वो यही दो कॉलेज के नाम जानता था और पता नहीं क्यों कंप्यूटर की स्क्रीन में ये option 'Not Available' दीखते थे। खैर फिर सोचा की घर से दूर कोई कॉलेज ले लेते हैं, कम से कम aiyyashhi ही कर लेंगे और पहुँच गए पश्चिमी उत्तर प्रदेश के एक 'पढ़ाई के अलावा बाकी सब चीज़ों में नामी ' कॉलेज में। ये उन दिनों की बात है जब हर कोई या तो इलेक्ट्रॉनिक्स ब्रांच लेता था और या Biotech क्यूंकि बूम तो भैया वहीँ आने वाला था।
कॉलेज में काबिल टीचर्स की भरमार, नया नया ऑरकुट का प्यार और उसपे इंग्लिश भाषा में ऐसी पकड़ की 'Tell me about Yourself ' में ही सारी अंग्रेजी समाप्त हो जाती थी तो लाज़मी था की जैसे तैसे इंजीनियरिंग पूरी हुई। ऐसा नहीं होता है की छोटे शहर के हिंदी मध्यम वालों को answer नहीं पता होता है, लेकिन समाज में अंग्रेजी को इतनी ज्यादा अहमियत प्राप्त है की हिंदी बोलना एक कमज़ोरी एवं शर्म का प्रतिक समझा जाता है। वो टीचर्स जिनके लिए मार्क्स लाना ही काबिलियत का परिचायक है, उनके लिए पिंटू तिवारी विफलता की केस study था। अगर पिंटू कोई Stock होता तो वो सारे टीचर उसके भविष्य पे SELL कॉल देके रखते। ऐसा नहीं था की वो गलत होते एकदम - पढ़ाई में एवरेज, इलेक्ट्रॉनिक्स जैसी ब्रांच जिसमे कोर जॉब्स मिलना ऐसा है जैसे मंगल में soulmate और अंग्रेजी में हाथ तंग तो कोई भी ऐसा ही सोचता लेकिन क्या है न कि आप कहाँ पहुंचोगे ये सिर्फ आप तय करते हो और आपकी 'risk appetite' और जिनके पास खोने के लिए ज्यादा कुछ नहीं होता उनके पास पाने के लिए पूरा आसमान होता है। इससे आगे की कहानी मै आपको नहीं बताऊंगा की कैसे वो यहाँ पहुंचा क्यूंकि हर किसी का सफर अलग है लेकिन ज़रूरी ये है की ऐसे बहुत से लोग जो पिंटू से पढ़ाई में बहुत अच्छे थे, फर्राटेदार अंग्रेजी भी बोलते थे और Apti भी अच्छी थी सुना है उसी कॉलेज में प्रोफेसर हैं और वो प्रोफेसर जो पिंटू को कोसते रहते थे आज फेसबुक में उसके check -ins देख के रोटी पानी के साथ लीलते हैं। ये कहानी पूरी नहीं लिख रहा हू क्यूंकि इसके आगे की आपको अपनी खुद लिखनी है। उम्मीद है अच्छी लिखेंगे ........

Well Played Gautam Gambhir

हमारी क्लास में कुछ लड़के होते हैं जो topper नहीं होते लेकिन उनके मार्क्स हमेशा अच्छे आते है, उनको कॉलेज के बहुत से लोग न जानते हो लेकिन जो जानते हैं, वो मानते है। वही बंदा गौतम गंभीर होता है. जिसने भी कभी क्रिकेट खेला है, वो जानता है की उस दिन धोनी से अच्छी पारी गौती ने खेली थी लेकिन 91 नाबाद अमर हो गया और 97 पे आउट होना कालचक्र में कहीं लुप्त हो गया। लोग भूल गए जब महज २५ रन पे दो विकेट निपट गए थे, कैसे तुमने सिंगल लेले कर मैच बनाया था, दूसरे छोर पे खड़े हुए जब सचिन को वापिस जाते देखा होगा और वो स्टेडियम में पसरा सन्नाटा महसूस किया होगा, कितना कठिन पल रहा होगा। लोग भूल गए जब तुमने दिलशान, मुरली, मलिंगा की एक एक गेंद को 'on -merit' खेला था। लोग भूल गए जब एक एक सिंगल के लिए तुमने उस दिन लम्बी लम्बी dive मारी थी। तुम्हारे भी ज़ेहन में एक बार तो 2003 फाइनल आया होगा, लेकिन उस दिन इतने बड़े मंच पे इतनी बड़ी ज़िम्मेदार पारी खेलने के लिए धन्यवाद। हम सबको वो स्मृति देने के लिए हम सब भारत वासी तहे दिल से शुक्रगुज़ार हैं।
2007 विश्वकप फाइनल की वो 75 रन की पारी हो या newzealand में वो ऐतिहासिक टेस्ट मैच बचाती पारी, शायद क्रिकेट journalist तुम्हे भुला देंगे,लेकिन क्रिकेट के जानकारों के ज़ेहन में तुम हमेशा रहोगे।
तुम्हारी वो प्रेस कांफ्रेंस जिसमे तुमने कहा था की माही ने बैटिंग slow की, मैं होता तो मैच फॅसने ही न देता। आज भी तुम्हे कमेंटरी करते देखता हु तो BCCI के चाटुकारों ( संजू मंजू या आकाश चोपड़ा) के बीच तुम्हारी बेबाक राय सुन के मज़ा आता है। तुम्हारी वो ज़िद्द, सैनिको का सम्मान और देश के प्रति वो जज़्बा वाकई काबिल-ए-तारीफ है। 

December ka mahina

"भीगा -2 सा ये दिसंबर है , ये दिसंबर का सर्द मौसम है" राहुल की आज भी हेलो tune यही रहती थी हर साल दिसंबर के महीने में। कुछ रिश्ता ही ऐसा था जो सर्दी,गाने और तन्हाई आज भी ऐसा x ,y ,z axis वाला 3-D coordinate system बनाते थे जिसका resultant vector 'प्रिया' ही बन जाता था।
ये कुल्फी की तरह ज़माने वाली सर्दी तो राहुल काट भी लेता पर कम्भख्त प्रिया की वो यादें जो ज़ेहन में जम जाती थी उनका क्या करता , वो तो बस हर साल किसी DVD की तरह सिर्फ rewind -play ही होती थी। कहते हैं कंप्यूटर की memory से data delete कभी नहीं होता ,सिर्फ memory location के coordinates delete होते हैं , अगर कंप्यूटर की memory इतनी वफादार थी तो राहुल का तो फिर वो सच्चा प्यार थी।
वो प्यार जो इंजीनियरिंग में तबसे हिलोरे ले रहा था जब इंजीनियरिंग में हम रोज़ नहाते थे या शायद तबसे जब हम रोज़ कॉलेज जाते थे मतलब शायद Freshers पार्टी से भी पहले से। कोहरे में जब visibility कम हो जाती है तो हॉस्टल से आने वाली लड़कियों में "अपनी वाली' पहचानना किसी specialization से कम नहीं होता,वैसे में scarf ,मफलर ,दुपट्टा या बंदी के silhouette से पहचानना 'विज्ञानं' नहीं 'कला' थी। ये कला किसी बाजार में नहीं बिकती ,इसे develop करना पड़ता है। खैर जैसे तैसे करके 'प्रिया का पिया' बनने का जो सपना देखा था , उसको पूरा करने के लिए हॉस्टल से कैंटीन तक ,कैंटीन से लैब तक और लैब से पार्किंग तक उसको ताड़ने की 'opportunity' create करना उसे चाहे 'इत्तेफ़ाक़' लगता रहा हो पर था वो 'हुनर' ।चार साल ये हुनर ऐसे develop किया था की प्लेसमेंट में CV का career objective इसी को लिख सकते थे और area ऑफ़ स्पेशलाइजेशन 'प्रिया' को। प्रिया से राहुल के bond बनने की chance उतनी ही थी जितनी किसी inert गैस के ionic bond बनाने की यानि tend towards zero ।
इंजीनियरिंग कॉलेज में किसी लड़की को Like करने का सबसे बड़ा नुकसान ये है की वो लड़की avoid करना चालू कर देती है और बाकी अपनी private क्लास से निकाल कर Void main में डाल देती हैं और लड़के वाकई में public objects बनकर रह जाते है जिन्हे कोई भी function कहीं से भी call करता है और कभी भी jump (), goto () या break कर देता है। वो original बंदी friend function के अंदर recursive loop लगा के बन्दे का clrscr () कर देती है।
राहुल बेचारा मोदी जी की बातों में आ गया था और सोचने लगा था की प्रिया उसके 'अच्छे दिन ' ला देगी लेकिन प्रिया ने उसकी ज़िंदगी में ऐसा रायता फैलाया की केजरीवाल की तरह राहुल की year बैक आ गयी। राहुल की हालत अब कांग्रेस के राहुल गांधी की तरह थी क्यूंकि अब वो उसका जूनियर हो गया था और प्रिया मोदी की तरह 'मिशन 9.2 CGPA' के सपने को साकार करके GMAT देकर अमेरिका का वीसा लगवाना चाह रही थी।पता नहीं क्यों 'प्यार का पंचनामा ' वाला Liquid का charecter राहुल की याद दिलाता था। पता नही शायद मैं ही pessimistic था और क्या पता राहुल PK मूवी का 'सरफ़राज़' था।
कहानी आगे लिखने का मन तो है लेकिन शायद ये कहानी आपको आपके किसी ख़ास दोस्त की कहानी जैसी लग रही हो और इसलिए मैं इसे आगे ले जाकर एक सुखद या दुखद अंत नही देना चाहता क्यूंकि हर कहानी सुनी नहीं जाती ,कुछ कहानिया जी जाती हैं , शायद आप खुद 'राहुल' हो या किसी राहुल के दोस्त हो क्यूंकि राहुल Proper Noun नहीं है ,ये तो Common Noun है।
क्या आप किसी ऐसे राहुल को जानते हैं या आपके क्लास में ऐसी कोई प्रिया पढ़ती है ?
ऐसा तो नहीं की वो 'राहुल' आईने में हो … सुना है आजकल राहुल की हेलो tune "किताबें बहुत सी पढ़ी होंगी तुमने,मगर कोई चेहरा भी तुमने पढ़ा है" है
Note: जल्द आ रहा है UPTU के students का one -stop -career -destination- Youtube-Channel, See Ya Soon !!!

नया साल तो बस हॉस्टल में होता था


वो भी क्या दिन थे जब 31 दिसम्बर की रात को कोई प्लान नहीं होता था क्यूंकि न जेब में पैसे होते थे और न शहर के डिस्क में stag एंट्री। होती थी तो बस कड़ाके की सर्दी , चार दोस्त, एक old monk और खूब सारे गानों पे बहुत सारा नाच । बस नाच , अच्छा या बुरा, न मायने रखता था न किसी को कोई फ़र्क़ पड़ता था दो पेग के बाद। फिर क्या हिंदी , अंग्रेजी और भोजपुरी गाने, सब माइकल जैक्सन नागिन डांस ही नाचते थे। बाहर खाने जाते थे तो किसी ढाबे पे जहाँ कढ़ाई चिकन और लच्छा परांठा मिलता हो । ये वो दिन थे जब चार बोतल वोडका, काम मेरा रोज का गाना नहीं motto था। रात भर दहला पकड़ होता था और बीच में सिगरेट से छल्ला बनाने का हुनर विकसित किया जाता था। आज कल के लौंडों की तरह टेबल बुक कराने जैसा मामला न था, न Zomato Gold जैसी कोई चीज़ थी लेकिन फिर भी सबसे अच्छी न्यू ईयर पार्टी तो कंगाली के दिनों में ही थी। आज मिल तो सब जाता है लेकिन रात के दो बजे तकिया के नीचे से निकाल के सुट्टा न मिलने पे दिसंबर की ठण्ड में बस स्टैंड तक बड़ी gold-flake लेने चलने वाला दोस्त नहीं मिलता। पूरा सिगरेट का डब्बा पर्स में है लेकिन पता नहीं उस चोरी की सिगरेट को पांच लोगों share करने पर मिलने वाली एक कश कैसे भारी पड़ती है।
ये वो दिन थे जब हफ़्तों बीत जाते थे बिना नहाये और deodorant भी उधार का होता था, नया साल तो बस हॉस्टल में होता था !
फ़ोन उठाओ और किसी दोस्त को बोलो Happy New Year, एडमिन भी दोस्त ही है वैसे !

Follow your Passion wali job

क्या वाकई में UPTU से इंजीनियरिंग करके Follow your Passion वाली नौकरी मिल सकती है।
"मैं कंप्यूटर साइंस का छात्र हू लेकिन मुझे coding में कोई interest नहीं है, क्या मै कुछ और कर सकता हू जैसे journalism या फोटोग्राफी। "
"UPTU में नौकरी तो लगती नहीं है, उसपे तुम्हे मनचाही नौकरी चाहिए, औकात में सोचो"
"GATE या CAT ही रास्ता है, और कोई चारा नहीं है, Core ब्रांच में तो कोई स्कोप ही नहीं है और Bank PO वाली अपनी Apti नहीं है"
"Final ईयर में आ गए और पता ही नहीं है की अपना passion किधर है"
लम्बी सांस लो, तीन बार, एक गिलास पानी पियो, खिड़की से बाहर देखो, हवा को महसूस करो और भरोसा रखो, भगवान से ज्यादा खुद पे क्यूंकि तुम पहले नहीं हो ये महसूस करने वाले और न आखिरी होगे, पीछे पलट के देखो, कितना रस्ता चल आये हो, कहाँ थे और यहाँ तक कैसे आये, सोच के देखो, सब कुछ unplanned ही था ना, फिर planning किस बात की कर रहे हो। जब कोई प्लान कभी नहीं चला तो आगे भी mostly नहीं चलेगा। प्लानिंग destination की करनी ही नहीं है, planning करनी है journey की, मंजिल जो भी हो, journey में struggle पक्का है, planning struggle की करनी है, प्लानिंग उन skill sets की करनी है जो journey में तुम्हे टूटने से बचाएंगे, यकीन मानो इंजीनियरिंग का पढ़ा कुछ काम नहीं आना है लेकिन इंजीनियरिंग में सीखी प्रेशर handling capability , team work , leadership, तुम्हारी नयी चीज़ जल्दी सीखने की quality , mail लिखना, Excel में चार्ट बनाने की छमता, अंग्रेजी भाषा में command, इंजीनियर की तरह problem solving attitude,चमचागिरी और गलत चीज़ें देखकर ethical होने की छमता ये सब काम आएगा।
जब इंजीनियरिंग में होंगे तो सोचोगे की बस कहीं नौकरी लग जाए, बाद में समझोगे की मनचाही नौकरी कितनी ज़रूरी है। नौकरी और मनचाही नौकरी में शायद तीन चार साल निकल गए होंगे, शायद तब भी नहीं समझा होगा की तुम किस चीज़ में वाकई passionate हो लेकिन ये समझ गए होंगे की किस्मे एकदम ही नहीं हो। ये पहला कदम होगा सही दिशा में। धक्के बहुत मिलेंगे, NIT और IIT वालों के सामने बेइज़्ज़ती भी होगी जब उन्हें precedence दी जाएगी, फिर आदत पड़ जाएगी और पता नहीं चलेगा की कब फ़र्क़ पड़ना बंद हो जाएगा। फिर एक दिन NIT और IIT वाले तुम्हे रिपोर्ट करेंगे और फिर भी तुम्हे फ़र्क़ नहीं पड़ेगा क्यूंकि एक लेवल के बाद emotion भी emotionless हो जाते हैं। ये वो समय होगा जब पैकेज के लिए काम नहीं करोगे, कुछ और मिलना चाहिए, ऐसी सोच होगी, भले दो पैसे कम मिले। मन करेगा सब कुछ छोड़ के अपने गाँव में गरीब बच्चों को पढ़ाऊँ, अपनी ज़रूरतें तो ज्यादा कभी थी ही नहीं, रह लेंगे लेकिन वो होम लोन और कार लोन वापिस जाने नहीं देंगे ।
ऑफिस में अपनी डेस्क से बाहर देखते हुए उस कबूतर को देखोगे जो हमेशा तुम्हारी खिड़की में ही बैठता है और सुट्टा मारते हुए सोचोगे की इसके पास पंख है, ये उड़ के कहीं भी जा सकता है लेकिन जाता क्यों नहीं और फिर सिगरेट बुझाते हुए मुस्कुराते हुए सोचोगे की ये बात तो तुमपे भी लागू होती है और वापिस सीट पे आके अपना कोड लिखने बैठोगे, लग जाओगे appraisal, deadline, onsite, जॉब switch की इस rat race में, एक दिन अपने कॉलेज के alumni group से मेल आएगा की कॉलेज में बुलाया है, Guest Lecture में बच्चों को मोटीवेट करने और वहां जा के तुम भी उन्हें 'Follow your Passion ' बोल के आओगे और उस दिन खूब हंसोगे और इतना हँसोगे की रोने लगोगे अपने इंजीनियरिंग के दोस्त से बात करते करते।
रणबीर कपूर की फिल्मे देखते हुए सोचोगे की follow your पैशन शायद एक myth है लेकिन तुम्हारे क्लास का एक लड़का जो पढ़ने में ठीक ठाक था आज एक बड़े ऑनलाइन न्यूज़ वेबसाइट में क्रिकेट और फिल्म review करता है उसको देख के एक बार को ख्याल आएगा की शायद वो सब myth नहीं था बस एक कदम उठाना था जिसकी शायद हिम्मत नहीं जुटा पाया मै।
तब समझोगे की UPTU का उस Passion वालीं नौकरी से तो कोई लेना देना कभी था ही नहीं , उसका लेना देना सिर्फ तुमसे है।

Saturday, 24 March 2018

******Theory of Relative Break-Up************

आज कल हर चीज़ relative हो गयी है। physics में relative velocity के concept जैसी …… यहाँ तक की breakup भी
काफी समय से कोशिश करने के बाद भी जब लगा की अब नहीं हो पा रहा है तो एक दिन "'Its over" बोल दिया। सोचा था ये ऐसा होगा की जैसे desktop से Shift -delete करने जैसा। पूरी file एक बार में गायब , ना सुराग , ना सबूत।
लेकिन ऐसा था नहीं , आज कल की ज़िंदगी में breakup absolute नहीं रह गए , वो relative हो गए है। आप शहर बदल सकते हो , नौकरी बदल सकते हो लेकिन वो जाते नहीं , फेसबुक से उनको तो unfriend कर सकते हो लेकिन क्लास के 58 mutual friends की वजह से वो timeline में आ ही जाते हैं | आप reference फ्रेम बदल सकते है , force के component नहीं.
Whatsapp group हो या instagram ना चाहते हुए भी आपको उनका हर टैग आ ही जाता है , मैंने शहर बदल लिया , नौकरी बदल ली , number तक बदल लिया लेकिन कुछ फाइल्स Operating system ही corrupt कर देती है और अगर system format भी कर दो तो कुछ नीछ दोस्त बैकअप लेकर घूमते रहते हैं , तुरंत CD लगा के फिर upload कर देते हैं , दारु शायद आज के युग की time मशीन है। पीते ही फिर उसी दौर में पहुँच जाते हैं जहाँ आज भी आतिफ और मै साथ साथ गाते है , " गुलाबी आँखें जो तेरी देखी , शराबी ये दिल हो गया ". आज भी उस अनजान शहर की गलियों में उसको ढूंढता मैं और भगवान की की तरह प्रकट होती वो याद है , उसका चेहरा अब ज़ेहन में धुंधला गया है कुछ वैसे ही जैसे 19 का पहाड़ा , धुन में गाऊंगा तो शायद आज भी याद आ जाए
Breakup एक शब्द नहीं है , एक जज़्बात है , एक पूरा वक़्त है , मेरा एक हिस्सा है , break up, velocity की तरह relative होते हैं . "its over " और "I finally moved on" में एक बहुत लम्बा वक़्त होता है . बहुत लम्बा।
कुछ घाव वक़्त नहीं भर पाता , बस उनके साथ रहने की आदत डाल देता है

****** I am an Engineer and I work in a Bank******

हाँ इंजिनीरिंग के बाद मैं बैंक में काम करता हू , तो तुम्हारे बाप का क्या जाता है। हाँ कटवारिया सराय में की थी NTPC और BHEL की तैयारी , नहीं निकला , कुछ दिन मास्टर बनने का भी सोचा था लेकिन वहां तो सिर्फ boring और पढ़ीस जाते हैं तो उन्होंने भी नहीं लिया ,कॉलेज का प्लेसमेंट शुन्य बटा सन्नाटा है तो बैंगलोर भी गया था walk -in पे , नहीं हुआ , C++ पूछ रहे थे और मैं ठहरा इलेक्ट्रिकल का लौंडा (वैसे इलेक्ट्रिकल भी पूछ लेते तो क्या ही बता पाता) . समझ आ गया की भाई कुछ नहीं रखा है इस प्राइवेट नौकरी में , पतली गली से कट लिया , आज सरकारी बैंक में PO हू , हाँ पोस्टिंग महाराष्ट्र के अकोला में हुई है लेकिन नेक्स्ट पोस्टिंग में पहुँच जाऊंगा सीतापुर के पास लखीमपुरखीरी की किसी ब्रांच में और तुम फुनसुनक वांगडू समझने वालों रहना 1BHK में दिल्ली , मुंबई और बैंगलोर के। जीतते बड़े घर होते हैं न तुम्हारे शहरों में , उतने में तो हम UP वाले कूलर रखते हैं , और हाँ क्या कहते हो तुम 'Monotonous जॉब है हमारी " , तुम कौन से National Geographic channel में काम कर रहे हो बे , TCS , Accenture और wipro में ओन-साइट के मोह में घिस रहे हो , ये जन धन योजना से pressure आ गया है लेकिन गुरु तुम्हारी तरह 16 घंटे वाला काम नहीं करता हू , और हाँ ये जो alternate saturday Off घोषित हुआ है न , इसका मतलब पता है - saturday 'छुट्टी' रहेगी। कोई माई का लाल बुला के दिखा दे alternate saturday , बॉस छोडो , रघुराम राजन भी नहीं बुला सकता , तुम्हारी तरह saturday को work from home नहीं करते हम , खुद को ये सांत्वना भी नहीं देते की घर में गर्मी है तो आ गए AC में मुफ्त की चाय पीने।
क्या बोलते हो , technical पढ़ाई करके बैंक में ही जाना था तो बी टेक क्यों किया , भाई बात ऐसी है की बीएससी में नही हो रहा था , इंजीनियरिंग में हो गया , और रही बात non -technical काम की तो सालों तुम कौन सा Operating System बना दिए हो बे , Cut -Copy -Paste करते हो सॉफ्टवेयर companies में और खुद को टेक्निकल कहते हो। भाई साहब , इंजीनिरिंग डिग्री नहीं है , एक सोचने का तरीका है , इंजीनियरिंग का मूल सिद्धांत पता है ,"Optimum utilization of Resources" . चाहे advertising हो या politics , Management हो या बैंकिंग हम जहाँ भी जाते हैं न , वहां कुछ थोड़ा सा innovation करना, थोड़ा सा काम आसान करना भी भी इंजीनियरिंग है , लोग मेरे बैंक में cash deposit के लिए एक घंटे line में खड़े रहते थे , उनको टोकन देके बैठने देना भी इंजीनियरिंग है.
ऐसा नहीं है की सब अच्छा है,ऐसा नहीं है की मै ambitious नहीं हू , लेकिन जब तुमने सीतापुर और मुंबई में मुंबई को चुना था तो मैंने सीतापुर चुना है, मैं माँ -बाप से अभी skype पे बात करता हु लेकिन अगले साल घर में बैठ के गप्पे मारूंगा , फिर जब किसी बैंक वाले इंजीनियर का मज़ाक उड़ाना तो सोचना की क्या कह सकते हो ये बात १००% confidence से
फिर कभी ये मत बोलना की इंजीनियरिंग करके बैंक में क्यों......

टीचर्स डे

उम्र - बस इत्ती कि स्कूल और मम्मी-पापा के नाम की स्पेलिंग याद हो पायी है.
बहाना - पेट में दर्द था.
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उम्र - इतनी कि स्कूल जाने के लिए साइकिल और साथ ले जाने के लिए कुछ रूपये मिलने लगे थे.
बहाना - लाइट नहीं आ रही थी.
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उम्र - इतनी कि शर्ट के कॉलर का बटन बंद होना और बाज़ू नीचे रहनी भूल चुकी थीं.
बहाना - प्रोजेक्ट सबमिट करना था.
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उम्र - इतनी कि दोस्तों के साथ मनाली और देहरादून अकेले घूम लिया था और कॉलेज के बगल में गुमटी पर खाता चलने लगा था.
बहाना - कोई नहीं. क्लास कौन जाता है?
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उम्र के पड़ाव बीतते जाते हैं, होमवर्क न पूरा होने के बहाने बदलते जाते हैं लेकिन वो एक शख्स हमेशा कॉमन रहता है. सब्जेक्ट बदलते हैं, नाम बदलते हैं, बोल-चाल बदल जाती है, खड़ूस होने की सीमा बढ़ या घट जाती है लेकिन टीचर वहीँ मौजूद रहता है. अपने डस्टर और चाक के डब्बे के साथ.
सूरदास ने कहा था कि दुष्ट, काले कम्बल के समान होते हैं जिनपर दूसरा कोई रंग नहीं चढ़ता. दरअसल उनके समय में चाक और डस्टर का ईज़ाद नहीं हुआ था वरना देखते वो भी कि कैसे दीवाल में जड़े एक काले बोर्ड पे चाक घिस घिस के हम जैसे दुष्टों की नइय्या पार लगाने वाले लोग भी हैं. वो लोग जिन्हें हम सर या मैडम कहते हैं.
आज टीचर्स डे है. स्कूल में होते तो क्लास सजाते. जियोग्राफी वाली मैडम के लिए कुर्सी ठीक पंखे के नीचे रक्खी थी और पंखे के ऊपर चाँद-सितारे, फूल, रंगीन काग़ज़ के टुकड़े रक्खे थे और उनके बैठते ही पंखा चलाया गया था और वो सारा मलबा उनपर उड़ता हुआ आ गिरा था. बस पांच से छः सेकंड का मजा था लेकिन वो गजब ख़ुश हो गयीं थीं. क्लास टीचर थीं वो हमारी. पूरी क्लास को एक-एक पेटीज़ और साथ में एक फ़्रूटी का पैकेट दिलवाया था. मेरी बेस्ट-फ्रेंड एक लड़की थी जिसके साथ ही मैं घर वापस जाता था. उस दिन घर जाते वक़्त पूरे रास्ते हम यही बात कर रहे थे कि मैम हल्का सा रोईं थीं या बस हमको ही ऐसा लग रहा था. वैसे आज सोचो तो लगता है कि हमने भी किसी ज़माने में राहुल गाँधी वाली हरकतें की हैं.
कुछ दिन पहले वो बैंक में काम करने वाली पोस्ट में किसी ने लिखा था कि 'जो कुछ नहीं कर पाते फैकल्टी बन जाते हैं'. मैं ऐसे लोगों से मिला और पढ़ा हूँ जिन्होनें बहुत कुछ किया और फैकल्टी बन गए और इसके बाद भी बहुत कुछ करते रहे. हमें तमीज़ सिखाना भी उनके 'बहुत कुछ' करने का एक हिस्सा था. जो भी है, लेक्चर नहीं देंगे, वो काम फैकल्टी का होता है. हम तो बस इतना ही कह रहे हैं कि जो कुछ नहीं कर पाने वालों को थोड़ा-बहुत कर पाने लायक बना देते हैं वो ही फैकल्टी बन पाते हैं.
हमको दो मिनट के लिए गेस्ट-फैकल्टी मान लो और जो कहते हैं सुनो. अपने टीचर्स का नंबर निकालो. न नंबर मिले तो फेसबुक पे ढूंढो. ई-मेल आई-डी तो होगा ही. कॉल करो, वाल पे लिखो, मेसेज करो, मेल करो, और उनको थैंक-यू और सॉरी दोनों ही बोलो. थैंक यू इसलिए कि जिस भी लायक हो, उसका एक बहुत बड़ा श्रेय उन्हें भी जाता है और सॉरी इसलिए कि अक्सर जब वो तुम्हें एक बेहतर इंसान बनाने की कोशिश में लगे हुए थे, उस वक़्त तुम अपने कॉलर के बटन खोले और शर्ट की बाजू चढ़ाये यही सोच रहे थे कि 'जिसे कुछ नहीं करना आता वो फैकल्टी बन जाता है.'

~एक इंजीनियर की खब्त

ये जो लड़कियाँ होती हैं न, ये internet browser सी होती हैं. मैं इंजीनियर हूँ इसलिए आदत से मजबूर हूँ. इससे बेहतर example सूझ नहीं रहा. Internet browser ऐसे कि जब जो जी में आया, वो पेज visit किया और जब जी में आया, tab close कर एक नया tab खोल लिया. अक्सर जब कुछ ऐसे पेज खुल जाते हैं जिनके link वो और देर अपने system में नहीं रखना चाहतीं, तो history erase कर देतीं हैं.
लड़के वो होते हैं जो इन browser से wallpapers डाउनलोड करते हैं. अक्सर कई wallpaper होते हैं जिन्हें हम अपनी hard-disk में C://Windows/System32 में Data नाम का फोल्डर बना कर रखते हैं. पर गाहे-बगाहे, एक wallpaper हम ऐसा भी डाउनलोड कर लेते हैं जिसे हमने अपना deaktop wallpaper बनाने का सपना संजोया होता है. यकीन मानिये उस दिन के बाद से System32 भी एक क्लिक को तरसता है और बस वो उस एक डाउनलोड की हुई JPG फ़ाइल को घंटो Picture Gallery में preview करते हुए एक असीमित deadlock में चला जाता है. रंज सिर्फ़ इस बात का है कि इस desktop wallpaper की जगह ले सकने वाला wallpaper न ही किसी संता-बंता के बस की बात मालूम देता है और न ही google images की.
कल रात अपने desktop wallpaper से फ़ोन पर बात हुई. आखिरी बार शायद. मालूम चला कि browser history काफ़ी दिन हुए erase की जा चुकी है. मैंने लाख system restore to previous restore point का इस्तेमाल करना चाहा पर हर बार ये task मेरे admin rights से बाहर मिला. मैं अपने system से account को log off तो कर चुका हूँ पर sleep mode में नहीं रख पा रहा. Improper shut down में हार्ड डिस्क corrupt होने का खतरा है. मुसीबत से निबटने को कोई सिस्टम इंजीनियर हो तो ज़रूर इत्तेला करें.

"Start up India, Stand Up India " का सपना

Dear Modi Sir,
आप US में silicon valley में tech giants से मिल रहे हैं और यहाँ मैं घर से कुछ 1800 km दूर अपने 1 रूम kitchen में अपने एक बिहारी दोस्त के साथ रहता हू। क्या है न यहाँ बैंगलोर में UP -बिहार सब एक होते हैं - 'North Indians'. यही बोलते हैं हमे , घर से दूर यहाँ मैं 'सॉफ्टवेयर developer who works on java platform' , मेरा बिहारी दोस्त एक टेलीकॉम कंपनी में Tester है। घर वालों से मैं skype पे बात कर लेता हूँ (लखनऊ में नेताजी का सुशासन जो है ) , वो नहीं कर पाता , छपरा में 2G चल पाये , वोई बहुत है , आज भी रात को लाइट आँख -मिचोली खेलती है ( मेरा रूम मेट यादव है , कहता है लालू ने यादवों के लिए बहुत किआ है छपरा में) , खैर मेरे जैसे बहुत सारे लोग UP और बिहार में अपने घर वालों से दूर रहते हैं , शायद इसके लिए नेता ज़िम्मेदार हैं लेकिन उन नेताओं को चुनने के लिए हम भी तो ज़िम्मेदार हैं , फिर एक नेता 'special status ' मांगने को चुनावी मुद्दा बनाता है मतलब पहले state की जनता खुद बेवकूफ सरकार चुने फिर पूरे देश की taxpayer जनता उसको चंदा दे सुधरने के लिए , मैं politics की बात क्यों कर रहा हूँ , इसका JAVA से क्या सम्बन्ध , अजी सम्बन्ध है , बहुत बड़ा सम्बन्ध है - मराठी TL जब गणपति पे मराठी team members को छुट्टी दे देता है और Chhath की छुट्टी project deadline बोल के cancel कर देता है तो politics ज़ेहन में आती है , south indian project lead जब कहता है की दिल्ली में तो बस rape होते हैं तो मन करता है की पराठे वाली गली की उस कढ़ाई में इसे ही तल दू लेकिन अगर मैं पलट के जवाब देता हू तो मैं बुरा नहीं बनता , पूरा UP -बिहार 'कमीना' हो जाता है , ये बैंगलोर और पुणे में real estate के दाम हम ही ने बढ़ाये हैं लेकिन आज भी कोई ठाकरे कभी भी पीट जाता है, घर से दूर रह के नौकरी कीजिये, पॉलिटिक्स में रूचि आ ही जाएगी साहब
फिर आज मोदी बोलेंगे की कैसे साँपों का देश अब mouse से जाना जाता है लेकिन कैसे पूरा UP - बिहार अपने ही देश में refugee बना बैठा है, इस पर भी सुन्ना चाहता है आपका एक 'भक्त' .इन सभी companies जिनके CEOs से आप मिलने जा रहे हैं उनके R&D centres यहीं हैं लेकिन क्यों रोज़ १२-१४ घंटे काम करके हमे इत्ती सैलरी दी जा रही है की हम बस अगले दिन काम पे ही आ पाएं इस पर भी कुछ सुन्ना चाहता हु Sir, खुद billing घंटों की हमे TDS काट के इतना भी नहीं मिलता की टैक्स pay करना पड़े और उसपे दिवाली की छुट्टी approve कराने के लिए reservation खुलने के 15 दिन पहले से काम ज्यादा करके मैनेजर की चापलूसी करनी पड़ती है वो अलग। ये सबसे तंग आके कुछ दोस्त MBA चले जाते है और कुछ start up खोल लेते हैं।
weekend to weekend ज़िंदगी जी रहे हैं लाखों सॉफ्टवेयर इंजीनियर मोदी सर, बहुत मेहनत करते हैं और भी पूरा कआपका "Start up India, Stand Up India " का सपना रेंगे , कुछ तो बात होगी ही जो आज सारी बड़ी कंपनीज़ के CEOs भारतीय हैं, बस सर हमारे UP - बिहार में भी IT पार्क्स खोलिए , Infosys खुर्जा , TCS संभल, Mckenzie मथुरा , Adobe आगरा और Google Gorakhpur देखने का बड़ा मन है
और हाँ ये mail saturday night को ऑफिस में night shift में बैठा लिख रहा हू
Thanks and Regards
सॉफ्टवेयर इंजीनियर
Note: This mail is confidential and property of "दो कौड़ी की MNC" and don't print unless very necessary

मुहल्ले वाला पढ़ने में सबसे तेज़ लड़का ki story

मुहल्ले का वो लड़का ,
जो पढ़ने में सबसे तेज़ था,
ग्यारहवीं क्लास में आते आते ,
चश्मा पहनने लगा था ,
इंजीनियरिंग में एडमिशन के लिए ,
दिन रात एक करता था ,
coaching वाली लड़की जो ,
Irodov और H C verma की किताब में ,
friction वाले सवाल की तरह अटक गयी थी ,
उस लड़की को दूर भगाता था ,
बस एक बार इंजीनियर बन जाये ,
तो लड़की के घर जाकर ,
हीरो माफ़िक हाथ मांग लेगा उसका ,
अच्छे कॉलेज से इंजीनियरिंग का कुल
इतना ही मतलब समझता था ,
लड़का इंजीनियर बन गया ,
सुना है बड़ी कंपनी में नौकरी भी करता है ,
कंपनी में और भी ना जाने कितने मुहल्लों के,
पढ़ने में सबसे तेज़ लड़के हैं ,
कंपनी जैसे हजारों मुहल्ले निगल जाती हो ,
लड़के के मुहल्ले के कई लड़के ,
उसके जैसा होना चाहते हैं ,
चश्में का नंबर बढ़ गया है ,
अच्छे मेहंगे चश्में से भी वो ,
coaching वाली लड़की साफ नहीं दिखती ,
वो ऐसे ही किसी दूसरे मुहल्ले के ,
पढ़ने में सबसे तेज़ लड़के की बीवी है ,
लड़का जिंदगी से हरा नहीं है ,
उदास भी नहीं है ,
घूमता-फिरता है ,
कार्ड swipe करता है ,
जैसे टाइम से सुबह स्कूल जाता था ,
वैसे ही टाइम से अब ऑफिस जाता है ,
हाँ जैसे टाइम से स्कूल से आता था ,
वैसे टाइम से ऑफिस से नहीं आता ,
स्कूल का होमवर्क करता था ,
अब ऑफिस का काम घर लाता है ,
1st मई की छुट्टी के लिए बड़ा ही excited है ,
ऑफिस में सबसे बहस करता है ,
कि “हम मजदूर थोड़े हैं “
उसे बस छुट्टी से मतलब है ,
रोज़ “चूर” होकर होकर लौटता है ,
कभी थककर कभी बिना थके ,
शाम को घर आता है ,
खाना खाकर टीवी देखकर,
किसी न्यूज़ चैनल की TRP बढ़ाता है ,
अगले दिन आराम से दिन के 12 बजे ,
पापा के फ़ोन से उठता है ,
हँस के बताता है
“आज छुट्टी है “
पापा को समझाता भी है
“वो मजदूर थोड़े है “
फोन काटने के बाद ,
शीशे में खुद को देखकर ब्रश करता है ,
एक बार मुँह धोता है ,
और फेसवाश अपने चेहरे पर रगड़ कर ,
ऑफिस वाले चेहरे की क्रीम लगाता है ,
एक बार फिर ध्यान से देखता है ,
शीशे वाले चेहरे को और बुदबुदाता है ,
“मैं मजदूर थोड़े हूँ ,
मैं मजबूर थोड़े हूँ “
पता नहीं एक दम से क्या याद आता है उसको ,
और मुहल्ले वाला पढ़ने में सबसे तेज़ लड़का ,
दुबारा मुँह धो लेता है.

Welcome to a new Life.....

*******बहुत बहुत मुबारक अगर आज कम नंबर आये हैं ********
सीबीएसई की बारहवीं के रिजल्ट आ गए हैं और अगर आज घर पे आपकी तेरहवीं मन रही है तो बहुत बहुत मुबारक।
क्या सोच रहे हो , रिश्तेदारों की तरह पेज एडमिन भी मज़ाक उड़ा रहा है , नहीं भाई , देखो ज्यादातर पता तो था ही तुम्हे की क्या आनेवाला है, किसी को बोलते नहीं थे लेकिन अंदर ही अंदर अंदाज़ा तो रहता ही है, हाँ कुछ दिन acting करो रोने धोने की, career discuss करो मामा के लड़कों से , एक दो टाइम dinner भी skip कर देना , लेकिन जब अकेले होना तो जी भर के खुद को शाबाशी देना , आसान थोड़े है सीबीएसई में कम नंबर लाना , खाली कॉपी भी छोड़ दो तो 33 दे देते हैं और कहीं पैर से लिख आओ तो भी 75% आ जाते हैं , इसलिए बहुत मेहनत और लगन से लाए हो ये मार्क्स।
खुश इसलिए होना कि अब कोई नहीं कहेगा टॉप करने को , टॉप करना दूर पास हो जाओगे न, तो भी तारीफ होगी , benchmark कोहली का बनाते तो तुलना भी मोहल्ले के सचिन से होगी, आज जब रविन्द्र जडेजा बन ही गए हो तो फिर क्या डरना , यहाँ से अच्छा ही करोगे , कोई IIT जाने के लिए नहीं बोलेगा , UPTU आ जाओ, बुरा है लेकिन अब हर कोई IIT में ही तो नहीं जा सकता , Resnic Halliday और HC वर्मा के बाहर भी एक दुनिया है , आओ इंजीनियरिंग करने , मज़ा आएगा, UPTU आ रहे हो तो और भी अच्छा है , ठोकर लगेगी, फिर खड़े होना , फिर लगेगी , फिर खड़े होंगे , फिर जब ;लगेगी तब तक आदत लग गई होगी, उठने में दर्द कम होगा, expectation word आज चला गया है , यहाँ से जो करोगे अपने लिए करोगे , अब तुमने साबित कर ही दिया है की PCM नहीं आती है तो क्यों न NIFT try करो - अपने अमेठी में खुल गया है, होटल मैनेजमेंट करो , Law के एक से एक integrated प्रोग्राम्स हैं, filmmaking करो, कुछ भी करो , अभी भी नहीं समझ रहा है की क्या करो तो कोटा जाओ और कोचिंग करो....12th पास लोगों का हरिद्वार है वो!
यकीं मानो आज ये पढ़ के लगेगा की क्या romantic writer है , यहाँ साल बर्बाद होता दिख रहा है और ये struggle में रोमांस ढूंढ रहा है, पांच साल बाद दिल्ली, मुंबई या बैंगलोर में जब सुनोगे की CBSE का 12th का रिजल्ट आया है सोचोगे की वो सही ही कहता था..........
Welcome to a new Life.....

कहानियां लिखते है .....हम ENGINEERING LIFE की

कहानियां लिखते है हम 
जेब की कड़की की
क्लास में first row में बैठ बाल संवारती उस लड़की की
सब subjects खुद में समेटी Quantum की 
लड़कियों को देख घूमती गर्दन के momentum की
कहानियां लिखते है हम
मेस के उस टुच्चे खाने की
वो कॉलेज के पास वाले मयखाने की
फर्स्ट ईयर की उस Day scholar की
मेरे हॉस्टल के सबसे अच्छे baller की
कहानियां लिखते है हम
Faculty से GATE के exam में मिलने की
उसी Faculty से कॉलेज gate पे मिलने की
वो दिवाली के टिकट में लड़की के साथ reservation कराने की
उसकी waiting list 
को confirmation कराने की
उस पैसे देकर खरीदे Final Year project की
उस सीनियर के project को नाम बदल के जमा कर देने की
कहानियां लिखते है .....हम U.P.T.U. की

EK Dost ki story " time lagat hai but success milta hai"

                                               ****उस दिन अगर IIT निकल गया होता तो !!!*****


sunday को अखबार पढ़ते पढ़ते , चाय की चुस्की पे ख्याल आया की अगर इंजीनियरिंग में IIT निकल गया होता तो आज मैं कहाँ होता। IIT से इंजीनियरिंग करके शायद आईआईएम से MBA करने जाता। किसी FMCG कंपनी में Branding कर रहा होता या शायद खुद की startup में लगा होता। onsite भी घूम आया होता, क्या पता USA के किसी बड़े शहर में अपने अपार्टमेंट में बैठा सोचता की quality ऑफ़ life भारत में नहीं है, बच्चों को global citizen बनाऊंगा वगैरह वगैरह ।
सवाल आया की आखिर मैं कहाँ हू और यहाँ तक कैसे आया ।
उत्तर प्रदेश के एक अव्वल दर्ज़े के कूड़ा कॉलेज से इंजीनियरिंग करी , सच पूछो तो कंप्यूटर साइंस में चार साल में एक भी कोड लिखना ही नहीं पड़ा। सब इलेक्ट्रिकल और इलेक्ट्रॉनिक्स वाले पढ़ते रहते थे, हम कैंटीन और फ़ोटोस्टेट से ही पास हो जाते थे। लोग कहते थे की CS और IT are the art side of engineering , माना तो नहीं लेकिन लगने हमे भी लगा था। ये बात सही भी है की कंप्यूटर साइंस की इंजीनियरिंग की पढ़ाई आसान है लेकिन ये भी उतना ही सच है की कंप्यूटर साइंस में ही हर ३ साल बाद relevant रहने के लिए नयी language भी सीखनी पड़ती है branches को नहीं करना होता (काफी हद तक)।
कॉलेज से प्लेसमेंट नहीं हुआ था, नॉएडा में पैसे दे के , जी हाँ पैसे दे के, एक कंपनी में Java development करता था। 6 महीने की paid जॉब के बाद उसको बोला की कुछ तनख्वाह दे दो तो उसने बोला कल आके ले लेना। अगले दिन जब pay स्लिप दी तो जितनी सैलरी महीने के 26 दिन की बनी थी, ४ sunday की छुट्टी की काट ली गयी थी और Net Pay 'Zero' लिखा था। आज भी keyboard पे ये टाइप करते करते रोए खड़े हो गए हैं। उस दिन बेहिसाब रोया था रजनीगंधा चौक पे खड़े होके।
डेढ़ साल हो चुके थे, कंपनी वालों ने पता नहीं काम देख के, या तरस खा के 1 .5 लाख सैलरी कर दी थी। नॉएडा में ४ लोगों के साथ एक रूम में PG में रहते थे। एक दिन गुडगाँव की एक कंपनी से कॉल आया, नाम था IBM, इंटरव्यू देने गए तो पता लगा ऑफ रोल पोजीशन है , सोचा चलो कम से कम IBM के ऑफिस में बैठेंगे। सब दोस्तों को , मम्मी पापा को बता दिया की IBM ज्वाइन की है। एक महीने सब अच्छा चला , खूब काम कराया गया , हमने भी जी जान से काम किया , एक दिन ऑफिस गए , बाहर घुमटी में सुट्टा मारा, ऊपर जा के access card स्वाइप किया तो नहीं चला, दोबारा किया, फिर नहीं चला। पास बैठा security गार्ड हसने लगा, बोला की अब नहीं चलेगा, दो दिन बाद आके अपनी drawer का सामान लेते जाना। किसी तरहं खुद को बटोर के वहां से बाहर तक आया और सड़क पे बैठ के घंटो रोया। उस दिन पता लगा की दुःख से भी बड़ा emotion बेइज़्ज़ती है। फिर रोते रोते घर फ़ोन किया , बताया की मम्मी निकाल दिया, और कहते कहते फिर रोने लगा। हमेशा याद रखना , बहुत दुःख में घर वालों को कभी फ़ोन मत करना, वो परेशां हो जाते हैं और उससे भी ज्यादा असहाय।
कुछ दिन और बेरोज़गार रहे फिर, एक recruitment ड्राइव में गुडगाँव की एक कंपनी में सॉफ्टवेयर डेवलपर बन गए। दो साल होने को थे और पैकेज कम्भख्त अभी भी डेढ़ लाख। ये वो दिन थे जब को पूछता था की कहाँ काम करते हो तो कहता था गुडगाँव में , जब वो दोबारा पूछता था की कहाँ काम करते हो तो फिर से कह देता है Java प्लेटफार्म पे। एक दिन एक कंपनी से कॉल आया , सारे round निकाल के HR राउंड में पहुंचे। HR ने पूछा current CTC , हम बोले 1. 5 लाख , वो बोली expected CTC , हम बोले 3 लाख , वो बोली १००% hike मांग रहे हो , तो हमने कहा mam दो साल से Java डेवलपमेंट कर रहा हू , मार्किट रेट के हिसाब से इतना तो मिलना ही चाहिए। वो हसी और बोली , हम associate सॉफ्टवेयर developer को 4. 5 लाख कम नहीं दे सकते , इतना तुम deserve करते हो। बाहर निकल के खुद को चुटकी काटी , उस दिन भी खूब रोया था लेकिन इन आंसुओं में कुछ अलग था ।
आज भी उसी कंपनी में हू , Architect हू , दो साल लंदन क्लाइंट location में रह लिया, लेकिन माँ बाप से दूर अच्छा नहीं लगा तो वापिस आ गया। टीम में कई बच्चे IIT के हैं जो सब मुझे रिपोर्ट करते हैं। रोज़ ऑफिस के रस्ते में वो सड़क भी आती है जिनमे बैठ के घंटो रोया था और खुद को समझा लेता हु की वो भी रास्ता था, ये भी रास्ता है. मंज़िल यहाँ नहीं है। कल लंच में एक टीम member बोल पड़ा , AI और Machine Learning आ जायेगा तो क्या करेंगे, तब नौकरी कैसे ढूंढेगे। मै मुस्कुराया और बोला की कुछ तो कर ही लेंगे।
चाय ख़तम हो गयी थी और मैं सामने टंगे कैलेंडर में कृष्ण भगवान को देख के सोच रहा था कि अच्छा हुआ जो उस दिन IIT नहीं निकला।
अच्छा हुआ जो IIT नहीं निकला .....

Wednesday, 28 February 2018

Ek Waqt tha jab tujhse pyar karta tha ...

 Ek Waqt tha jab tujhse beinteha pyar karta tha.....
ab to tu khud mohabbat ban chali aaye to mujhe farq nahi padta..

Ek Waqt tha jab teri parwah kiya karta tha .......
ab to tu meri khatir fana bhi ho jaye tho ab far nahi padta..

Ek Waqt tha jab tujhe hazaro message likha  karta tha.....
(social media ka zamana hai ussi pe likha hai )
or koi kaam na tha mera,bas din bhar tera last seen dekha karta tha.....
ab tho arsaa beet gya hai visit kiye hue teri profile ko
ja ja ab tu 24 ghante online rah le MUJHE farq nahi padta .......
Ek Waqt tha jab tujhse bichad jaane ka dar laga rahta tha ......


Tu kahi chhod na de is khayal se sahma sahma sa rahta tha....
(ab  tu  sun le..)
ab itna jaleel hua hu tere ishq me
itna jaleel hua hu teri roz roz ki chorne ki baton se
ki ab tu ek kya 100 martaba chor jaye mujhe farq nahi padta.....
 Ek Waqt tha jab tujhse beinteha pyar karta tha.....

Ek Waqt tha jab tujh bin ek pal bhi na rah skta tha....
Bechain gumshuda sa AKELEpan se darta tha,
lekin ab sun le
Itna waqt bitha chuka hu is akelepan me,
ki ab to taumar tanha rahna pad jaye tho farq nahi padta ...
Ek Waqt tha jab tujhe pyar karta tha..

Ek waqt tha jab tujhe koi chu leta to mera khun khoul utha tha,
Or isliye kayi dafa main in hawao se bair pala karta tha,
arey apne husn ke siwa kuch nahi hai tere pas agar,
       TO JAAA
Tu kisi or ke saath hambistar bhi ho jaye to mujhe farq nahi padta ...
Ek Waqt tha jab tujhse pyar karta tha ...

Itna gurur kiya tune apne is mitti ke jism par,
       JAA 
Tera ye jism kisi or ka ho jaye mujhe farq nahi padta......
Ek Waqt tha jab tujhe pyar karta tha..

Ek Waqt tha jab  khuda se tere liye mannate mangta tha,
mujhe khud to kuch chahiye na tha
bass tere liye apne khuda ko aajmaata tha ,
      lekin ab sun le
Ab Na jhukta hu,na poojta hu,na manta hu kisi ko
Ab to bhale tu khud khuda ban chali aaye tho  mujhe farq nahi padta ..
Ek Waqt tha jab tujhse pyar karta tha ...


Ek Waqt tha jab sher likha karta tha tere liye or sunata tha mahfilo me ,
Arrey ab to arse baad likhi hai adhuri si kaviya tujhpe
(tujpe likhi hai isliye adhuri bol rha hu)
or sun le
ab aage se kuch bhi naa likha jaye mujhe farq nahi padta ..
Btana agar tujhko mil jaye muj jaisa koi or agar
ja ab tu auro ko aajma le mujhe farq nahi padta..
Ek Waqt tha jab tujhe pyar karta tha..

Ek Waqt tha jab tujhe hazaro ki bhid me pahchan liya karta tha,
Hizab me hoti agar to aankho se pahchan kiya karta tha

Areey,

ab tho nigahon se ojhal kiya hai mian ne tujhe iss kadar
ki iss bhid me tu kahi padh bhi rahi hai tho mujhe farq nahi padta..
Ek Waqt tha jab tujhe pyar karta tha..

kair phir bhi karta hu shukriya tere,
Tujhe khone se main ne bahut kuch paa liya hai,
Nazme,gazale,shayriyan sab mil gayi hai mujhe,
or inhone to jaise gale se laga liya hai,
Ab to mujhe sun ne wale  bhi hai,chahne wale bhi hai or daad dene wale bhi hai ,
lekin sun le ki ab itna bekhauf ho gaya hu,
ki ab tho ye sab bhi chod jaye to mujhe farq nahi padta...
Ek Waqt tha jab tujhe pyar karta tha..

arrey ab khud hi me ho gaya hai mast sanjay itna ...
ki koi padhe ya naa padhe farq nahi padta.......
kair chahta tho nahi tha ki tujhe yu benaqab karu sabke sammne,
lekin sun le ki
Ek bewafa meri kalam se beizaat ho jaye to farq nahi padta..
Ek Waqt tha jab tujhe pyar karta tha..
yaad kar vo waqt jab ek lafz nahi sun pata tha tere khilaf,
or ab dekh yaha aake teri tauhin par taliya baj rhi hai tho mujhe farq nahi padtha


















Sunday, 18 February 2018

15 Things Every Man Must Do Before Getting Married



  • . Buy all the gadgets you want. You never know if your spouse will give you that kind of freedom and liberty
  • Watch all the action movies you wanted. Post marriage, your taste in movies will get 'refined' to more sober fare
  • Learn not to swear ever. This can be a problem if you are habituated to it, but no woman will take your constant swearing - even if its harmless. 
  •  Call up all your friends from school and college and meet them. Before leaving, tell them about your wedding and invite them with your formal wedding card.
  • Go through a heartbreak. If you cant reason or do not know how to talk to women and express yourself, you marriage will hit the wrong notes pretty soon.
  •  If you have no experience in dealing with women, married life can get difficult after a while. Have a fling and learn from it.
  •  Learn how to cook. Not only will this help you win brownie points with your future wife, it can also be a life-saver during unexpected situations.
  • Get your finances in order. No matter how badly you have screwed up until now, your bank balance needs to start looking better ASAP
  • Learn how you will manage your money with your partner. You can squander all your money while she may want to save for the apocalypse. Unless you can come to terms with the way you will deal with your money, things can get sour very quickly. 
  • Travel alone. Go someplace by yourself and discover a part of you that you thought never existed. You will be grateful for the experience.
  • Take all the courses you wanted to take. That guitar class you wanted to take? Or Spanish lessons you always thought youd take? Well, it is now or never to do them.
  •  Follow your passion. Because most of us have a disconnect between our jobs and what we really want to do. Find out what your passion is and spend some time following it, even if it is something as random as living in a kibbutz.
  •  Decide your position on children. When? How many? Financial position before having child? Discussing these questions is the first step of tempering expectations and moving ahead in wedded bliss.
  • Start living like a decent human being. If you give directions in your house based on cigarette butts and uncorked bottles lying around then you need a crash course in how to start leading a normal life. You are not living in a hostel or PG anymore. Get the point.
  •  Know your limitations. To make a marriage work, it is important to know your own limitations first before getting to your partners. There can be potential make-or-break situations once you decide what your breaking point is when it comes to various day-to-day things.

Saturday, 4 July 2015

9 Valuable Skills You Need To Have To Survive In This Big, Bad World

You need a game plan to survive in this big, bad world, or else you will fail to make the cut. Here are 9 skills to get you through the rat race called life.

1. The art of convincing.

You need to be shrewd to convince someone to do the work you need them to. Whether it’s pitching an idea or selling a product, you need to have/develop the knack of convincing people to do so.

                             

2. The ability to say 'no'.

                                 
‘No’ is such a difficult word to say. The two-letter word looks small but you cannot underestimate its power. You require a great deal of courage to stand by your opinions and say ‘no’. Being assertive is often misunderstood for being prudish. However, saying 'no' at the right time shows that you have got your s**t together and that you don’t care for others' opinions.

3. Listening patiently.

                                  
Have you ever noticed the traits of highly successful people? One of them is listening before talking. They listen carefully to what the other person has to say and then, only then, do they think and reply. Listening needs a lot of patience. Sometimes, it’s harrowing to keep your mouth shut and listen to the other person talking continuously. But if you do, you'll be closer to gaining the respect of that person.

4. A good sense of humour.

                                     
Nobody likes a person who doesn’t like to laugh. Being an unhappy person is not going to help you attract positive people in your life. Therefore, make people laugh with your good sense of humour, and then you won't be forgotten.

5. Being aware.

                               
Being vigilant about what’s happening around you will not only make you smart, but also a responsible citizen of your country. By keeping abreast of news and information, you will always go ahead in life.

6. The ability to express yourself freely.

                               
Are you the student who raises his hand and asks questions, or the student who keeps mum thinking that his questions are foolish? If you’re the latter, then let me tell you that expressing your doubts and opinions will only make you richer in knowledge and experience. Expressing your opinions without feeling shy or timid will open doors to great knowledge.


7. The art of not giving a f**k.

 
And by that I mean, caring less about what others think, and doing what you want to do. Once we stop giving importance to unnecessary things, life changes for the better. It’s all about doing your own thing and knowing your game. Not giving a f**k doesn’t mean that you have to be rude. It just means being comfortable with who you are.

8. Being pretentious.

                             
Sometimes we have to smile even when we don’t want to. Sometimes we have to talk even if we don’t need to. Well, however much you hate pretending, you've got to do it to keep others happy. But moderation is key, else there are dangers of losing your identity.

9. Adaptability.

                            

The wise Charles Darwin told us, "It is not the strongest of the species that survives, nor the most intelligent , but the one most responsive to change. Adjusting to the conditions, instead of running away from them makes you strong in the biggest race of survival called life."


Sunday, 28 June 2015

Things Mentally Strong People Do


These are the most comman mistake first-time entrepreneurs


1. Keeping your idea secret.
This is one of the most stupid misconceptions about startup ideas (If I tell it to someone they'll steal it and make millions of it) Reality is that every loser has a business idea with a potential but most are not capable to execute it. And people who are able to execute ideas have plenty of their own. Of course, it's the execution not the idea - facebook came after friendster and myspace and google came after plenty of search engines.

2. Trying to build a product for everyone.
He who tries to please everybody, pleases nobody.

3. Lack of focus.
All entrepreneurs are cursed with having too many ideas that are too tempting not to be executed. The point is to be able to put everything else aside and focus on one with best timing and most potential. Jack Dorsey mentioned somwhere that he had his Twitter idea almost a decade before he started it and put it in shelf - which is his way of clearing distractions.

4. Ignoring cash-flow.
As already mentioned in many answers confusing cash-flow or ignoring it is surest way to fail.

5. Quitting too early + not failing soon enough.
Quitting and failing are 2 different things. Failing soon is about not wasting time (or falling in love) with features once you have enough evidence they aren't going to make profit - you should seek that evidence all the time. Quitting on another hand is giving up to circumstances while knowing that what you are doing can work and will make you happy.

6. Wasting time on what competition does.
I once got across a Tweet saying: "If you spend all your time looking at your competition your product will end up looking like competitions ass."

7. Picking the wrong co-founder and not having a shareholder's agreement in place.
Talking or wishing and doing are two separate things, when you are motivated and excited everyone feels like a winner. All people tend to overestimate themselves, however once it comes to action many back off or find reasons and excuses to go for the easy and safe route. Making sure you aren't giving equity to a "co-founder" before you get a proof is what shareholder's agreements are made for.

8. Issuing equity too early.
Many people you hire early on may only have a half-hearted commitment and ambitions on their own. Once I was going to offer small part of equity to an advisor and I had a chat about it with one experienced partner in a law firm. He told me:

"Why would you need an advisor who only does it for equity? Get people who are excited about your product and want to help out because of that excitement and belief in it, then after a year or more you can talk about equity."

Same thing with stock options, the ideal time frame should be around 5 years, if you give it to someone after 1 year of working they can simply walk away and take a free ride while you're working your ass off increasing the value of their stake.

9. Too many features - over complicating.
Everybody knows why Apple was so successful. Here's a quote from Albert Einstein that sums it up nicely:

"Any darn fool can make something complex it takes a genius to make something simple."
It's the simplicity not complexity that sells (and makes it hard to build)

10. Not seeking or using customer feedback.
"Well they may not tell you what you should build but they can surely tell what's wrong" - as Bill Gates believes.