Tuesday, 8 April 2014

Shayari

बस के कंडक्टर सी हो गयी है जिंदगी यारो।
सफ़र भी रोज़ का है और जाना भी कही नहीं।
महँगी से महँगी घड़ी पहन कर देख ली,
वक़्त फिर भी मेरे हिसाब से कभी ना चला ...!!"

*****************************

युं ही हम दिल को साफ़ रखा करते थे ..
पता नही था की, 'किमत चेहरों की होती है!!'

*****************************

अगर खुदा नहीं हे तो उसका ज़िक्र क्यों ??
और अगर खुदा हे तो फिर फिक्र क्यों ???

*****************************

दो बातें इंसान को अपनों से दूर कर देती हैं,
एक उसका 'अहम' और दूसरा उसका 'वहम'......

*****************************

पैसे से सुख कभी खरीदा नहीं जाता और
दुःख का कोई खरीदार नहीं होता ।

*****************************

मुझे जिंदगी का इतना तजुर्बा तो नहीं,
पर सुना है सादगी मे लोग जीने नहीं देते।

No comments:

Post a Comment