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Monday, 10 February 2020

Old Monk and PPT Presentation

ये लेख एक सच्ची घटना पर आधारित है , लेकिन वैधानिक चेतावनी जारी करते हुए आपको सूचित करुगा की इसे अपने कॉलेज ,संस्थान जैसी जगहों पर ना दोहराये क्योकि इसके नतीजों के दुष्परिणाम हो सकते है
बात उन दिनों की है जब उत्तर प्रदेश के एक छोटे से कसबे का लड़का दिल्ली जैसे बड़े शहर में MBA करने जाता है , यु तो वो भी इंग्लिश मीडियम का छात्र था लेकिन बड़े शहरों के लड़की लड़को में जो कॉन्फिडेंस, स्मार्टनेस और प्रेजेंटेशन स्किल्स होती थी उससे वो उन सब से बहुत पीछे था। MBA में ६० परसेंट कोर्स प्रैक्टिकल और प्रेसेंटेशन्स पर आधारित होता है , लेकिन अब तो ओखली पर सर आ ही चूका था तो मूसल से डर तो निकालना ही था , हाथ पैर कापते थे प्रेजेंटेशन देने में , पोडियम का इस्तेमाल सिर्फ इसलिए होता था ताकि कोई कापते हुए पैर न देख ले और हां प्रेक्टिकल वाले दिन भुखार का वो झूठा बहाना भी काफी मददगार होता था।
प्लेसमेंट्स शुरू होने में बस ३ महीने बचे थे , और इंटरनेशनल प्लेसमेंट्स में अप्लाई करने से पहले हर स्टूडेंट को एक ३० मिनट की प्रेजेंटेशन देनी थी , उसमे फ़ेल होने पर मल्टीनेशनल कंपनी में काम करने का सपना सिर्फ सपना हो जाना था इसलिए हर कोई जीजान से तैयारी में लगा हुआ था।
विदेश में काम करने का सपना मैंने भी देखा था लेकिन प्रेसेनशन की उस प्रेत बाधा से निकलना बार बार मुस्किल हो रहा था। बार बार शीशे के आगे अटक अटक कर एक कोशिश मै भी कर रहा था और आखरी दिन तक अटकता रहा
समय आ गया था , सुबह के ८ बज रहे थे और सजा का समय दोपहर को २ बजे मुकवर हुआ था , एक कैदी से उसकी आखरी इच्छा पूछी जाती है , और अपनी इच्छा पूरी करने वो सीधे पास के ठेके पर ओल्ड मोंक का सहारा लेने पंहुचा , खाली पेट , दिल्ली की गर्मी में ओल्ड मोंक का एक एक पेग तेज़ाब की तरह अंदर जा रहा था , हर एक पेग में टूटते सपने थे , और आँख से सीधे गिलास में गिरते नमकीन आंसू पेग का वजन दोगुना कर रहे थे। लाल लाल आखे ले कर जब कॉलेज पंहुचा तो सब कुछ धुंधला लग रहा था ( सपने भी ) लेकिन डर कही दूर ठेके पर छूट गया। आगे का ज्यादा याद नहीं लेकिन तालियों की गड़गड़ाहट से नशा कुछ कमज़ोर ज़रूर हुआ था और 95 नंबर आये थे उस प्रेजेंटेशन में उसके , सुना था साक्षात " ओल्ड मोंक" ने वो प्रेजेंटेशन दी थी जिसके आशीर्वाद से विदेश भी गया और इंटरनेशनल प्लेसमेंट भी हुई
ये वाक्या युही पिछले हफ्ते याद आया जब पता चला नीतीश कुमार जी ne मदिरा पर पाबंदी लगा दी है , अच्छा कदम है नशा मुक्ति के लिए और इसका स्वागत भी होना चाहिए CM साहब ये भूल गए इसका असर सीधे तौर पर उनकी राज्य की एंग्रेज़ी भाषा पर पड़ेगा , नागिन डांस वाली वो अनूठी कला भी विलुप्ति की कगार पर आ सकती है , " परेशान मत हो तू मेरा छोटा भाई है " जैसे वाक्य सिर्फ किताबी बातें रह जायेगी। हर चीज़ के अपने नफे नुक्सान होते है , बचपन में पढ़ा था ज्यादा दूध पीने से भी दांत की कई बीमारी हो जाती है और एक पेग रोज़ लेने से दिल की बिमारी से बचा जा सकता है
अपनी अपनी ज़िन्दगी है सबको अपने अच्छे बुरे की पहचान है ये तो आप पर निर्भर करता है की " how you make it large "

Friday, 22 February 2019

बहुत बहुत मुबारक अगर आज कम नंबर आये हैं


सीबीएसई की बारहवीं के रिजल्ट आ गए हैं और अगर आज घर पे आपकी तेरहवीं मन रही है तो बहुत बहुत मुबारक।
क्या सोच रहे हो , रिश्तेदारों की तरह पेज एडमिन भी मज़ाक उड़ा रहा है , नहीं भाई , देखो ज्यादातर पता तो था ही तुम्हे की क्या आनेवाला है, किसी को बोलते नहीं थे लेकिन अंदर ही अंदर अंदाज़ा तो रहता ही है, हाँ कुछ दिन acting करो रोने धोने की, career discuss करो मामा के लड़कों से , एक दो टाइम dinner भी skip कर देना , लेकिन जब अकेले होना तो जी भर के खुद को शाबाशी देना , आसान थोड़े है सीबीएसई में कम नंबर लाना , खाली कॉपी भी छोड़ दो तो 33 दे देते हैं और कहीं पैर से लिख आओ तो भी 75% आ जाते हैं , इसलिए बहुत मेहनत और लगन से लाए हो ये मार्क्स।
खुश इसलिए होना कि अब कोई नहीं कहेगा टॉप करने को , टॉप करना दूर पास हो जाओगे न, तो भी तारीफ होगी , benchmark कोहली का बनाते तो तुलना भी मोहल्ले के सचिन से होगी, आज जब रविन्द्र जडेजा बन ही गए हो तो फिर क्या डरना , यहाँ से अच्छा ही करोगे , कोई IIT जाने के लिए नहीं बोलेगा , UPTU आ जाओ, बुरा है लेकिन अब हर कोई IIT में ही तो नहीं जा सकता , Resnic Halliday और HC वर्मा के बाहर भी एक दुनिया है , आओ इंजीनियरिंग करने , मज़ा आएगा, UPTU आ रहे हो तो और भी अच्छा है , ठोकर लगेगी, फिर खड़े होना , फिर लगेगी , फिर खड़े होंगे , फिर जब ;लगेगी तब तक आदत लग गई होगी, उठने में दर्द कम होगा, expectation word आज चला गया है , यहाँ से जो करोगे अपने लिए करोगे , अब तुमने साबित कर ही दिया है की PCM नहीं आती है तो क्यों न NIFT try करो - अपने अमेठी में खुल गया है, होटल मैनेजमेंट करो , Law के एक से एक integrated प्रोग्राम्स हैं, filmmaking करो, कुछ भी करो , अभी भी नहीं समझ रहा है की क्या करो तो कोटा जाओ और कोचिंग करो....12th पास लोगों का हरिद्वार है वो!
यकीं मानो आज ये पढ़ के लगेगा की क्या romantic writer है , यहाँ साल बर्बाद होता दिख रहा है और ये struggle में रोमांस ढूंढ रहा है, पांच साल बाद दिल्ली, मुंबई या बैंगलोर में जब सुनोगे की CBSE का 12th का रिजल्ट आया है सोचोगे की वो सही ही कहता था..........
Welcome to a new Life..... 

happy birthday daada

फ़र्ज़ कीजिये की आप टीम lead हैं, एक बहुत बड़ा प्रोजेक्ट sucessfully deliver हो गया है, कंपनी के MD ने पार्टी रखी है, आप उस पार्टी में अपनी बेटी के साथ जाते हो और जब Group फोटो के लिए बुलाया जाता है तो आप अपनी बेटी के साथ खेलने में व्यस्त हो, बस formality के लिए खड़े हो जाते हो। जब आपसे कोई पूछता है की सारे बड़े प्रोजेक्ट्स जीत लिए अब आगे क्या करोगे और आप बस यूँही बोल देते हो की एक बार और जीत लेंगे। जब कोई पूछता है की requirement gathering के लिए इतने बड़े client के सामने एक fresher को भेज दिया तो आप कहते हो की आप बस client का rhythm बिगाड़ रहे थे। ये सब हम में से कोई नहीं कर सकता क्यूंकि हमारी रेटिंग affect होगी लेकिन एक आदमी है जिसको पूरा देश rate करता है और उसको घंटा फ़र्क़ ही नहीं पड़ता। माही का फैन होना बहुत सरल है, माही होना बहुत मुश्किल। आपको किसी चीज़ के प्रति passionate भी होना है और मिलने के बाद उसे जाने भी देना है। वो umbilical cord जिससे आप किसी चीज़ से जुड़े हो, मिलते ही काट देनी है क्यूंकि यही एक Leader का कर्त्तव्य है। आपको पता है आपके हर टीम member की कमियां और उसकी खूबियाँ , उनकी vulnerabilities और उनकी strengths। आपको ये सब इसलिए नहीं पता है क्यूंकि आप brilliant हो पर क्यूंकि ये संघर्ष देखा है आपने, ऑफ-campus में apti , GD -PI , Interview के सवाल , जॉब का शोषण, दिवाली की छुट्टी का struggle , प्रमोशन की चमचागिरी और client की गालियां सब देखी है और शायद इसीलिए अपने टीम वालों को सबसे बचाते हो। ये किसी श्रीनिवासन की चमचागिरी करते हैं जिससे किसी विराट को फिर न करनी पड़े। ऐसा नहीं है की सब ख़राब ही मिले इन्हे, हर माही के पीछे कोई गांगुली मौजूद था। ये महज इत्तेफ़ाक़ नहीं है की माही के जन्मदिन के अगले दिन गांगुली का जन्मदिन है। बहुत सारे माही आपके आसपास हैं, सभी को धन्यवाद !

Well Played Gautam Gambhir

हमारी क्लास में कुछ लड़के होते हैं जो topper नहीं होते लेकिन उनके मार्क्स हमेशा अच्छे आते है, उनको कॉलेज के बहुत से लोग न जानते हो लेकिन जो जानते हैं, वो मानते है। वही बंदा गौतम गंभीर होता है. जिसने भी कभी क्रिकेट खेला है, वो जानता है की उस दिन धोनी से अच्छी पारी गौती ने खेली थी लेकिन 91 नाबाद अमर हो गया और 97 पे आउट होना कालचक्र में कहीं लुप्त हो गया। लोग भूल गए जब महज २५ रन पे दो विकेट निपट गए थे, कैसे तुमने सिंगल लेले कर मैच बनाया था, दूसरे छोर पे खड़े हुए जब सचिन को वापिस जाते देखा होगा और वो स्टेडियम में पसरा सन्नाटा महसूस किया होगा, कितना कठिन पल रहा होगा। लोग भूल गए जब तुमने दिलशान, मुरली, मलिंगा की एक एक गेंद को 'on -merit' खेला था। लोग भूल गए जब एक एक सिंगल के लिए तुमने उस दिन लम्बी लम्बी dive मारी थी। तुम्हारे भी ज़ेहन में एक बार तो 2003 फाइनल आया होगा, लेकिन उस दिन इतने बड़े मंच पे इतनी बड़ी ज़िम्मेदार पारी खेलने के लिए धन्यवाद। हम सबको वो स्मृति देने के लिए हम सब भारत वासी तहे दिल से शुक्रगुज़ार हैं।
2007 विश्वकप फाइनल की वो 75 रन की पारी हो या newzealand में वो ऐतिहासिक टेस्ट मैच बचाती पारी, शायद क्रिकेट journalist तुम्हे भुला देंगे,लेकिन क्रिकेट के जानकारों के ज़ेहन में तुम हमेशा रहोगे।
तुम्हारी वो प्रेस कांफ्रेंस जिसमे तुमने कहा था की माही ने बैटिंग slow की, मैं होता तो मैच फॅसने ही न देता। आज भी तुम्हे कमेंटरी करते देखता हु तो BCCI के चाटुकारों ( संजू मंजू या आकाश चोपड़ा) के बीच तुम्हारी बेबाक राय सुन के मज़ा आता है। तुम्हारी वो ज़िद्द, सैनिको का सम्मान और देश के प्रति वो जज़्बा वाकई काबिल-ए-तारीफ है। 

December ka mahina

"भीगा -2 सा ये दिसंबर है , ये दिसंबर का सर्द मौसम है" राहुल की आज भी हेलो tune यही रहती थी हर साल दिसंबर के महीने में। कुछ रिश्ता ही ऐसा था जो सर्दी,गाने और तन्हाई आज भी ऐसा x ,y ,z axis वाला 3-D coordinate system बनाते थे जिसका resultant vector 'प्रिया' ही बन जाता था।
ये कुल्फी की तरह ज़माने वाली सर्दी तो राहुल काट भी लेता पर कम्भख्त प्रिया की वो यादें जो ज़ेहन में जम जाती थी उनका क्या करता , वो तो बस हर साल किसी DVD की तरह सिर्फ rewind -play ही होती थी। कहते हैं कंप्यूटर की memory से data delete कभी नहीं होता ,सिर्फ memory location के coordinates delete होते हैं , अगर कंप्यूटर की memory इतनी वफादार थी तो राहुल का तो फिर वो सच्चा प्यार थी।
वो प्यार जो इंजीनियरिंग में तबसे हिलोरे ले रहा था जब इंजीनियरिंग में हम रोज़ नहाते थे या शायद तबसे जब हम रोज़ कॉलेज जाते थे मतलब शायद Freshers पार्टी से भी पहले से। कोहरे में जब visibility कम हो जाती है तो हॉस्टल से आने वाली लड़कियों में "अपनी वाली' पहचानना किसी specialization से कम नहीं होता,वैसे में scarf ,मफलर ,दुपट्टा या बंदी के silhouette से पहचानना 'विज्ञानं' नहीं 'कला' थी। ये कला किसी बाजार में नहीं बिकती ,इसे develop करना पड़ता है। खैर जैसे तैसे करके 'प्रिया का पिया' बनने का जो सपना देखा था , उसको पूरा करने के लिए हॉस्टल से कैंटीन तक ,कैंटीन से लैब तक और लैब से पार्किंग तक उसको ताड़ने की 'opportunity' create करना उसे चाहे 'इत्तेफ़ाक़' लगता रहा हो पर था वो 'हुनर' ।चार साल ये हुनर ऐसे develop किया था की प्लेसमेंट में CV का career objective इसी को लिख सकते थे और area ऑफ़ स्पेशलाइजेशन 'प्रिया' को। प्रिया से राहुल के bond बनने की chance उतनी ही थी जितनी किसी inert गैस के ionic bond बनाने की यानि tend towards zero ।
इंजीनियरिंग कॉलेज में किसी लड़की को Like करने का सबसे बड़ा नुकसान ये है की वो लड़की avoid करना चालू कर देती है और बाकी अपनी private क्लास से निकाल कर Void main में डाल देती हैं और लड़के वाकई में public objects बनकर रह जाते है जिन्हे कोई भी function कहीं से भी call करता है और कभी भी jump (), goto () या break कर देता है। वो original बंदी friend function के अंदर recursive loop लगा के बन्दे का clrscr () कर देती है।
राहुल बेचारा मोदी जी की बातों में आ गया था और सोचने लगा था की प्रिया उसके 'अच्छे दिन ' ला देगी लेकिन प्रिया ने उसकी ज़िंदगी में ऐसा रायता फैलाया की केजरीवाल की तरह राहुल की year बैक आ गयी। राहुल की हालत अब कांग्रेस के राहुल गांधी की तरह थी क्यूंकि अब वो उसका जूनियर हो गया था और प्रिया मोदी की तरह 'मिशन 9.2 CGPA' के सपने को साकार करके GMAT देकर अमेरिका का वीसा लगवाना चाह रही थी।पता नहीं क्यों 'प्यार का पंचनामा ' वाला Liquid का charecter राहुल की याद दिलाता था। पता नही शायद मैं ही pessimistic था और क्या पता राहुल PK मूवी का 'सरफ़राज़' था।
कहानी आगे लिखने का मन तो है लेकिन शायद ये कहानी आपको आपके किसी ख़ास दोस्त की कहानी जैसी लग रही हो और इसलिए मैं इसे आगे ले जाकर एक सुखद या दुखद अंत नही देना चाहता क्यूंकि हर कहानी सुनी नहीं जाती ,कुछ कहानिया जी जाती हैं , शायद आप खुद 'राहुल' हो या किसी राहुल के दोस्त हो क्यूंकि राहुल Proper Noun नहीं है ,ये तो Common Noun है।
क्या आप किसी ऐसे राहुल को जानते हैं या आपके क्लास में ऐसी कोई प्रिया पढ़ती है ?
ऐसा तो नहीं की वो 'राहुल' आईने में हो … सुना है आजकल राहुल की हेलो tune "किताबें बहुत सी पढ़ी होंगी तुमने,मगर कोई चेहरा भी तुमने पढ़ा है" है
Note: जल्द आ रहा है UPTU के students का one -stop -career -destination- Youtube-Channel, See Ya Soon !!!

नया साल तो बस हॉस्टल में होता था


वो भी क्या दिन थे जब 31 दिसम्बर की रात को कोई प्लान नहीं होता था क्यूंकि न जेब में पैसे होते थे और न शहर के डिस्क में stag एंट्री। होती थी तो बस कड़ाके की सर्दी , चार दोस्त, एक old monk और खूब सारे गानों पे बहुत सारा नाच । बस नाच , अच्छा या बुरा, न मायने रखता था न किसी को कोई फ़र्क़ पड़ता था दो पेग के बाद। फिर क्या हिंदी , अंग्रेजी और भोजपुरी गाने, सब माइकल जैक्सन नागिन डांस ही नाचते थे। बाहर खाने जाते थे तो किसी ढाबे पे जहाँ कढ़ाई चिकन और लच्छा परांठा मिलता हो । ये वो दिन थे जब चार बोतल वोडका, काम मेरा रोज का गाना नहीं motto था। रात भर दहला पकड़ होता था और बीच में सिगरेट से छल्ला बनाने का हुनर विकसित किया जाता था। आज कल के लौंडों की तरह टेबल बुक कराने जैसा मामला न था, न Zomato Gold जैसी कोई चीज़ थी लेकिन फिर भी सबसे अच्छी न्यू ईयर पार्टी तो कंगाली के दिनों में ही थी। आज मिल तो सब जाता है लेकिन रात के दो बजे तकिया के नीचे से निकाल के सुट्टा न मिलने पे दिसंबर की ठण्ड में बस स्टैंड तक बड़ी gold-flake लेने चलने वाला दोस्त नहीं मिलता। पूरा सिगरेट का डब्बा पर्स में है लेकिन पता नहीं उस चोरी की सिगरेट को पांच लोगों share करने पर मिलने वाली एक कश कैसे भारी पड़ती है।
ये वो दिन थे जब हफ़्तों बीत जाते थे बिना नहाये और deodorant भी उधार का होता था, नया साल तो बस हॉस्टल में होता था !
फ़ोन उठाओ और किसी दोस्त को बोलो Happy New Year, एडमिन भी दोस्त ही है वैसे !

Follow your Passion wali job

क्या वाकई में UPTU से इंजीनियरिंग करके Follow your Passion वाली नौकरी मिल सकती है।
"मैं कंप्यूटर साइंस का छात्र हू लेकिन मुझे coding में कोई interest नहीं है, क्या मै कुछ और कर सकता हू जैसे journalism या फोटोग्राफी। "
"UPTU में नौकरी तो लगती नहीं है, उसपे तुम्हे मनचाही नौकरी चाहिए, औकात में सोचो"
"GATE या CAT ही रास्ता है, और कोई चारा नहीं है, Core ब्रांच में तो कोई स्कोप ही नहीं है और Bank PO वाली अपनी Apti नहीं है"
"Final ईयर में आ गए और पता ही नहीं है की अपना passion किधर है"
लम्बी सांस लो, तीन बार, एक गिलास पानी पियो, खिड़की से बाहर देखो, हवा को महसूस करो और भरोसा रखो, भगवान से ज्यादा खुद पे क्यूंकि तुम पहले नहीं हो ये महसूस करने वाले और न आखिरी होगे, पीछे पलट के देखो, कितना रस्ता चल आये हो, कहाँ थे और यहाँ तक कैसे आये, सोच के देखो, सब कुछ unplanned ही था ना, फिर planning किस बात की कर रहे हो। जब कोई प्लान कभी नहीं चला तो आगे भी mostly नहीं चलेगा। प्लानिंग destination की करनी ही नहीं है, planning करनी है journey की, मंजिल जो भी हो, journey में struggle पक्का है, planning struggle की करनी है, प्लानिंग उन skill sets की करनी है जो journey में तुम्हे टूटने से बचाएंगे, यकीन मानो इंजीनियरिंग का पढ़ा कुछ काम नहीं आना है लेकिन इंजीनियरिंग में सीखी प्रेशर handling capability , team work , leadership, तुम्हारी नयी चीज़ जल्दी सीखने की quality , mail लिखना, Excel में चार्ट बनाने की छमता, अंग्रेजी भाषा में command, इंजीनियर की तरह problem solving attitude,चमचागिरी और गलत चीज़ें देखकर ethical होने की छमता ये सब काम आएगा।
जब इंजीनियरिंग में होंगे तो सोचोगे की बस कहीं नौकरी लग जाए, बाद में समझोगे की मनचाही नौकरी कितनी ज़रूरी है। नौकरी और मनचाही नौकरी में शायद तीन चार साल निकल गए होंगे, शायद तब भी नहीं समझा होगा की तुम किस चीज़ में वाकई passionate हो लेकिन ये समझ गए होंगे की किस्मे एकदम ही नहीं हो। ये पहला कदम होगा सही दिशा में। धक्के बहुत मिलेंगे, NIT और IIT वालों के सामने बेइज़्ज़ती भी होगी जब उन्हें precedence दी जाएगी, फिर आदत पड़ जाएगी और पता नहीं चलेगा की कब फ़र्क़ पड़ना बंद हो जाएगा। फिर एक दिन NIT और IIT वाले तुम्हे रिपोर्ट करेंगे और फिर भी तुम्हे फ़र्क़ नहीं पड़ेगा क्यूंकि एक लेवल के बाद emotion भी emotionless हो जाते हैं। ये वो समय होगा जब पैकेज के लिए काम नहीं करोगे, कुछ और मिलना चाहिए, ऐसी सोच होगी, भले दो पैसे कम मिले। मन करेगा सब कुछ छोड़ के अपने गाँव में गरीब बच्चों को पढ़ाऊँ, अपनी ज़रूरतें तो ज्यादा कभी थी ही नहीं, रह लेंगे लेकिन वो होम लोन और कार लोन वापिस जाने नहीं देंगे ।
ऑफिस में अपनी डेस्क से बाहर देखते हुए उस कबूतर को देखोगे जो हमेशा तुम्हारी खिड़की में ही बैठता है और सुट्टा मारते हुए सोचोगे की इसके पास पंख है, ये उड़ के कहीं भी जा सकता है लेकिन जाता क्यों नहीं और फिर सिगरेट बुझाते हुए मुस्कुराते हुए सोचोगे की ये बात तो तुमपे भी लागू होती है और वापिस सीट पे आके अपना कोड लिखने बैठोगे, लग जाओगे appraisal, deadline, onsite, जॉब switch की इस rat race में, एक दिन अपने कॉलेज के alumni group से मेल आएगा की कॉलेज में बुलाया है, Guest Lecture में बच्चों को मोटीवेट करने और वहां जा के तुम भी उन्हें 'Follow your Passion ' बोल के आओगे और उस दिन खूब हंसोगे और इतना हँसोगे की रोने लगोगे अपने इंजीनियरिंग के दोस्त से बात करते करते।
रणबीर कपूर की फिल्मे देखते हुए सोचोगे की follow your पैशन शायद एक myth है लेकिन तुम्हारे क्लास का एक लड़का जो पढ़ने में ठीक ठाक था आज एक बड़े ऑनलाइन न्यूज़ वेबसाइट में क्रिकेट और फिल्म review करता है उसको देख के एक बार को ख्याल आएगा की शायद वो सब myth नहीं था बस एक कदम उठाना था जिसकी शायद हिम्मत नहीं जुटा पाया मै।
तब समझोगे की UPTU का उस Passion वालीं नौकरी से तो कोई लेना देना कभी था ही नहीं , उसका लेना देना सिर्फ तुमसे है।

Saturday, 24 March 2018

******Theory of Relative Break-Up************

आज कल हर चीज़ relative हो गयी है। physics में relative velocity के concept जैसी …… यहाँ तक की breakup भी
काफी समय से कोशिश करने के बाद भी जब लगा की अब नहीं हो पा रहा है तो एक दिन "'Its over" बोल दिया। सोचा था ये ऐसा होगा की जैसे desktop से Shift -delete करने जैसा। पूरी file एक बार में गायब , ना सुराग , ना सबूत।
लेकिन ऐसा था नहीं , आज कल की ज़िंदगी में breakup absolute नहीं रह गए , वो relative हो गए है। आप शहर बदल सकते हो , नौकरी बदल सकते हो लेकिन वो जाते नहीं , फेसबुक से उनको तो unfriend कर सकते हो लेकिन क्लास के 58 mutual friends की वजह से वो timeline में आ ही जाते हैं | आप reference फ्रेम बदल सकते है , force के component नहीं.
Whatsapp group हो या instagram ना चाहते हुए भी आपको उनका हर टैग आ ही जाता है , मैंने शहर बदल लिया , नौकरी बदल ली , number तक बदल लिया लेकिन कुछ फाइल्स Operating system ही corrupt कर देती है और अगर system format भी कर दो तो कुछ नीछ दोस्त बैकअप लेकर घूमते रहते हैं , तुरंत CD लगा के फिर upload कर देते हैं , दारु शायद आज के युग की time मशीन है। पीते ही फिर उसी दौर में पहुँच जाते हैं जहाँ आज भी आतिफ और मै साथ साथ गाते है , " गुलाबी आँखें जो तेरी देखी , शराबी ये दिल हो गया ". आज भी उस अनजान शहर की गलियों में उसको ढूंढता मैं और भगवान की की तरह प्रकट होती वो याद है , उसका चेहरा अब ज़ेहन में धुंधला गया है कुछ वैसे ही जैसे 19 का पहाड़ा , धुन में गाऊंगा तो शायद आज भी याद आ जाए
Breakup एक शब्द नहीं है , एक जज़्बात है , एक पूरा वक़्त है , मेरा एक हिस्सा है , break up, velocity की तरह relative होते हैं . "its over " और "I finally moved on" में एक बहुत लम्बा वक़्त होता है . बहुत लम्बा।
कुछ घाव वक़्त नहीं भर पाता , बस उनके साथ रहने की आदत डाल देता है

****** I am an Engineer and I work in a Bank******

हाँ इंजिनीरिंग के बाद मैं बैंक में काम करता हू , तो तुम्हारे बाप का क्या जाता है। हाँ कटवारिया सराय में की थी NTPC और BHEL की तैयारी , नहीं निकला , कुछ दिन मास्टर बनने का भी सोचा था लेकिन वहां तो सिर्फ boring और पढ़ीस जाते हैं तो उन्होंने भी नहीं लिया ,कॉलेज का प्लेसमेंट शुन्य बटा सन्नाटा है तो बैंगलोर भी गया था walk -in पे , नहीं हुआ , C++ पूछ रहे थे और मैं ठहरा इलेक्ट्रिकल का लौंडा (वैसे इलेक्ट्रिकल भी पूछ लेते तो क्या ही बता पाता) . समझ आ गया की भाई कुछ नहीं रखा है इस प्राइवेट नौकरी में , पतली गली से कट लिया , आज सरकारी बैंक में PO हू , हाँ पोस्टिंग महाराष्ट्र के अकोला में हुई है लेकिन नेक्स्ट पोस्टिंग में पहुँच जाऊंगा सीतापुर के पास लखीमपुरखीरी की किसी ब्रांच में और तुम फुनसुनक वांगडू समझने वालों रहना 1BHK में दिल्ली , मुंबई और बैंगलोर के। जीतते बड़े घर होते हैं न तुम्हारे शहरों में , उतने में तो हम UP वाले कूलर रखते हैं , और हाँ क्या कहते हो तुम 'Monotonous जॉब है हमारी " , तुम कौन से National Geographic channel में काम कर रहे हो बे , TCS , Accenture और wipro में ओन-साइट के मोह में घिस रहे हो , ये जन धन योजना से pressure आ गया है लेकिन गुरु तुम्हारी तरह 16 घंटे वाला काम नहीं करता हू , और हाँ ये जो alternate saturday Off घोषित हुआ है न , इसका मतलब पता है - saturday 'छुट्टी' रहेगी। कोई माई का लाल बुला के दिखा दे alternate saturday , बॉस छोडो , रघुराम राजन भी नहीं बुला सकता , तुम्हारी तरह saturday को work from home नहीं करते हम , खुद को ये सांत्वना भी नहीं देते की घर में गर्मी है तो आ गए AC में मुफ्त की चाय पीने।
क्या बोलते हो , technical पढ़ाई करके बैंक में ही जाना था तो बी टेक क्यों किया , भाई बात ऐसी है की बीएससी में नही हो रहा था , इंजीनियरिंग में हो गया , और रही बात non -technical काम की तो सालों तुम कौन सा Operating System बना दिए हो बे , Cut -Copy -Paste करते हो सॉफ्टवेयर companies में और खुद को टेक्निकल कहते हो। भाई साहब , इंजीनिरिंग डिग्री नहीं है , एक सोचने का तरीका है , इंजीनियरिंग का मूल सिद्धांत पता है ,"Optimum utilization of Resources" . चाहे advertising हो या politics , Management हो या बैंकिंग हम जहाँ भी जाते हैं न , वहां कुछ थोड़ा सा innovation करना, थोड़ा सा काम आसान करना भी भी इंजीनियरिंग है , लोग मेरे बैंक में cash deposit के लिए एक घंटे line में खड़े रहते थे , उनको टोकन देके बैठने देना भी इंजीनियरिंग है.
ऐसा नहीं है की सब अच्छा है,ऐसा नहीं है की मै ambitious नहीं हू , लेकिन जब तुमने सीतापुर और मुंबई में मुंबई को चुना था तो मैंने सीतापुर चुना है, मैं माँ -बाप से अभी skype पे बात करता हु लेकिन अगले साल घर में बैठ के गप्पे मारूंगा , फिर जब किसी बैंक वाले इंजीनियर का मज़ाक उड़ाना तो सोचना की क्या कह सकते हो ये बात १००% confidence से
फिर कभी ये मत बोलना की इंजीनियरिंग करके बैंक में क्यों......

टीचर्स डे

उम्र - बस इत्ती कि स्कूल और मम्मी-पापा के नाम की स्पेलिंग याद हो पायी है.
बहाना - पेट में दर्द था.
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उम्र - इतनी कि स्कूल जाने के लिए साइकिल और साथ ले जाने के लिए कुछ रूपये मिलने लगे थे.
बहाना - लाइट नहीं आ रही थी.
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उम्र - इतनी कि शर्ट के कॉलर का बटन बंद होना और बाज़ू नीचे रहनी भूल चुकी थीं.
बहाना - प्रोजेक्ट सबमिट करना था.
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उम्र - इतनी कि दोस्तों के साथ मनाली और देहरादून अकेले घूम लिया था और कॉलेज के बगल में गुमटी पर खाता चलने लगा था.
बहाना - कोई नहीं. क्लास कौन जाता है?
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उम्र के पड़ाव बीतते जाते हैं, होमवर्क न पूरा होने के बहाने बदलते जाते हैं लेकिन वो एक शख्स हमेशा कॉमन रहता है. सब्जेक्ट बदलते हैं, नाम बदलते हैं, बोल-चाल बदल जाती है, खड़ूस होने की सीमा बढ़ या घट जाती है लेकिन टीचर वहीँ मौजूद रहता है. अपने डस्टर और चाक के डब्बे के साथ.
सूरदास ने कहा था कि दुष्ट, काले कम्बल के समान होते हैं जिनपर दूसरा कोई रंग नहीं चढ़ता. दरअसल उनके समय में चाक और डस्टर का ईज़ाद नहीं हुआ था वरना देखते वो भी कि कैसे दीवाल में जड़े एक काले बोर्ड पे चाक घिस घिस के हम जैसे दुष्टों की नइय्या पार लगाने वाले लोग भी हैं. वो लोग जिन्हें हम सर या मैडम कहते हैं.
आज टीचर्स डे है. स्कूल में होते तो क्लास सजाते. जियोग्राफी वाली मैडम के लिए कुर्सी ठीक पंखे के नीचे रक्खी थी और पंखे के ऊपर चाँद-सितारे, फूल, रंगीन काग़ज़ के टुकड़े रक्खे थे और उनके बैठते ही पंखा चलाया गया था और वो सारा मलबा उनपर उड़ता हुआ आ गिरा था. बस पांच से छः सेकंड का मजा था लेकिन वो गजब ख़ुश हो गयीं थीं. क्लास टीचर थीं वो हमारी. पूरी क्लास को एक-एक पेटीज़ और साथ में एक फ़्रूटी का पैकेट दिलवाया था. मेरी बेस्ट-फ्रेंड एक लड़की थी जिसके साथ ही मैं घर वापस जाता था. उस दिन घर जाते वक़्त पूरे रास्ते हम यही बात कर रहे थे कि मैम हल्का सा रोईं थीं या बस हमको ही ऐसा लग रहा था. वैसे आज सोचो तो लगता है कि हमने भी किसी ज़माने में राहुल गाँधी वाली हरकतें की हैं.
कुछ दिन पहले वो बैंक में काम करने वाली पोस्ट में किसी ने लिखा था कि 'जो कुछ नहीं कर पाते फैकल्टी बन जाते हैं'. मैं ऐसे लोगों से मिला और पढ़ा हूँ जिन्होनें बहुत कुछ किया और फैकल्टी बन गए और इसके बाद भी बहुत कुछ करते रहे. हमें तमीज़ सिखाना भी उनके 'बहुत कुछ' करने का एक हिस्सा था. जो भी है, लेक्चर नहीं देंगे, वो काम फैकल्टी का होता है. हम तो बस इतना ही कह रहे हैं कि जो कुछ नहीं कर पाने वालों को थोड़ा-बहुत कर पाने लायक बना देते हैं वो ही फैकल्टी बन पाते हैं.
हमको दो मिनट के लिए गेस्ट-फैकल्टी मान लो और जो कहते हैं सुनो. अपने टीचर्स का नंबर निकालो. न नंबर मिले तो फेसबुक पे ढूंढो. ई-मेल आई-डी तो होगा ही. कॉल करो, वाल पे लिखो, मेसेज करो, मेल करो, और उनको थैंक-यू और सॉरी दोनों ही बोलो. थैंक यू इसलिए कि जिस भी लायक हो, उसका एक बहुत बड़ा श्रेय उन्हें भी जाता है और सॉरी इसलिए कि अक्सर जब वो तुम्हें एक बेहतर इंसान बनाने की कोशिश में लगे हुए थे, उस वक़्त तुम अपने कॉलर के बटन खोले और शर्ट की बाजू चढ़ाये यही सोच रहे थे कि 'जिसे कुछ नहीं करना आता वो फैकल्टी बन जाता है.'

~एक इंजीनियर की खब्त

ये जो लड़कियाँ होती हैं न, ये internet browser सी होती हैं. मैं इंजीनियर हूँ इसलिए आदत से मजबूर हूँ. इससे बेहतर example सूझ नहीं रहा. Internet browser ऐसे कि जब जो जी में आया, वो पेज visit किया और जब जी में आया, tab close कर एक नया tab खोल लिया. अक्सर जब कुछ ऐसे पेज खुल जाते हैं जिनके link वो और देर अपने system में नहीं रखना चाहतीं, तो history erase कर देतीं हैं.
लड़के वो होते हैं जो इन browser से wallpapers डाउनलोड करते हैं. अक्सर कई wallpaper होते हैं जिन्हें हम अपनी hard-disk में C://Windows/System32 में Data नाम का फोल्डर बना कर रखते हैं. पर गाहे-बगाहे, एक wallpaper हम ऐसा भी डाउनलोड कर लेते हैं जिसे हमने अपना deaktop wallpaper बनाने का सपना संजोया होता है. यकीन मानिये उस दिन के बाद से System32 भी एक क्लिक को तरसता है और बस वो उस एक डाउनलोड की हुई JPG फ़ाइल को घंटो Picture Gallery में preview करते हुए एक असीमित deadlock में चला जाता है. रंज सिर्फ़ इस बात का है कि इस desktop wallpaper की जगह ले सकने वाला wallpaper न ही किसी संता-बंता के बस की बात मालूम देता है और न ही google images की.
कल रात अपने desktop wallpaper से फ़ोन पर बात हुई. आखिरी बार शायद. मालूम चला कि browser history काफ़ी दिन हुए erase की जा चुकी है. मैंने लाख system restore to previous restore point का इस्तेमाल करना चाहा पर हर बार ये task मेरे admin rights से बाहर मिला. मैं अपने system से account को log off तो कर चुका हूँ पर sleep mode में नहीं रख पा रहा. Improper shut down में हार्ड डिस्क corrupt होने का खतरा है. मुसीबत से निबटने को कोई सिस्टम इंजीनियर हो तो ज़रूर इत्तेला करें.

"Start up India, Stand Up India " का सपना

Dear Modi Sir,
आप US में silicon valley में tech giants से मिल रहे हैं और यहाँ मैं घर से कुछ 1800 km दूर अपने 1 रूम kitchen में अपने एक बिहारी दोस्त के साथ रहता हू। क्या है न यहाँ बैंगलोर में UP -बिहार सब एक होते हैं - 'North Indians'. यही बोलते हैं हमे , घर से दूर यहाँ मैं 'सॉफ्टवेयर developer who works on java platform' , मेरा बिहारी दोस्त एक टेलीकॉम कंपनी में Tester है। घर वालों से मैं skype पे बात कर लेता हूँ (लखनऊ में नेताजी का सुशासन जो है ) , वो नहीं कर पाता , छपरा में 2G चल पाये , वोई बहुत है , आज भी रात को लाइट आँख -मिचोली खेलती है ( मेरा रूम मेट यादव है , कहता है लालू ने यादवों के लिए बहुत किआ है छपरा में) , खैर मेरे जैसे बहुत सारे लोग UP और बिहार में अपने घर वालों से दूर रहते हैं , शायद इसके लिए नेता ज़िम्मेदार हैं लेकिन उन नेताओं को चुनने के लिए हम भी तो ज़िम्मेदार हैं , फिर एक नेता 'special status ' मांगने को चुनावी मुद्दा बनाता है मतलब पहले state की जनता खुद बेवकूफ सरकार चुने फिर पूरे देश की taxpayer जनता उसको चंदा दे सुधरने के लिए , मैं politics की बात क्यों कर रहा हूँ , इसका JAVA से क्या सम्बन्ध , अजी सम्बन्ध है , बहुत बड़ा सम्बन्ध है - मराठी TL जब गणपति पे मराठी team members को छुट्टी दे देता है और Chhath की छुट्टी project deadline बोल के cancel कर देता है तो politics ज़ेहन में आती है , south indian project lead जब कहता है की दिल्ली में तो बस rape होते हैं तो मन करता है की पराठे वाली गली की उस कढ़ाई में इसे ही तल दू लेकिन अगर मैं पलट के जवाब देता हू तो मैं बुरा नहीं बनता , पूरा UP -बिहार 'कमीना' हो जाता है , ये बैंगलोर और पुणे में real estate के दाम हम ही ने बढ़ाये हैं लेकिन आज भी कोई ठाकरे कभी भी पीट जाता है, घर से दूर रह के नौकरी कीजिये, पॉलिटिक्स में रूचि आ ही जाएगी साहब
फिर आज मोदी बोलेंगे की कैसे साँपों का देश अब mouse से जाना जाता है लेकिन कैसे पूरा UP - बिहार अपने ही देश में refugee बना बैठा है, इस पर भी सुन्ना चाहता है आपका एक 'भक्त' .इन सभी companies जिनके CEOs से आप मिलने जा रहे हैं उनके R&D centres यहीं हैं लेकिन क्यों रोज़ १२-१४ घंटे काम करके हमे इत्ती सैलरी दी जा रही है की हम बस अगले दिन काम पे ही आ पाएं इस पर भी कुछ सुन्ना चाहता हु Sir, खुद billing घंटों की हमे TDS काट के इतना भी नहीं मिलता की टैक्स pay करना पड़े और उसपे दिवाली की छुट्टी approve कराने के लिए reservation खुलने के 15 दिन पहले से काम ज्यादा करके मैनेजर की चापलूसी करनी पड़ती है वो अलग। ये सबसे तंग आके कुछ दोस्त MBA चले जाते है और कुछ start up खोल लेते हैं।
weekend to weekend ज़िंदगी जी रहे हैं लाखों सॉफ्टवेयर इंजीनियर मोदी सर, बहुत मेहनत करते हैं और भी पूरा कआपका "Start up India, Stand Up India " का सपना रेंगे , कुछ तो बात होगी ही जो आज सारी बड़ी कंपनीज़ के CEOs भारतीय हैं, बस सर हमारे UP - बिहार में भी IT पार्क्स खोलिए , Infosys खुर्जा , TCS संभल, Mckenzie मथुरा , Adobe आगरा और Google Gorakhpur देखने का बड़ा मन है
और हाँ ये mail saturday night को ऑफिस में night shift में बैठा लिख रहा हू
Thanks and Regards
सॉफ्टवेयर इंजीनियर
Note: This mail is confidential and property of "दो कौड़ी की MNC" and don't print unless very necessary

मुहल्ले वाला पढ़ने में सबसे तेज़ लड़का ki story

मुहल्ले का वो लड़का ,
जो पढ़ने में सबसे तेज़ था,
ग्यारहवीं क्लास में आते आते ,
चश्मा पहनने लगा था ,
इंजीनियरिंग में एडमिशन के लिए ,
दिन रात एक करता था ,
coaching वाली लड़की जो ,
Irodov और H C verma की किताब में ,
friction वाले सवाल की तरह अटक गयी थी ,
उस लड़की को दूर भगाता था ,
बस एक बार इंजीनियर बन जाये ,
तो लड़की के घर जाकर ,
हीरो माफ़िक हाथ मांग लेगा उसका ,
अच्छे कॉलेज से इंजीनियरिंग का कुल
इतना ही मतलब समझता था ,
लड़का इंजीनियर बन गया ,
सुना है बड़ी कंपनी में नौकरी भी करता है ,
कंपनी में और भी ना जाने कितने मुहल्लों के,
पढ़ने में सबसे तेज़ लड़के हैं ,
कंपनी जैसे हजारों मुहल्ले निगल जाती हो ,
लड़के के मुहल्ले के कई लड़के ,
उसके जैसा होना चाहते हैं ,
चश्में का नंबर बढ़ गया है ,
अच्छे मेहंगे चश्में से भी वो ,
coaching वाली लड़की साफ नहीं दिखती ,
वो ऐसे ही किसी दूसरे मुहल्ले के ,
पढ़ने में सबसे तेज़ लड़के की बीवी है ,
लड़का जिंदगी से हरा नहीं है ,
उदास भी नहीं है ,
घूमता-फिरता है ,
कार्ड swipe करता है ,
जैसे टाइम से सुबह स्कूल जाता था ,
वैसे ही टाइम से अब ऑफिस जाता है ,
हाँ जैसे टाइम से स्कूल से आता था ,
वैसे टाइम से ऑफिस से नहीं आता ,
स्कूल का होमवर्क करता था ,
अब ऑफिस का काम घर लाता है ,
1st मई की छुट्टी के लिए बड़ा ही excited है ,
ऑफिस में सबसे बहस करता है ,
कि “हम मजदूर थोड़े हैं “
उसे बस छुट्टी से मतलब है ,
रोज़ “चूर” होकर होकर लौटता है ,
कभी थककर कभी बिना थके ,
शाम को घर आता है ,
खाना खाकर टीवी देखकर,
किसी न्यूज़ चैनल की TRP बढ़ाता है ,
अगले दिन आराम से दिन के 12 बजे ,
पापा के फ़ोन से उठता है ,
हँस के बताता है
“आज छुट्टी है “
पापा को समझाता भी है
“वो मजदूर थोड़े है “
फोन काटने के बाद ,
शीशे में खुद को देखकर ब्रश करता है ,
एक बार मुँह धोता है ,
और फेसवाश अपने चेहरे पर रगड़ कर ,
ऑफिस वाले चेहरे की क्रीम लगाता है ,
एक बार फिर ध्यान से देखता है ,
शीशे वाले चेहरे को और बुदबुदाता है ,
“मैं मजदूर थोड़े हूँ ,
मैं मजबूर थोड़े हूँ “
पता नहीं एक दम से क्या याद आता है उसको ,
और मुहल्ले वाला पढ़ने में सबसे तेज़ लड़का ,
दुबारा मुँह धो लेता है.

Welcome to a new Life.....

*******बहुत बहुत मुबारक अगर आज कम नंबर आये हैं ********
सीबीएसई की बारहवीं के रिजल्ट आ गए हैं और अगर आज घर पे आपकी तेरहवीं मन रही है तो बहुत बहुत मुबारक।
क्या सोच रहे हो , रिश्तेदारों की तरह पेज एडमिन भी मज़ाक उड़ा रहा है , नहीं भाई , देखो ज्यादातर पता तो था ही तुम्हे की क्या आनेवाला है, किसी को बोलते नहीं थे लेकिन अंदर ही अंदर अंदाज़ा तो रहता ही है, हाँ कुछ दिन acting करो रोने धोने की, career discuss करो मामा के लड़कों से , एक दो टाइम dinner भी skip कर देना , लेकिन जब अकेले होना तो जी भर के खुद को शाबाशी देना , आसान थोड़े है सीबीएसई में कम नंबर लाना , खाली कॉपी भी छोड़ दो तो 33 दे देते हैं और कहीं पैर से लिख आओ तो भी 75% आ जाते हैं , इसलिए बहुत मेहनत और लगन से लाए हो ये मार्क्स।
खुश इसलिए होना कि अब कोई नहीं कहेगा टॉप करने को , टॉप करना दूर पास हो जाओगे न, तो भी तारीफ होगी , benchmark कोहली का बनाते तो तुलना भी मोहल्ले के सचिन से होगी, आज जब रविन्द्र जडेजा बन ही गए हो तो फिर क्या डरना , यहाँ से अच्छा ही करोगे , कोई IIT जाने के लिए नहीं बोलेगा , UPTU आ जाओ, बुरा है लेकिन अब हर कोई IIT में ही तो नहीं जा सकता , Resnic Halliday और HC वर्मा के बाहर भी एक दुनिया है , आओ इंजीनियरिंग करने , मज़ा आएगा, UPTU आ रहे हो तो और भी अच्छा है , ठोकर लगेगी, फिर खड़े होना , फिर लगेगी , फिर खड़े होंगे , फिर जब ;लगेगी तब तक आदत लग गई होगी, उठने में दर्द कम होगा, expectation word आज चला गया है , यहाँ से जो करोगे अपने लिए करोगे , अब तुमने साबित कर ही दिया है की PCM नहीं आती है तो क्यों न NIFT try करो - अपने अमेठी में खुल गया है, होटल मैनेजमेंट करो , Law के एक से एक integrated प्रोग्राम्स हैं, filmmaking करो, कुछ भी करो , अभी भी नहीं समझ रहा है की क्या करो तो कोटा जाओ और कोचिंग करो....12th पास लोगों का हरिद्वार है वो!
यकीं मानो आज ये पढ़ के लगेगा की क्या romantic writer है , यहाँ साल बर्बाद होता दिख रहा है और ये struggle में रोमांस ढूंढ रहा है, पांच साल बाद दिल्ली, मुंबई या बैंगलोर में जब सुनोगे की CBSE का 12th का रिजल्ट आया है सोचोगे की वो सही ही कहता था..........
Welcome to a new Life.....

EK Dost ki story " time lagat hai but success milta hai"

                                               ****उस दिन अगर IIT निकल गया होता तो !!!*****


sunday को अखबार पढ़ते पढ़ते , चाय की चुस्की पे ख्याल आया की अगर इंजीनियरिंग में IIT निकल गया होता तो आज मैं कहाँ होता। IIT से इंजीनियरिंग करके शायद आईआईएम से MBA करने जाता। किसी FMCG कंपनी में Branding कर रहा होता या शायद खुद की startup में लगा होता। onsite भी घूम आया होता, क्या पता USA के किसी बड़े शहर में अपने अपार्टमेंट में बैठा सोचता की quality ऑफ़ life भारत में नहीं है, बच्चों को global citizen बनाऊंगा वगैरह वगैरह ।
सवाल आया की आखिर मैं कहाँ हू और यहाँ तक कैसे आया ।
उत्तर प्रदेश के एक अव्वल दर्ज़े के कूड़ा कॉलेज से इंजीनियरिंग करी , सच पूछो तो कंप्यूटर साइंस में चार साल में एक भी कोड लिखना ही नहीं पड़ा। सब इलेक्ट्रिकल और इलेक्ट्रॉनिक्स वाले पढ़ते रहते थे, हम कैंटीन और फ़ोटोस्टेट से ही पास हो जाते थे। लोग कहते थे की CS और IT are the art side of engineering , माना तो नहीं लेकिन लगने हमे भी लगा था। ये बात सही भी है की कंप्यूटर साइंस की इंजीनियरिंग की पढ़ाई आसान है लेकिन ये भी उतना ही सच है की कंप्यूटर साइंस में ही हर ३ साल बाद relevant रहने के लिए नयी language भी सीखनी पड़ती है branches को नहीं करना होता (काफी हद तक)।
कॉलेज से प्लेसमेंट नहीं हुआ था, नॉएडा में पैसे दे के , जी हाँ पैसे दे के, एक कंपनी में Java development करता था। 6 महीने की paid जॉब के बाद उसको बोला की कुछ तनख्वाह दे दो तो उसने बोला कल आके ले लेना। अगले दिन जब pay स्लिप दी तो जितनी सैलरी महीने के 26 दिन की बनी थी, ४ sunday की छुट्टी की काट ली गयी थी और Net Pay 'Zero' लिखा था। आज भी keyboard पे ये टाइप करते करते रोए खड़े हो गए हैं। उस दिन बेहिसाब रोया था रजनीगंधा चौक पे खड़े होके।
डेढ़ साल हो चुके थे, कंपनी वालों ने पता नहीं काम देख के, या तरस खा के 1 .5 लाख सैलरी कर दी थी। नॉएडा में ४ लोगों के साथ एक रूम में PG में रहते थे। एक दिन गुडगाँव की एक कंपनी से कॉल आया, नाम था IBM, इंटरव्यू देने गए तो पता लगा ऑफ रोल पोजीशन है , सोचा चलो कम से कम IBM के ऑफिस में बैठेंगे। सब दोस्तों को , मम्मी पापा को बता दिया की IBM ज्वाइन की है। एक महीने सब अच्छा चला , खूब काम कराया गया , हमने भी जी जान से काम किया , एक दिन ऑफिस गए , बाहर घुमटी में सुट्टा मारा, ऊपर जा के access card स्वाइप किया तो नहीं चला, दोबारा किया, फिर नहीं चला। पास बैठा security गार्ड हसने लगा, बोला की अब नहीं चलेगा, दो दिन बाद आके अपनी drawer का सामान लेते जाना। किसी तरहं खुद को बटोर के वहां से बाहर तक आया और सड़क पे बैठ के घंटो रोया। उस दिन पता लगा की दुःख से भी बड़ा emotion बेइज़्ज़ती है। फिर रोते रोते घर फ़ोन किया , बताया की मम्मी निकाल दिया, और कहते कहते फिर रोने लगा। हमेशा याद रखना , बहुत दुःख में घर वालों को कभी फ़ोन मत करना, वो परेशां हो जाते हैं और उससे भी ज्यादा असहाय।
कुछ दिन और बेरोज़गार रहे फिर, एक recruitment ड्राइव में गुडगाँव की एक कंपनी में सॉफ्टवेयर डेवलपर बन गए। दो साल होने को थे और पैकेज कम्भख्त अभी भी डेढ़ लाख। ये वो दिन थे जब को पूछता था की कहाँ काम करते हो तो कहता था गुडगाँव में , जब वो दोबारा पूछता था की कहाँ काम करते हो तो फिर से कह देता है Java प्लेटफार्म पे। एक दिन एक कंपनी से कॉल आया , सारे round निकाल के HR राउंड में पहुंचे। HR ने पूछा current CTC , हम बोले 1. 5 लाख , वो बोली expected CTC , हम बोले 3 लाख , वो बोली १००% hike मांग रहे हो , तो हमने कहा mam दो साल से Java डेवलपमेंट कर रहा हू , मार्किट रेट के हिसाब से इतना तो मिलना ही चाहिए। वो हसी और बोली , हम associate सॉफ्टवेयर developer को 4. 5 लाख कम नहीं दे सकते , इतना तुम deserve करते हो। बाहर निकल के खुद को चुटकी काटी , उस दिन भी खूब रोया था लेकिन इन आंसुओं में कुछ अलग था ।
आज भी उसी कंपनी में हू , Architect हू , दो साल लंदन क्लाइंट location में रह लिया, लेकिन माँ बाप से दूर अच्छा नहीं लगा तो वापिस आ गया। टीम में कई बच्चे IIT के हैं जो सब मुझे रिपोर्ट करते हैं। रोज़ ऑफिस के रस्ते में वो सड़क भी आती है जिनमे बैठ के घंटो रोया था और खुद को समझा लेता हु की वो भी रास्ता था, ये भी रास्ता है. मंज़िल यहाँ नहीं है। कल लंच में एक टीम member बोल पड़ा , AI और Machine Learning आ जायेगा तो क्या करेंगे, तब नौकरी कैसे ढूंढेगे। मै मुस्कुराया और बोला की कुछ तो कर ही लेंगे।
चाय ख़तम हो गयी थी और मैं सामने टंगे कैलेंडर में कृष्ण भगवान को देख के सोच रहा था कि अच्छा हुआ जो उस दिन IIT नहीं निकला।
अच्छा हुआ जो IIT नहीं निकला .....

Wednesday, 21 February 2018

EK DIN

Dil se khush tha first tym ofc gaya tha mein jis din
free ki coffee maal bandiyan sheeshe vali building
ac ofc english toilet guard ne b salute kiya 
sham ko shared auto mein vo he guard bola side ho 
tab laga k ye real nahi hai bas 1 drama hai 
gadhe se kaam karana hai to chara b to dikhana hai
hi class show karte khud ko bhale ghanta b na ho 
20000 mein sochte hain employee khareed liya ho
9 ghante ruko bhale he seat pe so jao 
sick leave leni ho hafte bhar pehle batao
director ka mail aaye thanks for ur xpertise 
client billing ho 200 dollar tumhe mile 20
english bol na pana is a criminal offense 
for a manager who thinks did is future tense 
college mein to gaali dena b nahi thi baat badi
yahan mail mein plz likha ho lagta hai chappal padi


1 din log appreciation denge advice nahi kuch khareedu to apno ki khushi dekhunga price nahi
1 din ladkiyan interesting samjhengi ajeeb nahi or kaam me mehnat notice hogi gender ya jeeb nahi
1 din okaat tezi se badegi age nahi fir bhi 1 ladki mera pyaar dekhegi package nahi
1 din kaam junoon hoga museebat nahi or failure bas galti hogi meri kismat nahi


choti c bachelor life g bharke g lo 
theke se daaru leke khopche mein p lo
ya fir f bar mein jake apna katvalo 
itna kharcha karte ho to facebook pe b daalo
koi zada friendly ho to dar lagta hai kaat na de
senior se sab kuch bak de piche se laat pade 
vo bhi na ho to dar lagta hai sala gay na ho 
gay ko to chodho uske bheje mein amway na ho
team mein bandi 1 or bande honge 6 
tl even manager b usi k peeche
call aya bhai sign out karde mein bhool gaya somehow 
mein bola password kya hai he said manisha rao
1 nazar mein scan nikale bandi ki geometry ka 
ata inko sahi use corporate directory ka
1 playboy hai jo chai pe jaye to ladki khud deti hai pese 
hafte bhar mein flat pe le jata hai pata nai kese

1 din log appreciation denge advice nahi kuch khareedu to apno ki khushi dekhunga price nahi
1 din ladkiyan interesting samjhengi ajeeb nahi or kaam me mehnat notice hogi gender ya jeeb nahi
1 din okaat tezi se badegi age nahi fir bhi 1 ladki mera pyaar dekhegi package nahi
1 din kaam junoon hoga museebat nahi or failure bas galti hogi meri kismat nahi

x gf ka status update shaadi kar rahi hu 
iim k passout se or mauritius mein honeymoon
mein ab b metro mein daily seat k liye ladta hu 
3 saal se hua nahi par cat k liye padhta hu
1-1 karke nikal gaye sab canada US dubai
shayad mein b jaunga ya shayad nai
shaadi k liye rishta dhoondna bhi 1 competition 
IGNOU ki BA pass ko lagte 25000 bhi kam
lagta hai gurgaon ki bheed mein kahin kho chuka hu 
sunke acha nai lagta mein 25 ka ho chuka hu
baal jhadne se lage hain pate nikal he gaya 
rassi to kab ki jal gai ab lagta hai bal b gaya
agal bagal k baalo se ganjepan ko bhar leta hu 
koi ladki dekhti hai to pate andar kar leta hu
seediyan dushman lagti hain dodne mein saans chadh jata 
shoe lace tak jhukna mushkil indian style mein kar nai pata
ghar kabhi jaldi aau to sochta hu laptop kholu 
fir lagta hai daily so nai pata thoda zada so lu
bagal se daily nikalta hu par ja nai pata india gate pe 
arsa beet gaya hai tv nai dekha sofe pe lait k
ofc mein to pata ni chalte sardi garmi barsaat 
na holi diwali or na he din ya raat
bethe rehte hain saare corporate k kooye mein 
zindagi udti hai daily cigrate k dhooye me

1 din log appreciation denge advice nahi kuch khareedu to apno ki khushi dekhunga price nahi
1 din ladkiyan interesting samjhengi ajeeb nahi or kaam me mehnat notice hogi gender ya jeeb nahi
1 din okaat tezi se badegi age nahi fir bhi 1 ladki mera pyaar dekhegi package nahi
1 din kaam junoon hoga museebat nahi or failure bas galti hogi meri kismat nahi

Sunday, 5 October 2014

स्टीव जॉब्स की जिंदगी से हम सीख सकते हैं ये 5 बातें


 एप्पल के सहसंस्थापक स्टीव जॉब्स की कल  चौथी पुण्यतिथि थी । जॉब्स का निधन 5 अक्टूबर 2011 को हुआ था। अपनी इनोवेशन और दूरदर्शिता को लेकर जॉब्स हमेशा से प्रसिद्ध रहे हैं। 

स्टीव जॉब्स ना सिर्फ एक अच्छे लीडर थे बल्कि एक अच्छे इंसान भी थे। जमीन से उठकर आसमान तक पहुंचने वालों की लिस्ट में स्टीव जॉब्स का नाम है। आज उनकी पुण्यतिथी पर हम आपको बताने जा रहे हैं कुछ ऐसी बातों के बारे में जो स्टीव जॉब्स की जिंदगी से सीखी जा सकती हैं। 

1. अपने लिए अच्छे शिक्षक तलाशिए-

स्टीव जॉब्स ना सिर्फ जीनियस थे बल्कि वो हमेशा उन लोगों की तलाश में रहते थे जिनसे वो कुछ ना कुछ सीख सकें। जॉब्स के कुछ पहले टीचर्स में से एक रेजिस मैक्कैना (Regis McKenna) थे जो सिलिकॉन वैली में एक मार्केटर थे। रेजिस ही वो इंसान हैं जिन्होंने गैराज में चल रही एप्पल कंपनी के लिए पहले इन्वेस्टर का इंतजाम किया था। ये इन्वेस्टर थे माइक मार्कुला जो एप्पल के मार्केटिंग गुरू बने। स्टीव जॉब्स का सिद्धांत था कि जिस्से जो सीख सको सीख लो। 

कोई कमी ना रह जाए-

स्टीव जॉब्स जानते थे की प्रोडक्ट की खूबियों के साथ पैकेजिंग भी बहुत जरूरी है। वे जानते थे कि लोग किसी भी उत्पाद या कंपनी को लेकर अपनी राय उस प्रोडक्ट या कंपनी की प्रस्तुति या पैकेजिंग के आधार पर बनाते हैं। जॉब्स कहते थे कि माइक ने मुझे सिखा दिया था कि लोग किसी पुस्तक को उसके कवर से ही सही या गलत समझने लगते हैं। जब वे मेकिनटोश की 1984 में शिपिंग करा रहे थे तो वे उसके बॉक्स के कलर और डिजाइन पर मोहित हो गए थे। इस बात से हम ये सीख सकते हैं कि किसी भी काम में कोई कमी नहीं छोड़नी चाहिए। चाहें वो शुरुआत में हो या अंत में। 
हार से कभी ना डरें-

स्टीव जॉब्स ने अपनी जिंदगी में जितनी सफलता देखी उतनी ही हार भी। 30 साल की उम्र में जॉब्स को उन्हीं की बनाई गई कंपनी से निकाल दिया गया था। एप्पल कंपनी ने भी अपनी सबसे ज्यादा असफलता स्टीव जॉब्स के कार्यकाल में ही देखी। मौत से 8 साल पहले ही उन्हें कैंसर का पता चला था। स्टीव जॉब्स ने इसे भी दिलेरी से स्वीकार किया और अपने जीवन को भरपूर जिया। इस बात से हम सीख सकते हैं कि जिंदगी में चाहें कुछ भी हो जाए हार नहीं माननी चाहिए। 
अपने निर्णय पर रहें अडिग-

जॉब्स ने 1984 में मैकिनटोश कम्प्यूटर के लिए एक एडवर्टिजमेंट बनवाया था। वो शो बिजनेस के इतने दीवाने थे कि उन्होंने इस एडवर्टिजमेंट को बनाने के लिए एलियन और ब्लेड रनर फिल्म के डायरेक्टर रैड्ली स्कॉट को चुना था। इस 60 सेकंड के कमर्शियल को बनवाने में जॉब्स ने $900,000 (55395000 रुपए) खर्च कर दिए थे। इसके बाद उस ऐड को सुपर बॉल गेम के दौरान चलाने के लिए $800,000  (49240000 रुपए और खर्च किए थे)। इस ऐड को बोर्ड ने पसंद नहीं किया था फिर भी ये ऐड चला और जॉब्स ने अपनी जिद पूरी की। इससे हम ये बात सीख सकते हैं कि चाहें जो भी निर्णय लिया गया हो उसपर हमेशा चलें और पीछे ना हटें। 
हमेशा एक दुश्मन की तलाश-

स्टीव जॉब्स ने हमेशा अपने प्रतिद्वंद्वियों को अपना दुश्मन माना है। एप्पल के लिए IBM, माइक्रोसॉफ्ट के बाद एंड्रॉइड ऑपरेटिंग सिस्टम बनाने वाला गूगल भी एक बड़ा प्रतिद्वंद्वी था। स्टीव जॉब्स हमेशा अपने लिए नया दुश्मन तलाशते थे। उनका मानना था कि दुश्मन बनाना खतरनाक तो हो सकता है, लेकिन ये ग्रोथ के लिए बहुत जरूरी है।

Saturday, 12 April 2014

इस दुनिया मेँ भगवान है हि नही.! ( प्रेरणादायक कहानी )



एक अमीर आदमी था. उसने समुद्र मेँ अकेले घुमने के लिए एक नाव बनवाई.
छुट्टी के दिन वह नाव लेकर समुद्र की सेर करने निकला. आधे समुद्र तक
पहुचा ही था कि अचानक एक जोरदार तुफान आया.

उसकी नाव पुरी तरह से तहस-नहस हो गई लेकिन वह लाईफ जेकेट की मदद से
समुद्र मेँ कुद गया. जब तुफान शांत हुआ तब वह तेरता तेरता एक टापु पर
पहुचा लेकिन वहा भी कोई नही था. टापु के चारो और समुद्र के अलावा कुछ भी
नजर नही आ रहा था. उस आदमी ने सोचा कि अब पुरी जिदंगी मेँ किसी का कभी भी
बुरा नही किया तो मेरे साथ ऐसा क्यु हुआ..?

उस आदमी को लगा कि भगवान ने मौत से बचाया तो आगे का रास्ता भी भगवान ही
बताएगा. धीरे धीरे वह वहा पर उगे झाड-पत्ते खा कर दिन बिताने लगा. अब
धीरे-धीरे उसकी श्रध्दा टुटने लगी भगवान पर से उसका विश्वास उठ गया. उसको
लगा कि इस दुनिया मेँ भगवान है हि नही.!

फिर उसने सोचा कि अब पुरी जिंदगी यही इस टापु पर बितानी है तो क्यु ना एक
झोपडी बना लु..? फिर उसने झाड कि डालियो और पत्तो से एक छोटी सी झोपडी
बनाई. उसको लगा कि, हाश, आज से झोपडी मेँ सोने को मिलेगा आज से बाहर नही
सोना पडेगा. रात हुई ही थी कि अचानक मौसम बदला बिजलीया जोर जोर से
गिडगिराने लगी.! तभी अचानक एक बिजली उस झोपडी पर आ गिरी और झोपडी धधकते
हुए जलने लगी. यह देखकर वह आदमी टुट गया आसमान की तरफ देखकर बोला तु
भगवान नही , राक्षस है, तुज मे दया जैसा कुछ है ही नही तु बहुत क्रुर है.
हताश होकर सर पर हाथ रखकर रो रहा था. कि अचानक एक नाव टापु के पास आई.
नाव से उतरकर दो आदमी बाहर आये. और बोले कि, हम
तुमे बचाने आये है, तुम्हारा जलता हुआ
झोपडा देखा तो लगा कि कोई उस टापु पर
मुसीबत मेँ है.! अगर तुम अपनी झोपडी नही जलाते तो हमे पता नही चलता कि
टापु पर कोई है! उस आदमी कि आँखो से आँसु गिरने लगे. उसने ईश्वर से माफी
माँगी और बोलाकि मुझे क्या पता कि आपने मुझे बचाने के लिए मेरी झोपडी
जलाई थी !

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प्रेरक लघुकथा :अपनी सोच हमेशा ऊंची रखो,

                     

एक बार एक अमीर आदमी ने देखा कि एक
गरीब फटे हाल बच्चा बड़ी उत्सुकता से उसकी महंगी कार को निहार रहा था।
गरीब बच्चे पर तरस खा कर अमीर आदमी उसे अपनी कार में बैठा कर घुमाने ले गया।
लड़के ने कहा : साहब आपकी कार बहुत अच्छी है, यह तो बहुत कीमती होगी न...
अमीर आदमी ने गर्व से कहा : हां यह लाखों रुपए की है।
गरीब लड़का बोला : इसे खरीदने के लिए तो आपने बहुत मेहनत की होगी?
अमीर आदमी हंसकर बोला: यह कार मुझे मेरे भाई ने उपहार में दी है।
गरीब लड़के ने कुछ सोचते हुए कहा : वाह! आपके भाई कितने अच्छे हैं।
अमीर आदमी ने कहा : मुझे पता है कि तुम सोच रहे होगे कि काश तुम्हारा भी कोई
ऐसा भाई होता जो इतनी महंगी कार तुम्हे गिफ्ट देता!!

गरीब लड़के की आखों में अनोखी चमक थी, उसने कहा : नहीं साहब, मै तो आपके भाई
की तरह बनना चाहता हूं...

सार : अपनी सोच हमेशा ऊंची रखो, 
दूसरों की अपेक्षाओं से कहीं अधिक 
ऊंची तो तुम्हें बड़ा बनने से कोई रोक 
नहीं सकता। 

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खुल के जियो

                                     

एक तालाब के किनारे एक पेड़ के नीचे कोई मछ्वारा बैठा हुआ था, वो छाया के
नीचे बैठे अपनी बीड़ी पी रहा था.

तभी वहां से एक अमीर आदमी गुज़रा.

उसने मछवारे से पूछा की वो पेड़ के नीचे बैठकर बीड़ी पीते हुए अपना time
waste क्यों कर रहा हैं.

इसके जवाब में मछवारे ने कहा की वो पर्याप्त मछलियाँ पकड़ चूका हैं. और
अब आराम कर रहा हैं.

अमीर आदमी ने ये सुनते ही बोहै चड़ा लीं. उसे बहुत गुस्सा आया. उसने कहा
की : तुम आराम से बैठने के बजाय और मछलियाँ क्यों नहीं पकड़ लेते.

मछवारे ने पूछा : मैं और मछलियाँ पकड़ के क्या करूँगा?

अमीर आदमी : तुम ज्यादा मछलियाँ पकड़ कर, उन्हें बेचकर ज्यादा पैसे कमा
पाओगे, और एक बड़ी बोट खरीद सकोगे.

मछ्वारा : उसके बाद में क्या करूँगा? 

अमीर आदमी : तुम गहरे समुद्र में बोट ले जा सकोगे, फिर और भी ज्यादा
मछलियाँ पकड़ सकोगे. फिर ज्यादा पैसे कमा पाओगे.

मछ्वारा : और उसके बाद में क्या करूँगा?

अमीर आदमी : तुम बहुत सारी Boats खरीद सकोगे और बहुत सारे लोगों को नौकरी
दे पाओगे. फिर और भी ज्यादा पैसे कमाओगे.

मछ्वारा : और उसके बाद में क्या करूँगा?

अमीर आदमी : अरे तुम मेरी तरह एक बहुत अमीर आदमी बन जाओगे.

मछ्वारा : अच्छा उससे क्या होगा?

अमीर आदमी : फिर तुम अपनी जिंदगी शांति और ख़ुशी से कट पाओगे.

मछ्वारा : क्या मैं अभी ये नहीं कर रहा हूँ? मैं तो अभी भी शांति से जी
रहा हूँ. और खुश भी हूँ.

Moral: आपको खुश रहने के लिए कल की राह देखने की आवश्यकता नहीं हैं. और 
ज्यादा अमीर बनने की भी नहीं, न ही अधिक शक्तिशाली बनने की. जिंदगी अभी 
हैं, इसे अभी जिए. अभी enjoy करें. और खुश रहे. 



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