Thursday, 24 April 2014

"अजनबी हमसफ़र ”


वो ट्रेन के रिजर्वेशन के डब्बे में बाथरूम के तरफ वाली एक्स्ट्रा सीट पर बैठी थी,
उसके चेहरे से पता चल रहा था कि थोड़ी सी घबराहट है उसके दिल में कि कहीं टीसी ने आकर पकड़ लिया तो।
कुछ देर तक तो पीछे पलट-पलट कर टीसी के आने का इंतज़ार करती रही।
शायद सोच रही थी कि थोड़े बहुत पैसे देकर कुछ निपटारा कर लेगी।
देखकर यही लग रहा था कि जनरल डब्बे में चढ़ नहीं पाई इसलिए इसमें
आकर बैठ गयी, शायद ज्यादा लम्बा सफ़र भी नहीं करना होगा।
सामान के नाम पर उसकी गोद में रखा एक छोटा सा बेग दिख रहा था।
मैं बहुत देर तक कोशिश करता रहा पीछे से उसे देखने की कि शायद चेहरा सही से दिख पाए लेकिन हर बार असफल ही रहा।
फिर थोड़ी देर बाद वो भी खिड़की पर हाथ टिकाकर सो गयी। और मैं भी वापस से अपनी किताब पढ़ने में लग गया।
लगभग 1 घंटे के बाद टीसी आया और उसे हिलाकर उठाया।
“कहाँ जाना है बेटा”
“अंकल अहमदनगर तक जाना है” “टिकट है ?”
“नहीं अंकल …. जनरल का है …. लेकिन वहां चढ़ नहीं पाई इसलिए इसमें बैठ गयी”
“अच्छा 300 रुपये का पेनाल्टी बनेगा”
“ओह … अंकल मेरे पास तो लेकिन 100 रुपये ही हैं”
“ये तो गलत बात है बेटा ...पेनाल्टी तो भरनी पड़ेगी”
“सॉरी अंकल …. मैं अगले स्टेशन पर जनरल में चली जाउंगी …. मेरे पास सच में पैसे नहीं हैं ….
कुछ परेशानी आ गयी, इसलिए जल्दबाजी में घर से निकल आई… और ज्यदा पैसे रखना भूल गयी…. ” बोलते बोलते वो लड़की रोने लगी ...टीसी उसे माफ़ किया और 100 रुपये में उसे
अहमदनगर तक उस डब्बे में बैठने की परमिशन दे दी। टीसी के जाते ही उसने अपने आँसू पोंछे और इधर- उधर
देखा कि कहीं कोई उसकी ओर देखकर हंस तो नहीं रहा था।
थोड़ी देर बाद उसने किसी को फ़ोन लगाया और कहा कि उसके पास बिलकुल भी पैसे नहीं बचे हैं …
अहमदनगर स्टेशन पर कोई जुगाड़ कराके उसके लिए पैसे भिजा दे, वरना वो समय पर गाँव नहीं पहुँच पायेगी।
मेरे मन में उथल-पुथल हो रही थी, न जाने क्यूँ उसकी मासूमियत देखकर
उसकी तरफ खिंचाव सा महसूस कर रहा था, दिल कर रहा था कि उसे पैसे दे दूं और कहूँ कि तुम परेशान मत हो … और
रो मत ….
लेकिन एक अजनबी के लिए इस तरह
की बात सोचना थोडा अजीब था। उसकी शक्ल से लग रहा था कि उसने कुछ खाया पिया नहीं है शायद सुबह से… और अब तो उसके पास पैसे भी नहीं थे।
बहुत देर तक उसे इस परेशानी में देखने के बाद मैं कुछ उपाय निकालने लगे जिससे मैं उसकी मदद कर सकूँ और फ़्लर्ट भी ना कहलाऊं।
फिर मैं एक पेपर पर नोट लिखा,
“बहुत देर से तुम्हें परेशान होते हुए देख रहा हूँ, जानता हूँ कि एक अजनबी हम उम्र लड़के का इस तरह तुम्हें नोट भेजना अजीब भी होगा और शायद तुम्हारी नज़र में गलत भी, लेकिन तुम्हे इस तरह परेशान देखकर मुझे
बैचेनी हो रही है इसलिए यह 500 रुपये दे रहा हूँ , तुम्हे कोई अहसान न लगे इसलिए मेरा एड्रेस भी लिख रहा हूँ…..
जब तुम्हें सही लगे मेरे एड्रेस पर पैसे वापस भेज सकती हो …. वैसे मैं नहीं चाहूँगा कि तुम वापस करो …..
"अजनबी हमसफ़र ”
एक चाय वाले के हाथों उसे वो नोट देने को कहा, और चाय वाले को मना किया कि उसे ना बताये कि वो नोट मैंने उसे भेजा है।
नोट मिलते ही उसने दो-तीन बार पीछे पलटकर देखा कि कोई उसकी तरह देखता हुआ नज़र आये तो उसे
पता लग जायेगा कि किसने भेजा।
लेकिन मैं तो नोट भेजने के बाद ही मुँह पर चादर डालकर लेट गया था।
थोड़ी देर बाद चादर का कोना हटाकर देखा तो उसके चेहरे पर मुस्कराहट महसूस की। लगा जैसे कई सालों से इस एक मुस्कराहट का इंतज़ार था।
उसकी आखों की चमक ने मेरा दिल उसके हाथों में जाकर थमा दिया …. फिर चादर का कोना हटा- हटा कर हर थोड़ी देर में उसे देखकर जैसे सांस ले रहा था मैं..
पता ही नहीं चला कब आँख लग
गयी। जब आँख खुली तो वो वहां नहीं थी … ट्रेन अहमदनगर स्टेशन पर
ही रुकी थी। और उस सीट
पर एक छोटा सा नोट रखा था …..
मैं झटपट मेरी सीट से उतरकर उसे उठा लिया .. और उस पर लिखा था …
Thank You मेरे अजनबी हमसफ़र..
आपका ये अहसान मैं ज़िन्दगी भर नहीं भूलूँगी …. मेरी माँ आज मुझे छोड़कर चली गयी हैं …. घर में मेरे अलावा और
कोई नहीं है इसलिए आनन – फानन में घर जा रही हूँ। आज आपके इन पैसों से मैं अपनी माँ को शमशान जाने से
पहले एक बार देख पाऊँगी …. उनकी बीमारी की वजह से उनकी मौत के बाद उन्हें ज्यादा देर घर में नहीं रखा जा सकता। आज से मैं आपकी कर्ज़दार हूँ…
जल्द ही आपके पैसे लौटा दूँगी। उस दिन से उसकी वो आँखें और वो मुस्कराहट जैसे मेरे जीने की वजह थे …. हर रोज़ पोस्टमैन से पूछता था शायद किसी दिन उसका कोई ख़त आ
जाये …. आज 1 साल बाद एक ख़त मिला … आपका क़र्ज़ अदा करना चाहती हूँ …. लेकिन ख़त के ज़रिये नहीं आपसे मिलकर …
नीचे मिलने की जगह का पता लिखा था…

Saturday, 19 April 2014

=चेतन भगत Quotes in Hindi=

                             


knowledge sakar
Quotes -1  in English
“The world’s most sensible person and the biggest idiot both stay within us. The worst part is, you can’t even tell who is who.”
—————————————————Chetan Bhagat


Quotes -1  in hindi
“दुनिया के सबसे समझदार व्यक्ति और सबसे बड़ा बेवकूफ दोनों हमारे भीतर है . सबसे बुरी बात यह  है, की तुम ये नहीं बता सकते की तुमे कौन हो ”
————————————————–-चेतन भगत

Quotes -2  in English
“Jealousy is a rather enjoyable emotion to watch.”
—————————————————Chetan Bhagat

Quotes -2  in hindi
“ईर्ष्या देखने के लिए एक नहीं बल्कि सुखद भावना है.”
————————————————–-चेतन भगत

Quotes -3  in English
“Why should any guy want to be only friends with a girl? It’s like agreeing to be near a chocolate cake and never eat it. It’s like sitting in a racing car but not driving it.”
—————————————————Chetan Bhagat

Quotes -3  in hindi
“क्यों कोई  आदमी केवल  एक लड़की के साथ दोस्ती करना चाहता है ? ये इस तरह सहमत होना की तरह  है जैसे चॉकलेट केक के पास है और उसे खा नहीं सकते , और एक रेसिंग कार में बैठे हुए है पर उसे चला नहीं सकते ”
————————————————–-चेतन भगत

Quotes -4  in English
“When a woman comes into your life, things organize themselves.”
—————————————————Chetan Bhagat

Quotes -4  in hindi
“जब एक महिला आपके जीवन में आती है , चीजें अपने आप  संगठित होने लगती है.”
————————————————–-चेतन भगत

Quotes -5  in English
The word “future” and females is a dangerous combination.
—————————————————Chetan Bhagat

Quotes -5  in hindi
शब्द “भविष्य” और महिलाओं के एक खतरनाक संयोजन है.
————————————————–-चेतन भगत

Quotes -6  in English
“A wise man can be a fool in love.”
—————————————————Chetan Bhagat

Quotes -6  in hindi
“एक बुद्धिमान व्यक्ति प्यार में एक मूर्ख हो सकता है.”
————————————————–-चेतन भगत

Quotes -7  in English
“preety girls behave best when you ignore them”
—————————————————Chetan Bhagat

Quotes -7  in hindi
“सुँदर लडकियाँ  सबसे अच्छा व्यवहार करती है जब आप उन्हें अनदेखा करते हो”
————————————————–-चेतन भगत

Quotes -8  in English
“Certificates from top US universities adorned the walls like tiger head in a hunter’s home.”
—————————————————Chetan Bhagat

Quotes -8  in hindi
“शीर्ष अमेरिकी विश्वविद्यालयों से प्रमाण पत्र, एक शिकारी के घर में बाघ सिर उसकी दीवारों पर सजा हुआ सा लगता है .”
————————————————–-चेतन भगत

Quotes -9  in English
“Rules, after all, are only made so you can work around them”
—————————————————Chetan Bhagat

Quotes -9  in hindi
“नियम, after all, इसलिए बना है की आप उसके  आसपास काम कर कर सको ”
————————————————–-चेतन भगत

Quotes -10  in English
“The word “future” and females is a dangerous combination.”
—————————————————Chetan Bhagat

Quotes -10  in hindi
भविष्य “शब्द” “और महिलाओं के एक खतरनाक संयोजन है.”
————————————————–-चेतन भगत

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Thursday, 17 April 2014

Swami Vivekananda quotes in hindi


1.  बहता पानी और रमता जोगी ही शुद्ध रहते हैं | ~ स्वामी विवेकानंद


2.  हिंदू संस्कृति आध्यात्मिकता की अमर आधारशिला पर आधारित है। ~~स्वामी विवेकानंद


3.  पक्षपात सब बुराइयों की जड़ है | ~ स्वामी विवेकानन्द


4.  भय ही पतन और पाप का निश्चित कारण है | ~ स्वामी विवेकानंद


5.  ज्ञानी कभी किसी व्यक्ति कि स्वतंत्रता , समानता , सम्मान एयर स्वायत्तता को भंग नहीं कर्ता है | ~ स्वामी विवेकानंद

6.  आदर्श, अनुशासन, मर्यादा, परिश्रम, ईमानदारी तथा उच्च मानवीय मूल्यों के बिना किसी का जीवन महान नहीं बन सकता है| ~ स्वामी विवेकानंद


7.  मन की दुर्बलता से अधिक भयंकर और कोई पाप नहीं है। ~ स्वामी विवेकानंद


8.  आपदा ही एक ऐसी स्थिति है,जो हमारे जीवन कि गहराइयों में अन्तर्दृष्टि पैदा करती है | ~ स्वामी विवेकानंद
9.  हम भारतीय सभी धर्मों के प्रति केवल सहिष्णुता में ही विश्वास नहीं करते , वरन सभी धर्मों को सच्चा मानकर स्वीकार भी करते हैं | ~ स्वामी विवेकानंद


10.  महान त्याग से ही महान कार्य सम्भव है | ~ स्वामी विवेकानंद


11.  हमें लोहे के पुट्ठे और इस्पात के स्नायु चाहिए, जिनमें वज्र सा मन निवास करे |~ स्वामी विवेकानंद


12.  वस्तुएं बल से छीनी या धन से खरीदी जा सकती हैं, किंतु ज्ञान केवल अध्ययन से ही प्राप्त हो सकता है | ~ स्वामी विवेकानंद


13.  जितना अध्ययन करते हैं, उतना ही हमें अपने अज्ञान का आभास होता जाता है | ~ स्वामी विवेकानंद


14.  जिसके साथ श्रेष्ठ विचार रहते हैं, वह कभी भी अकेला नहीं रह सकता | ~स्वामी विवेकानंद


15.  वह नास्तिक है, जो अपने आप में विश्वास नहीं रखता | ~ स्वामी विवेकानंद

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knowledge sakar

commitment ( ठान लिया तो क्या मुश्किल)

knowledge sakar
वाराणसी का गोविंद रिक्शा चलाने वाले निर्धन, अनपढ़ नारायण जायसवाल का बेटा है। एक कमरे के घर में रहने वाला गोविंद घर के आसपास चलने वाली फैक्टरियों और जेनरेटरों की तेज आवाजों के बीच पढ़ते वक्त कानों में रुई डाले रखता था। उसे पढ़ते देखकर लोग कटाक्ष करते- कितना भी पढ़ लो बेटा, चलाना तो तुम्हें रिक्शा ही है। गोविंद को इन बातों से कोई फर्क नहीं पड़ता था। उसके मन में तो एक ऐसा संकल्प था, जिसे दूसरों को बताना भी संभव नहीं था, सब हंसी जो उड़ाते। लेकिन झोपड़ी में रहने वाले उसी गोविंद जायसवाल को जब भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) में चुने जाने की खबर मिली तो उसकी आंखों से आंसू बह निकले। अभावों और कटाक्षों से भरे जीवन को अपनी मेहनत, संकल्प और प्रतिभा के बल पर परास्त करने पर जो खुशी हुई, उसकी अभिव्यक्ति हंसी से नहीं, बल्कि आंसुओं से ही हो सकती थी। आंसू खुशी और दुख के ही नहीं, विजय के भी होते हैं।

अद्वितीय प्रेरणा के स्रोत

गोविन्द जैसे युवक, जो तमाम सीमाओं से ऊपर उठकर कुछ कर दिखाते हैं, समाज में अद्वितीय प्रेरणा के स्रोत बन जाते हैं। वे सिद्ध करते हैं कि कोई भी सीमा स्थायी नहीं होती, कोई भी बाधा अजेय नहीं होती। आपके पास साधन हों या नहीं, समर्थन हो या नहीं, सहयोग हो या नहीं, पृष्ठभूमि कितनी भी कमजोर क्यों न हो, यदि संकल्प अडिग है और उसे साकार करने के लिए कष्ट उठाकर भी मेहनत करने का जज्बा मौजूद है तो विजय निश्चित है। डेविड ब्रिन्क्ले ने कहा है कि एक सफल इंसान वह है जो दूसरों के फेंके पत्थरों का इस्तेमाल अपनी सफलता की नींव में करने का माद्दा रखता है।
गोविन्द अकेला उदाहरण नहीं है उन प्रतिभावान बच्चों का, जो बुनियादी सुविधाओं से वंचित रहते हुए भी तरक्की की ऐसी सीढ़ियां चढ़ गए जो सुख-सुविधासम्पन्न घरों के बच्चों को भी आसानी से नसीब नहीं हो पातीं। ये उदाहरण सिद्ध करते हैं कि लैम्प पोस्ट के नीचे बैठकर पढ़ाई करने वाले बच्चे सिर्फ बीते जमाने में ही नहीं होते थे। वे आज भी होते हैं और जब-तब अंधकार से भरे अपने परिवेश में सितारों की तरह चमचमा उठते हैं, अपने आसपास खुशियां बिखरते हुए, स्थितियां बदलते हुए। जिन्हें अपनी क्षमताओं में विश्वास है, वे असंभव को भी संभव बना सकते हैं, फिर पढ़ाई और कॅरियर की चुनौतियां तो कोई असंभव चुनौतियां हैं ही नहीं।
मणिपुर में इम्फाल की जेनिथ अकादमी में पढ़ने वाला मोहम्मद इस्मत, जिसने अभी सीबीएसई की बारहवीं की परीक्षा में 500 में से 495 अंक हासिल कर पूरे भारत में पहला स्थान प्राप्त किया, ऐसी ही एक कमाल की मिसाल है। गणित, रसायन शास्त्र, कला और गृह विज्ञान में सौ में से सौ अंक पाने वाले इस्मत को अंग्रेजी में 98 और भौतिक शास्त्र में 97 अंक मिले। एक प्राथमिक विद्यालय के शिक्षक के पुत्र इस्मत ने न सिर्फ अपने माता-पिता, विद्यालय या अपने थौबाल जिले का नाम रोशन किया, बल्कि उसने तो पूरे उत्तर-पूर्वी क्षेत्र को गौरव दिलाया है, जहां का कोई भी बच्चा अब तक राष्ट्रीय स्तर पर 'मेरिट' में शीर्ष पर नहीं आया था। पर असंभव कुछ भी नहीं है।

अटूट आत्मविश्वास

गोविन्द हो या फिर मोहम्मद इस्मत, एक बात जिसे आप बिल्कुल नजरंदाज नहीं कर सकते वह है उनका अटूट आत्मविश्वास। उन्हें अपनी कक्षा के दूसरे बच्चों की तरह न तो ट्यूशन मिलती है और न ही अच्छे स्कूल। न अतिरिक्त किताबें ही पढ़ने को मिलती हैं और न ही इंटरनेट जैसी कोई सहूलियत है। कई बार तो बुनियादी जरूरत की किताबें और यहां तक कि पढ़ाई में लगाने के लिए समय तक नहीं मिलता।
चंडीगढ़ में 'थिएटर एज' के नाम का एक गैरसरकारी संगठन झुग्गी-झोपड़ियों में रहने वाले बच्चों को पढ़ाता है। इस बार भी समाज के सबसे गरीब तबके के बीस बच्चों ने इस संगठन के निर्देशन में पढ़ाई की और बीसों अच्छे अंक लेकर पास हो गए। अभाव सिर्फ आर्थिक नहीं होते और शायद आर्थिक अभावों का मुकाबला फिर भी आसान है, मगर शारीरिक अक्षमताओं, अपंगता, नेत्रहीनता जैसी दुर्भाग्यपूर्ण स्थितियों से लड़ते हुए कठिन पैमानों पर खरा उतरना आसान नहीं। ऐसे में गुड़गांव के छात्र सुनीत आनंद चमचमाते सितारे के रूप में सामने आते हैं। आंख के कैंसर के रोगी सुनीत ने अस्पताल में दाखिल कराए जाने के बावजूद पढ़ने-लिखने के प्रति लगन नहीं छोड़ी और बारहवीं में करीब 89 फीसदी अंक लेकर आए। अंबिका खट्टर, क्षिप्रा कुमारी कर्दम, किरण टोकस..... और दर्जनों ऐसे ही दूसरे नेत्रहीन छात्रों ने बारहवीं की परीक्षा में अपने माता-पिता को गौरव दिलाया है और अब जीवन के अगले पड़ाव की तैयारी कर रहे हैं। मुंबई के राम रत्न विद्या मंदिर के गौतम गाबा को कितनी ही शाबाशी दी जाए, कम है, जिसने अस्थि कैंसर से पीड़ित होते हुए भी सीबीएसई की दसवीं की परीक्षा में 92 फीसदी अंक हासिल कर शीर्ष छात्रों की सूची में नाम दर्ज कराया। पिछले एक साल में सात महीने तक वह कैंसर के इलाज के लिए अस्पताल में भर्ती था।

प्रतिभा सुविधाओं की मोहताज नहीं

इन छात्रों की सफलता एक बार फिर सिद्ध करती है कि प्रतिभाएं सुविधाओं की मोहताज नहीं होतीं और प्रतिभाओं को किसी भी किस्म की बाधा रोक नहीं सकती। ऐसे बच्चे कभी हमें डा. अंबेडकर की याद दिलाते हैं तो कभी लाल बहादुर शास्त्री की। अमरीका के पूर्व राष्ट्रपति अब्राहम लिंकन का जीवन भी तो ऐसे ही अभावों में गुजरा था। लेकिन जहां चाह, वहां राह। लिंकन ने बाद में कहा था- हमेशा याद रखो कि सफलता के लिए किसी दूसरी चीज की तुलना में सिर्फ एक बात अहमियत रखती है, और वह है तुम्हारा दृढ़ संकल्प।
झोपड़ियों के अंधेरे में बैठकर उजाले की तलाश करने वाले आज के नौनिहालों को भी अपने सामने खड़ी विकट चुनौतियों का अहसास है, लेकिन उन्हीं के भीतर से रास्ता निकालने के सिवाय कोई चारा भी नहीं है। ट्यूशन करते हुए अपनी पढ़ाई का खर्च उठाने वाले गोविन्द ने आईएएस के लिए चुने जाने के बाद कहा था- 'मैं किसी छोटी सरकारी नौकरी के लिए तो चुना ही नहीं जा सकता था, क्योंकि वहां किसे लिया जाएगा, यह पहले से ही तय है। मैं जानता था कि मेरे पास आईएएस के सिवाय कोई चारा ही नहीं है और इसीलिए मैं डटा रहा।' धन्य हैं ये प्रतिभाएं जो कैसी-कैसी विडम्बनाओं के बीच से उभर रही हैं।

ऐसे में उन लोगों के लिए सहज ही श्रद्धा जगती है जो अभावग्रस्त बच्चों का जीवन बदलने का संकल्प लेकर आगे बढ़ रहे हैं। मिसाल के तौर पर सुपर-30 नामक समूह का संचालन करने वाले आनंद कुमार, जो पटना में बरसों से वंचित, शोषित, पीड़ित और निर्धन परिवारों के तीस बच्चों को प्रतिवर्ष आईआईटी में दाखिले के लिए मुफ्त 'कोचिंग' देते आए हैं। साधारण से बच्चों को तराशकर कोहिनूर बनाना कोई उनसे सीखे। उनके पढ़ाए पच्चीस से ज्यादा बच्चे हर साल अपनी गरीबी को अलविदा कहते हुए विश्व के सर्वश्रेष्ठ तकनीकी संस्थानों में गिने जाने वाले भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थानों में प्रवेश पाते हैं। इस साल भी उन्होंने 27 गरीब छात्रों का जीवन बदल दिया। आनंद कुमार खुद भी अभावपूर्ण पृष्ठभूमि से आए हैं इसलिए उनके जज्बे को समझना मुश्किल नहीं है। उन्होंने बड़े-बड़े संस्थानों में ऊंचे पदों पर काम करने और मोटी तनख्वाह लेने के प्रस्ताव ठुकराते हुए गरीब छात्रों को निशुल्क 'कोचिंग' देने का रास्ता चुना। लेकिन वे बच्चे भी कम नहीं हैं जो अपने इस गुरू के विश्वास पर खरा उतरने में कोई कसर बाकी नहीं छोड़ते।


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Wednesday, 16 April 2014

सफलता के लिए तीन नेटवर्क जरूरी हैं!

                               

......लक्ष्य को हासिल करने के आसान उपाय

कॅरिअर में आगे बढ़ने के लिए स्पष्ट लक्ष्य बना लें। इन्हें हासिल करने के लिए मजबूत नेटवर्क, पॉजिटिव सोच, प्रोडक्टिव आउटपुट, मेंटर के साथ कॅरिअर को शुरू करने जैसी कुछ बातों पर ध्यान दें। हार्वर्ड बिजनेस रिव्यू ने मैनेजमेंट सब्जेक्ट्स के माध्यम से शिखर तक पहुंचने के कुछ टिप्स सुझाएं हैं-

कम अनुभवी मेंटर के साथ कॅरिअर शुरू करें

किसी अनुभवी मेंटर के साथ ही अपने कॅरिअर की शुरुआत न करें। क्योंकि यह जरूरी नहीं कि एक अनुभवी मेंटर आपको काम के बारे में सही जानकारी दे सके। कुछ मेंटर ज्यादा अनुभव मिलने के बाद लोगों से मिलना-जुलना छोड़ देते हैं। जिसका आपको नुकसान हो सकता है। इसलिए अपने कॅरिअर की शुरुआत कम अनुभवी मेंटर से करें। वे आपको प्रैक्टिकल नॉलेज और एडवाइस दोनों देंगे। (स्रोत- हार्वर्ड बिजनेस रिव्यू ‘गाइड टू गेटिंग द मेंटरिंग यू नीड’)

तीन नेटवर्क बनाएं

सफलता के लिए तीन नेटवर्क जरूरी हैं। जबकि ज्यादातर लोग एक ही नेटवर्क पर फोकस करते हैं। अच्छे रिजल्ट के लिए तीनों नेटवर्क को डेवलप करें।
1. ऑपरेशनल नेटवर्क आज के लिए हैं। इसमें उन सभी लोगों को रखें जिन पर आप अपने काम के लिए निर्भर कर सकते हैं। इसमें करीबी लोगों को लिया जा सकता है।

2. डेवलपमेंटल नेटवर्क में अपने विश्वसनीय लोगों को रखें। उनसे आप सुझाव भी ले सकते हैं। कुछ ऐसे लोगों को चुनें जो
आपकी सोच को बदलने की क्षमता रखते हों।

3. स्ट्रेटेजिक नेटवर्क भविष्य के लिए है। यह आपको आने वाली सफलताओं के लिए तैयार करता है। इस नेटवर्क में उन लोगों को शामिल करें जो आने वाले समय में आपकी मदद करेंगे।
(स्रोत- ‘द थ्री नेटवर्क्‍स यू नीड’ बाय लिंडा हिल और केंट लाइनबैक)

धारणा न बनाएं बातचीत करें

दफ्तर में तनाव होना आम बात है। मुश्किलों के बाद भी प्रोडक्टिव आउटपुट देने की कोशिश करें। अच्छे नतीजों तक पहुंचने के तीन तरीके अपनाएं-
आप जानते हैं कि समस्याएं ज्यादा हैं। कुछ और मुश्किलें भी आ सकती हैं। इसलिए यह न देखें कि आप कौन हैं और कहां पर हैं। बल्कि दूसरों की बात सुनें, समझें और फिर रिएक्ट करें।
आप ये नहीं जानते कि दूसरा व्यक्ति क्या सोच रहा है। इसलिए कोई धारणा न बनाएं। दूसरे व्यक्ति से बातचीत करके उसके विचारों को जानने की कोशिश करें।
बिजनेस में किसी तरह की बहस को जंग न समझें। हार-जीत का फैसला करने की बजाय दूसरे व्यक्ति को बेहतर ढंग से समझें।
(स्रोत- ‘डिफिकल्ट कन्वर्सेशन, नाइन कॉमन मिसटेक’ बाय हौली वीक्स)

टैलेंट के लिए सफलता आसान

हर क्षेत्र में आर्टिफिशियल टैलेंट की बजाय नेचुरल टैलेंट को पसंद किया जाता है। इसलिए अपने काम और व्यवहार में नेचुरल रहें। सफलता के लिए जरूरी नहीं कि आप कौन हैं लेकिन यह जरूरी है कि आप क्या कर रहे हैं। ध्यान रखें-

स्पेसिफिक गोल बनाएं

यह न कहें कि आप अपनी अलमारी को हफ्ते में तीन दिन साफ करेंगे। बल्कि अपने कैलेंडर में तीन दिन मार्क कर लें जब आप अलमारी की सफाई करेंगे। इसी तरह से अपने काम के लिए स्पेसिफिक गोल बनाएं।

जो करना है उस पर ध्यान दें

आप अपने गुस्से से परेशान हैं और इस आदत को बदलना चाहते हैं। तो इस बात पर फोकस करें कि अगली बार गुस्सा आने पर आप किस तरह से खुद पर काबू रखेंगे।

(स्रोत-‘नाइन थिंग्स सक्सेसफुल पीपुल डू डिफ्रेंटली’ बाय हेडी ग्रांट हैल्वोरसन)

जरूरी चीजों पर ध्यान दें

पहले मैनेजर्स परफॉर्मेस रिव्यू, प्लान या स्ट्रेटेजी पर फोकस करते थे। लेकिन अब कस्टमर, ऑपरेशंस, मार्केट, कंपिटीटर डाटा पर ध्यान देते हैं। इन तीन तरीकों से डाटा को सही तरीके से मैनेज किया जा सकता है।

सब कुछ सीखने की बजाय उन्हीं चीजों पर ध्यान दें जो आगे बढ़ने में मददगार साबित हो। इससे काम में आसानी होगी और नतीजे भी अच्छे मिलेंगे।
किसी एक व्यक्ति की बात को अंतिम सच न समझ लें। एक बात या घटना को लेकर हर व्यक्ति का अपना नजरिया होता है। इसलिए दिमाग से काम लें।

डाटा को सही तरीके से समझने के लिए टीम की मदद लें। डाटा में बदलते ट्रेंड्स पर उनकी राय भी जानें।
(स्रोत- ‘मैनेजिंग द इन्फॉर्मेशन इवलांचे’ बाय रोन अशकेनास)


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Monday, 14 April 2014

Who Will Be The Prime Minister, Rahul or Modi or Kejriwal ?

                           
 आज देश के सामने बहुत बड़ी चुनौती है कि अगला prime minister कौन होगा ?जनता इस कदर घबरा चुकी है कि इस election का फैसला जैसे सभी की निज़ी जिंदगी का अहम् फैसला है, वैसे है भी, देश पहले नागरिकों का घर है | आने वाले लोकसभा election के बारे में जब विचार किया जाता है तब नागरिको के मुख पर गहरी चिंता दिखाई पड़ती है |

बढ़ती हुई महंगाई, बढ़ता हुआ भ्रष्ट्राचार और बढ़ता हुआ आतंकवाद, इन सभी ने देश की नीव को हिला दिया है आज बच्चा–बच्चा इन तकलीफों को महसूस कर रहा है | फिलहाल इस तरह की परेशानी का एक हल यह है कि देश एक सच्चे, कर्मठ और ईमानदार व्यक्ति के नेतृत्व को हासिल करे और यह नेतृत्व देश की जनता के votes तय करेंगे इसलिए आवश्यक है कि जनता अपनी ताकत का सही दिशा में उपयोग करे |

2014 के election में प्रधानमंत्री पद के प्रबल दावेदारों में Narendra Modi , Rahul Gandhi के साथ कुछ वक्त पहले Arvind Kejriwal का नाम भी जुड़ा है | जनता के फैसले को कुछ हद तक आसान बनाने के लिए आपसे इन तीनो दावेदारों का एक परिचय करवाते है |

Rahul Gandhi:
यह India के सफल राजनीतिज्ञ नेहरु-गाँधी परिवार के युवा सदस्य है| इनका जन्म 19 जून 1970 में हुआ था| इनके पिता Rajiv Gandhi देश के सफल prime minister थे, जिन्हें देश के आतंकवाद ने देश से छीन लिया | इनकी दादी Indira Gandhi ने देश को सफल राजनीति दि, लेकिन इन्हें भी इनके ही body guard ने मार दिया | इस तरह Rahul का प्रारंभिक जीवन बहुत ही कठिनाइयों से गुजरा |

इनकी प्रारम्भिक शिक्षा St.Colombia School Delhi से हुई,इसके बाद इन्होने Doon School में अध्ययन किया,लेकिन 1981-1983 के बीच सुरक्षा कारणों से इन्हें घर में रहकर ही अध्ययन करना पड़ा | 1995 में Rollins and Cambridge university से degree प्राप्त कर Monitor Group के साथ 3 years तक काम किया, इस दौरान इनका वास्तविक परिचय किसी को पता नहीं था security के कारण इन्होने अपना नाम Raul Winsi बताया था जिस बात को लेकर बहुत दिनों तक controversy रही |

Rahul अपने पिता की ही तरह राजनीति से दूर रहना चाहते थे लेकिन 2004 में यह India वापस आये और अपनी बहन Priyanka और माँ Sonia के साथ मिलकर राजनीति में कदम रखा | इन्होने Amethi जो कि नेहरु-गाँधी परिवार का गढ़ है, वहां से election लड़ कर जीत हासिल की | इस तरह 2004 से Rahul ने भारत की राजनीति में कदम रखा |इसके बाद इन्होने हैदराबाद में काँग्रेस के अध्यक्ष का पद प्राप्त किया पर इन्होने 2009 में मंत्री पद को स्वीकार नहीं किया क्यूंकि इन्हें अनुभव की कमी महसूस हुई | जिसके बाद से आज तक उन्होंने देश के हर क्षेत्र में अपने ज्ञान को बढ़ाने का प्रयास किया और अपने से बढ़ो के साथ मिलकर देश की गतिविधी को समझा और उचित फैसले लेने में पार्टी का साथ दिया |

इनकी विचार धारा है कि देश को साम्प्रदायिक लड़ाई से ऊपर उठाना बहुत जरुरी है देश प्रगति में यह सबसे बड़ी बाधा है | यह एक युवा नेता है जो देश को उसी दृष्टि से देखते है जिस तरह एक कर्मठ और शक्तिशाली युवान देखता है | प्रगति के पथ पर आगे बढ़ने का सपना लिए यह देश के प्रधानमंत्री पद के दावेदार है |

Narendra Modi:
मोदी जी देश के बहुत ही साधारण परिवार में जन्मे और देश की मिट्टी में पले बड़े है,इनका जन्म 17 September 1950 में बाम्बे राज्य के महेसाना जिले में हुआ था | यह अपने पिता के साथ चाय का स्टाल चलाते थे | इनकी प्रारंभिक शिक्षा भी यही हुई जहाँ इन्हें एक average student कहा गया, लेकिन इन्हें वाद विवाद में रोकना ना मुमकिन था| देश के प्रति प्रेम इनके अंदर जन्म से था तभी 2nd world war में इन्होने army के लोगो की सेवा की और कम उम्र में ही RSS का हिस्सा बन गये | इन्होने हिन्दूस्वयं सेवक संघ में अपने आपको झोंक दिया और वही से देश की सेवा में आगे बढ़े| इन्होने Lal Krishan Aadwani के साथ देश का भ्रमण किया कई अहम् मुद्दे पर पार्टी को सलाह दी|2001 में केशुभाई पटेल के इस्तीफा देने के बाद इन्हें गुजरात का Chief Minister बनाया गया जिसके बाद आज तक वह गुजरात के chief minister है | इन्हें गुजरात में हुए विकास और जनता के प्रेम के कारण “विकास पुरुष” कहा जाता है | देश की राजनीति का इन्हें बहुत ज्ञान है| इन्होने भारत भूमि की तकलीफों को महसूस किया है, एक साधारण गरीब की दिक्कतों को जाना है, इसके बाद इन्होने एक राज्य को विकास के नए दौर में ले जाने का कठिन कार्य किया है |

यह नहीं है कि इन्हें सदैव प्रेम ही मिला, इन पर 2002 में हुए गोधरा कांड में शामिल होने के आरोप लगे, जिस कारण राजनैतिक दबाव के कारण इन्होने इस्तीफा दे दिया और गुजरात में राष्ट्रपति शासन लागु किया गया लेकिन election के result ने इन्हें फिर भारी बहुमत से जीत दिलाई | कोई पुख्ता सबूत न मिलने के कारण इन्हें दोषमुक्त किया गया | विरोधी दलों के अनुसार यह मुस्लिम विरोधी है पर इनके कार्यो के अनुसार इन्होने हमेशा गुजरात की प्रगति को सामने रखा, जिसमे कई बार इन्हें स्वयंसेवक संघ के विरोध में भी काम करना पड़ा ,लेकिन इन्होने कोई परवाह नहीं की |

गुजरात के विकास को देखकर यह अनुमान लगाया जा सकता है कि देश के विकास में इनका दृष्टिकोण सफल हो सकता है | इसके साथ ही यह प्रभावी वक्ता भी है जो कि एक leader का विशेष गुण माना जाता है | इस तरह मोदी को कई वर्षो का राजनैतिक अनुभव के साथ सरल जीवन का भी अनुभव है | मोदी का अहम् मुद्दा देश का विकास है और देश को आतंकवाद मुक्त करना है |

Arvind Kejriwal:
विगत 2 वर्षों में बनी पार्टी आम आदमी “Aap” के नेता और Delhi के नव मनोनित Chief Minister Arvind Kejriwal का जन्म 16 August 1968 में हरियाणा के छोटे से village सिवनी में हुआ,इनके पिता electrical engineer है इनकी स्कूली शिक्षा Campus school, Hisar से हुई है|

1989 में Arvind Kejriwal ने IIT Khadakpur से Mechanical engineering में degree प्राप्त की| इन्हें हमेशा से देश की समस्याओ के लिए सोचना उनके लिए लड़ना पसंद था | इसके बाद उन्होंने 1989 में Tata Steel company join कर ली और जमशेदपुर चले गए| 1992 में सामाजिक कार्य करने की चाह में Tata group के head के पास जाकर उनके Social welfare department में काम करने की इच्छा जाहिर की, उनके मना करने पर Arvind जी ने Tata छोड़ दी और civil service की तैयारी करने लगे| उन्होंने civil service की exam एक attempt में clear की ,जिससे उन्हें IRS मिला था|

Jamshedpur में उन्होंने Mother Teresa का बहुत नाम सुना था तो उनके साथ काम करने की चाह में Arvind Kolkata चले गए| जब Arvind Mother Teresa से मिले और उनके साथ काम करने की इच्छा जताई तब Mother Teresa ने उन्हें कालीघाट आश्रम जाकर काम करने को कहा| वहां उन्होंने 2 महीने काम किया| Arvind कहते है Mother Teresa से मिलना उनकी life का turning point था| Arvind जी हमेशा से ही देश के लिए कुछ करना चाहते थे| जब college में उनके सभी साथी higher study के लिए foreign जा रहे थे,तब Arvind जी भी जा सकते थे,लेकिन देश के लिए कुछ कर दिखाने के जज्बे ने उन्हें देश से बाहर जाने नहीं दिया|

सन 1995 में Arvind जी ने आयकर विभाग में Joint Commissioner बन गए| Arvind जी ने यही से भ्रष्टाचार के खिलाफ जंग शुरू कर दी थी, सन 2000 में Arvind जी ने आयकर विभाग से 2 साल की leave ली| इस दौरान उन्होंने ‘परिवर्तन’ नामक NGO की स्थापना की| यह संस्था Dehli में आयकर एवं बिजली विभाग में सभी आम आदमी के काम free में करवाती थी| उन्होंने Delhi में इसके पर्चे बाटें थे जिसके तहत आयकर एवं बिजली विभाग में अगर कोई कर्मचारी रिश्वत मांगता है तब यह संस्था वह काम पूरा करने का बेड़ा उठाती थी जो कि मुफ्त में किया जाता था |तक़रीबन 800 लोगों का काम Arvind ने 1 साल के अंदर free में करवाया| Arvind कभी भी “परिवर्तन संस्था” का चेहरा नहीं रहे, वह हमेशा पीछे से काम करते थे| सामने दिखने वाले चेहरे Manish Sisodiya और अन्य लोगो के थे| सन 2003 में Arvind ने एक बार फिर आयकर विभाग join कर लिया और 18 महीने तक काम किया|

सन 2006 में Arvind ने आयकर विभाग से इस्तीफा दे दिया और पूरी तरह से “परिवर्तन संस्था” के साथ जुडकर काम करने लगे| सन 2006 में Arvind जी ने पुरे देश में RTI के बारे में जागरूकता फ़ैलाने के लिए एक आन्दोलन चलाया| RTI के through आम आदमी सरकार से उसके कामों को लेकर सवाल जवाब कर सकता है| हांलाकि इस शक्तिशाली उपकरण को आम आदमी तक पहुँचने में अभी समय लगेगा|

Arvind सन 2011 में Anna Hazare के साथ मिल कर जन लोकपाल Bill Pass कराने की लड़ाई लड़ी| Anna Hazare की अनुवाई में चले India Against Corruption (IAC) आन्दोलन में वह आमरण अनशन पर भी बैठे| इस तरह उन्होंने सब तरीके से सरकार के कामों को बदलना चाहा लेकिन जब उनके इन सब कामों से भी सरकार ने कुछ नहीं किया, तब Arvind ने सरकार को ही बदलना चाहा और राजनीति में आकर 2 अक्टूबर 2012 को स्वयं की राजनीति पार्टी ‘आम आदमी पार्टी’ का गठन कर दिया| इस Party के साथ उन्होंने 2013 में Delhi विधानसभा का election लड़ा| 15 साल से CM के पद पर विराजमान कांग्रेस की, Sheela Dixit को 8 के मुकाबले 28 सीट से हरा कर जीत हासिल की और 26 December को Arvind ने शपथ लेकर मुख्यमंत्री पद सम्भाला| इस तरह इन्होने आम आदमी से मुख्यमंत्री का सफ़र तय किया लेकिन वह देश की बागडौर सम्भाल पाने योग्य है या नहीं इसका अनुमान अभी नहीं लगाया जा सकता , पर कम समय में इस पद को हासिल कर अपने वादों को पूरा करने में जुट जाना भी इतना आसान नहीं है | अरविन्द का अहम् मुद्दा है भ्रष्ट्राचार मुक्त शासन |

अब वक्त ही बतायेगा कि कौन होगा अगला Prime Minister ?
देश को क्या चाहिए ?
• उद्योगों में वृद्धि, रोजगार की इच्छा, उच्च शिक्षा |
• पड़ोसी देश के आतंको से मुक्ति , देश में व्याप्त सांप्रदायिक झगड़ों से निज़ात या अपने ही देश में सुरक्षा |
• महंगाई से राहत |
• भष्ट्राचार से मुक्ति |
• बढ़ते हुए crime से छुटकारा |


ऐसे ही कई मुद्दे है, जिनसे आम आदमी रोज जूझता है | पर क्या इनमे से किसी एक मुद्दे को भी छोड़ना आसान है ? दो वक्त की रोटी जितनी जरुरी है उतनी ही जरूरी जिन्दगी की साँसे भी है उतनी ही जरुरी घर की माँ बेटी की आबरू भी है | शायद आज देश के हालात वहाँ जा पहुंचे है जहाँ से स्वतन्त्रता के बाद देश ने आगे बढ़ना शुरु किया था पर जब हालात देश की गुलामी के कारण थे पर आज हालात देश के लोभी नेताओं और corrupt कर्मियों की देन है |

खैर,फिलहाल देश का जागना जरुरी है|देश केवल नेताओ से नहीं बल्कि जनता से बना है जनता का फैसला ही देश को बदल सकता है इसलिए जरुरत है अपने votes का सही इस्तेमाल |

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क्षमा करना क्यों है ज़रूरी?

Dear friends,

इस ज़िन्दगी में इंसान से जाने-अनजाने गलतियाँ होती रहती हैं. जब हम खुद गलती करते हैं तो लगता है कि काश सामने  वाला माफ़ कर दे…पर जब किसी और से गलती होती है तो हम रूठ कर बैठे जाते हैं. और आज knowledge sakar पर हम इसी subject,यानि Forgiveness पे  एक बेहेतरीन Hindi Article share कर रहे हैं. इसे पढने के बाद Forgiveness के विषय में मेरी सोच निश्चित रूप से बेहतर हुई है.उम्मीद है इस article को पढने के बाद Forgiveness को लेकर आपके नज़रिए में भी एक बेहतर बदलाव आएगा.

                                         क्षमा करना क्यों है ज़रूरी ?
  क्षमा करना क्यों है ज़रूरी ?
‘Be a human’ ये phrase आपने अपनी life में कितनी बार सुना होगा और बोला होगा, पर इसके गहरे अर्थ को समझने की कोशिश हम कितनी बार करते हैं. ‘Respect begets respect’ and ‘love begets love’ यानि ‘respect के बदले में respect और love के बदले में love ‘क्या हमेशा ऐसा ही हो ये ज़रूरी है? याद कीजिये अपने जीवन का कोई ऐसा पल जब आपने बिना ये सोचे किसी की मदद की हो कि बदले में मुझे क्या मिलेगा या इसकी मुझे क्या कीमत चुकानी पड़ेगी. ईश्वर ने इंसान को बहुतसारी अच्छाइयों और positive qualities से सजाया है.  उन अच्छाइयों में एक अच्छाई है परोपकारी व्यवहार या altruistic behaviour.  ये एक unselfish concern है दूसरों की सहायता करने का. हम अपनी life  में लोगों की मदद कई बार करते हैं पर सोचने वालीबात ये है कि ये मदद कितनी बार बदले में कुछ न पाने की  भावना से प्रेरित होती  है.  न चाहते हुए भी कहीं न कहीं हमारे मन में एक expectation याउम्मीद जन्म ले लेती है कि हमे भी इस उपकार  के बदले में ज़रूर कुछ मिलेगा, कुछ नहीं तोबदले में एक thank  you की  उम्मीद तो हो ही जाती है.

तो ऐसा कौन सा उपकार है जोइस तरह  की उम्मीद या भावना से परे है? ऐसा कौन सा उपकार है जो दूसरों के लिए तो अनमोल है पर मदद देने वाले के लिए बहुत ही आसान और सस्ता.  वो  उपकार है किसी को किसी की ग़लती के लिए क्षमा करना…forgive करना. किसी को किसी की भूल के लिए क्षमा करना और आत्मग्लानि से मुक्ति दिलाना एक बहुत बड़ा परोपकार है.  क्षमा  करने की  प्रक्रिया मेंक्षमा करने वाला क्षमा पाने वाले से कहीं अधिक सुख पाता  है.  अगर सोचा जाये तोछोटी से छोटी या बड़ी से बड़ी ग़लती को कभी भी past में जा कर संवारा नहीं जासकता , उसके लिए क्षमा से अधिक कुछ नहीं माँगा जा सकता है.  अगर आप किसी की भूल को माफ़ करते हैं  तो उस व्यक्ति की  सहायता तो करते ही हैं साथ ही साथ स्वयं की सहायता भी करते हैं.  क्षमा  करने  के  लिए व्यक्ति को अपनी ego  से ऊपर उठ करसोचना पड़ता है जो कि एक कठिन काम  है और  सिर्फ एक सहनशील व्यक्ति ही इसे कर सकता है.  कभी आपने इस बात पर ध्यान दिया है कि अपनी रोज़ की ज़िन्दगी में हम कितनो को क्षमा करते हैं और कितनो से क्षमा पाते  हैं. कितना आसान है किसी से एक शब्द sorry कह कर आगे निकल जाना और बदले में अपने आप ही ये सोच लेना कि उस व्यक्ति ने हमे माफ़ भी कर दिया होगा.  क्या होता अगर हमारे माता- पिता हमारी भूलों के लिए हमें क्षमा नहीं करते? क्या हो अगर ईश्वर  हमें  हमारे अपराधों के लिए क्षमा करना छोड़ दे . इसलिए अगर हम किसी को क्षमा नहीं कर सकते तो हम  ईश्वर से अपने लिए माफ़ी की उम्मीद कैसे कर सकते हैं.  किसी महान व्यक्ति ने कहा है कि  किसी को किसी की भूल के लिए माफ़ ना करना बिल्कुल ऐसा ही है जैसे ज़हर खुद पीना  औरउम्मीद करना कि उसका असर दूसरे पर हो.  सोचिये कि अगर क्षमा नाम का परोपकार इसदुनिया में ना हो तो  कोई किसी से कभी प्रेम ही नहीं कर पायेगा…love is nothing without forgiveness and forgiveness is nothing without love.

कोई भी परोपकार करने के लिए जो सबसे पहली और आवश्यक चीज़ आपके पास होनी चाहिए वो है आपकी ख़ुशी.  हर इन्सान को किसी भी काम को करने से पहले अपनी ख़ुशी पहले देखनी चाहिए.  सुनने में थोड़ा अजीब लगता है न कि अपनी ख़ुशी पहले कैसे रखें जबकि हमेशा  से ये ही सीखते आये हैं  कि अपनी ख़ुशी का sacrifice  करके भी दूसरों कीख़ुशी पहले देखनी चाहिए.  सवाल ये भी उठता है कि अगर अपनी ख़ुशी पहले देखेंगे  तो परोपकार कैसे करेंगे? दोनों एक दूसरे के बिल्कुल opposite हैं.  तो उत्तर ये है कि अगर आप किसी की  मदद बाहरी  प्रेरणा या extrinsic motivation की  वजह से कर रहे हैं तो वो परोपकार है ही नहीं,  परोपकार तो वो होता है जिसका स्रोत आंतरिक प्रेरणा या intrinsic motivation होता है.  शायद आप ये नहीं जानते कि आप दूसरों को ख़ुशी तबही दे पाएंगे जब आप स्वयं खुश होंगे.  Sacrifice करना एक अच्छी बात है लेकिन वहीँ जहाँ sacrifice करने से आपको ख़ुशी मिल रही हो.  अगर कोई अपनी ख़ुशी को बार- बारमार कर sacrifice करता है तो एक दिन वो frustration का रूप ले लेता है जिसके negative effects भी हो सकते हैं.  ये human  nature है कि अगर हम अपने जीवन से परेशान या दुखी हैं तो दूसरों के खुशहाल जीवन को देख कर हम सच्चे मन  से उसे कभी appreciate  नहीं कर सकते. एक हारा हुआ इंसान कभी भी किसी जीतने वाले इंसानको सच्चे मन से बधाई नहीं दे पाता इसके पीछे उसकी कोई दुर्भावना नहीं होती बल्किअपनी ही आत्मग्लानि होती है. इसलिए किसी का भी कल्याण करने की पहली सीढ़ी हैअपने मन की ख़ुशी और संतुष्टि  और क्षमा करनेकी प्रक्रिया में भी यही  नियम लागू होता है. एक प्रसन्न रहने वाला व्यक्ति दूसरों को अधिक देर तक अप्रसन्न नहीं देख सकता. ऐसा कहा जाता है कि जिसके पास जो होता है वही वो दूसरों को देता है. जो वस्तु आप के पास उपलब्ध ही नहीं वो आप किसी को कैसे  दे सकते है? आम के पेड़ से हमेशा आम ही प्राप्त करने की उम्मीद की जा सकती है किसी और फल की नहीं.  ये याद रखिये कि अगर आप अन्दर से positive हैं  और खुशहैं तो अपने आस- पास भी positivity ही फैलायेंगे.  “idiots neither forgive nor forget, naive forgets but not forgive but a kind person forgives but never forgets.” ” मूर्ख व्यक्ति ना क्षमा करते हैं न भूलते हैं , अनुभवहीन व्यक्ति भूल जाते हैं ,पर क्षमा नहीं करते , लेकिन एक दयालु व्यक्ति क्षमा कर देता है पर भूलता नहीं.”

इसलिए अगर अपनी रोज़ की ज़िन्दगी में आप लोगों  को क्षमा करते हैं तो ये आप  का अनजाने  में उनपर  किया  गया   सबसे  बड़ा  उपकार  होता  है  जिसकी  आपको  कुछ  भी  कीमत  नहीं चुकानी  पड़ती .

कहा भी गया  है -

‘to err is human and to forgive is divine’ 

माफ़ करना अँधेरे कमरे  में रौशनी करने जैसा होता है,  जिसकी रौशनी में माफ़ी मांगने वाला और माफ़ करने वाला दोनों एक दूसरे को और करीब से जान पाते हैं. माफ़ करके आप किसी को एक मौका देते हैं अपनी अच्छाइयों को साबित करने का. सोचिये कि अगर द्रौपदी ने अपने अपमान के लिए दुर्र्योधन को  क्षमा कर दिया होता तो शायद  महाभारत के उस युद्ध में इतना नरसंहार न हुआ होता. क्यों कहा जाता है कि मरने वाले को हमेशा क्षमा कर देना चाहिए ? क्या सचमुच इसलिए कि उस इंसान को फिर कभी माफ़ी मांगने का मौका नहीं मिलेगा या इसलिए कि आपको फिर उसे  कभी माफ़ करने का  मौका न मिले?

तो अगर हम किसी ज़िन्दगी की सूखी ज़मीन पर माफ़ी की दो- चार बूंदों की बारिश कर पायें  तो हो सकता है कि उस  सूखी ज़मीन पर आशाओं, और मुस्कुराहटों के फूल खिल उठें.

तो ज़िन्दगी में रुठिये, मनाइए, शिकवे और मोहब्बत भी कीजिये पर सुनिए!!!!!!! ‘ज़रा सा माफ़ भी कीजिये’ !!!

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अनमोल वचन ( ज़िंदगी में आप जितना कम बोलते हैं, आपकी उतनी ज्यादा सुनी जाएगी। )

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आप भी हैं Intelligent !!!!!!!

                            
”That person is very intelligent” यह वाक्य हम तब कहते हैं जब हम किसी कीप्रशंसा करते हैं. पर हम में से अधिकतर लोग बुद्धिमान उसी व्यक्ति को समझते हैं जोबहुत पढ़ा लिखा होता है. अपने academics में अच्छे marks लाता है और दी गयी किसी भी problem को तुरंत solve कर लेता है पर शायद ऐसा सोच कर हम बुद्धि के बहुत हीविस्तृत रूप को संकुचित कर देते है. माता- पिता कई बार इस बात को ले कर शर्मिंदाहोते हैं की उनका बच्चा कम अंक ले कर आया है और अपनी सारी ताकत उसे ये समझाने मेंलगा देते हैं की इस दुनिया में अगर कुछ करना है तो अच्छे marks लाओ जबकि शायद वे यहनहीं जानते की ऐसा करके वे अपने बच्चे के जीवन के एक ऐसे पेहलू को उभरने से रोकरहें हैं जो उसकी सफलता का असली कारण हो सकता है. एक ऐसा बच्चा जो किसी competitive exam को clear नहीं कर पाया पर अपने माता पिता की feelings को बहुत अच्छे से समझताहै और उनकी हर आज्ञा का पालन करता है तो क्या ऐसे बच्चे को आप intelligent लोगों की category में नहीं रखेंगे?क्या एक अच्छा गायक बुद्धिमान नहीं,सड़क पर गाड़ी ठीक करनेवाला mechanic या जूते बनाने वाला मोची बुद्धिमान नहीं  या stage पर dance करनेवाला dancer बुद्दिमान नहीं? क्या आप ये सारे काम कर सकतें हैं? शायद आप ये नहींजानते की intelligence भी कई type की होती है जैसे-

 1)  Linguistic Intelligence   – इसमें  language, vocabulary  या statements  से related  कार्यों की कुशलता होती है जैसे की writers में .

2) Logical -Mathematical  Intelligence – इसमें तर्क करने याअंकों से related  कुशलता होती है. जैसे की mathematicians या scientists में.

 3) Spatial Intelligence – इसमें figures को मानसिक रूप से change करने कीकुशलता होती है जैसे की pilots , painters  में.

 4) Body -Kinesthetic Intelligence – इसमें body movements से related कुशलताहोती है जैसे की gymnasts  या  dancers  में.

 5) Intrapersonal Intelligence – जिसमे अपने emotions को समझने और monitor करने की ability को रखा गया है.

6) Interpersonal Intelligence – इसमें दूसरे व्यक्तियों की need  तथा भावनाओंको समझने की कुशलता होती है.

 7) Naturalistic Intelligence - यह natural चीज़ों को समझने की ability से related है. जैसे zoologists,mountaineers etc.

 ये सोचना बिल्कुल  ही व्यर्थ होगा की जो व्यक्ति अपने academics में अच्छा कररहा है वो अपने भविष्य में भी अच्छा ही जीवन  व्यतीत करेगा. कई बार ऐसा भी देखा गयाहै की अपने professional life  में सफल  होने के बाद भी लोग अपने personal life में असफल  हो जाते हैं . बल्कि वो व्यक्ति जो पढ़ाई  में कहीं पीछे होता है अपनी personal life में बहुत खुशहाल हो सकता है और उसके साथ लोग ज्यादा enjoy  भी करतेहैं. ऐसे कई व्यक्ति हैं जिन्होंने अपने स्कूल के दिनों में बहुत अच्छे अंक प्राप्तनहीं किये पर आज पूरी दुनियां उनको जानती है क्यों की उन्होंने अपनी abilities कोपहचाना और अपने सपनों का पीछा करना नहीं छोड़ा. जैसे दुनियां केसर्वश्रेष्ठ क्रिकेटर Sachin Tendulkar और Microsoft founder, Bill Gates, जिन्होंने बहुत पहले ही अपनी पढ़ाई छोड़ दी थी ,महान वैज्ञानिक Edison  जिनकी माँ नेउन्हें स्कूल से इस लिए बीच में ही निकाल लिया क्यों की teachers  उन्हें slow learner कहते थे, Charles Darwin को कौन नहीं जानता,  जिनके अपने पिता और  teachers उन्हें एक बहुत ही average student consider करते थे  और भी  बहुत सारे प्रसिद्दलोग हैं जिन्होंने अपने जीवन में अपने grades या marks को importance ना देकर अपनी real ability और अपने dreams पर focus किया.


Researches  से ये साबित हो चुका है की जीवन की सफलताओं में IQ ( Intelligence Quotient ) का योगदान सिर्फ 20 % है जबकि EQ  (Emotional Quotient ) का योगदान 80 % होता है. जिन व्यक्तियों में EQ अधिक होता है वे अपने emotions औरदूसरों के emotions को अच्छे से manage  कर पाते हैं और समझ पाते हैं.  ऐसे लोगअपनी personal life में सफल रहते हैं और जीवन की कई परेशानियों को बहुत ही आसानी सेसुलझा लेते हैं.

 आप कितने  intelligent   हैं ये कई बार आपका समाज भी तय करता है जिसमें आपरहते हैं. जैसे की  Western countries  में technological intelligence कोअधिक importance दिया जाता है पर  Eastern countries में Integral intelligence  ( जो सबके साथ अच्छे सम्बन्ध बनाये और  सबसे मिल के रहे) को importance दिया जाता है.

इस दुनिया में रहने वाले हर व्यक्ति को ईश्वर ने ऊपर बताई गयी किसी नकिसी intelligence से ज़रूर सुसज्जित किया है.  हर व्यक्ति में बुद्धि के येसभी पहलू  present  होते हैं पर कोई एक प्रकार अधिक उजागर होता है.इसलिए अपने आप को किसी से भी कम समझने की आवश्यकता नहीं है क्यों की यहदेखना भी एक रोमांच होगा की इन प्रकारों में से आपका सबसे उजागर पहलू कौन सा है.बस ज़रुरत है तो उसे पहचान कर निखारने की.  किसी भी एक प्रकार की बुद्धि  आप कोजीवन में सफल बनाने में उतनी ही कारगर होगी जितनी  की कोई दूसरे प्रकार की.

 “तो हुए ना आप अन्य बुद्धिमानों में से एक बुद्धिमान” 

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अधूरापन ज़रूरी है जीने के लिए …………


       अधूरापन शब्द सुनते ही मन में एक negative thought  आ जाती है. क्योंकि यह शब्द अपने आप में जीवन की किसी कमी को दर्शाता है. पर सोचिये कि अगर ये थोड़ी सी कमी जीवन में ना हो तो जीवन खत्म सा नहीं हो जायेगा?

अगर आप ध्यान दीजिए तो आदमी को काम करने के  लिए प्रेरित  ही यह कमी करती है. कोई भी कदम, हम इस खालीपन को भरने की दिशा में ही उठाते हैं.Psychologistsका कहना है कि मनुष्य के अंदर कुछ जन्मजात शक्तियां होती हैं जो उसे किसी भी नकारात्मक भाव से दूर जाने और available options  में से  best option  चुनने के लिए प्रेरित करती हैं. कोई भी चीज़ जो life में असंतुलन लाती है , आदमी उसे संतुलन  की दिशा में ले जाने की कोशिशकरता है.

अगर कमी ना हो तो ज़रूरत नहीं होगी, ज़रूरत नहीं होगी तो आकर्षण नहीं होगा, और अगर आकर्षण नहीं होगा तो लक्ष्य भी नहीं होगा.अगर भूख ना लगे तो खाने की तरफ जाने का सवाल ही  नहीं पैदा होता. इसलिए अपने जीवन की किसी भी कमी को negative ढंग से देखना सही नहीं है. असल बात तो ये है कि ये कमी या अधूरापन हमारे लिए एक प्रेरक का काम करता है.

कमियां सबके जीवन में होती हैं बस उसके रूप और स्तर अलग-अलग होते हैं. और इस दुनिया का हर काम उसी कमी को पूरा करने के लिए किया जाता रहा है और किया जाता रहेगा. चाहे जैसा भी व्यवहार हो , रोज का काम  हो, office जाना हो, प्रेम सम्बन्ध हो या किसी से नए रिश्ते बनान हो सारे काम जीवन के उस खालीपन को भरने कि दिशा में किये जाते है. हाँ, ये ज़रूर हो सकता है कि कुछ लोग उस कमी के पूरा हो जाने के बाद भी उसकी बेहतरी के लिए काम करते रहते हैं.

आप किसी भी घटना को ले लीजिए आज़ादी की लड़ाई, कोई क्रांति ,छोटे अपराध, बड़े अपराध या कोई परोपकार, हर काम किसी न किसी अधूरेपन को दूर करने के लिए हैं.कई शोधों से तो ये तक proof  हो चुका है कि व्यक्ति किस तरह के कपड़े पहनता है, किस तरह कि किताब पढता है, किस तरह का कार्यक्रम देखना पसंद करता है और कैसी संस्था से जुड़ा है ये सब अपने जीवन की उस कमी को दूर करने से सम्बंधित है.

महान  psychologist Maslow(मैस्लो)  ने कहा है कि व्यक्ति का जीवन पांच प्रकार कि ज़रूरतों  के आस – पास घूमता है.
पहली मौलिक ज़रूरतें; भूख, प्यास और सेक्स की.

दूसरी सुरक्षा की

तीसरी संबंधों या प्रेम की ,

चौथी आत्मा-सम्मान की

और पांचवी आत्मसिद्धि (self-actualization) की  जिसमे व्यक्ति अपनी क्षमताओं का पूरा प्रयोग करता है.

ज़रूरी नहीं की  हम अपने जीवन में Maslow’s Hierarchy of needs में बताई गयी सारी stages  तक पहुँच पाएं और हर कमी को दूर कर पाएं, पर प्रयास ज़रूर करते हैं.

कई घटनाएँ ऐसी सुनने में आती हैं जहाँ लोगों ने अपने जीवन की  कमियों को अपनी ताकत में बदला हैं और जिसके कारण पूरी दुनियां उन्हें जानती है  जिसमे Albert Einstein और  Abraham Lincoln  का नाम सबसे ऊपर आता है.

Albert Einstein जन्म से ही learning disability का शिकार थे , वह चार साल तक बोल नहीं पाते थे और नौ साल तक उन्हें पढ़ना नहीं आता था. College Entrance के पहले attempt में वो fail भी हो गए थे. पर फिर भी उन्होंने जो कर दिखाया वह अतुलनीय है.

Abraham Lincoln ने अपने जीवन में health से related कई problems face कीं. उन्होंने अपने जीवन में कई बार हार का मुंह देखा यहाँ तक की एक बार उनका nervous break-down भी हो गया,पर फिर भी वे 52 साल की उम्र में अमेरिका के सोलहवें राष्ट्रपति बने.

सच ही है अगर इंसान चाहे तो अपने जीवन के अधूरेपन को ही अपनी प्रेरणा का सबसे बड़ा स्रोत बना सकता है .

जो अधूरापन हमें जीवन में कुछ कर गुजरने की प्रेरणा दे , भला वह negative कैसे हो सकता है.

“ज़रा सोचिये! कि अगर ये थोडा सा अधूरापन हमारे जीवन में न हो तो जीवन कितना अधूरा हो जाये !!!!”

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कैसे बना मैं World’s Youngest CEO

Suhas Gopinath
                              

आज Knowledge Sakar पे हम आपको मिलवायेंगे दुनिया के YOUNGEST CEO से . CEO (Chief Executive Officer) यानि किसी company का सबसे प्रमुख अधिकारी ,कहने की बात नहीं है कि यह एक बहुत ही जिम्मेदारी भरा पद है. और इस पद तक पहुचते-पहुँचते बाल सफ़ेद हो जाते हैं.

जब पहली बार मेरे मन में ये सवाल आया कि भला दुनिया का सबसे कम उम्र वाला CEO कौन होगा , तो मैंने सोचा जरूर ये कोई American होगा, जिसने बीच में ही अपनी पढाई छोड़ कर किसी गराज से कोई IT कंपनी शुरी की होगी . कोई Bill Gates, Steve Jobs types. पर मेरे लिए ये एक बेहद सुखद आश्चर्य था कि World’s Youngest CEO कोई और नहीं बल्कि एक भारतीय है.

यह Post थोड़ी लंबी है. लगभग २२५० शब्दों की, इसलिए यदि आप चाहें तो knowledge sakar को Bookmark या Favourites में list कर लें . ताकि यदि आप एक बार में पूरी post न पढ़ पायें तो आसानी से फिर इस पेज पर आ सकें. वैसे Google में knowledge sakar search करने पर भी आप दुबारा इस Blog पर आ सकते हैं.

तो आइये हम आपको मिलवाते हैं दुनिया के youngest CEO, Mr. Suhas Gopinath ( सुहास गोपीनाथ) से.
World's Youngest CEO

आज से करीब दस-बारह साल पहले जब सुहास ने Globals Inc की foundation डाली थी तो वो महज चौदह वर्ष के थे,और तब उन्हें खुद ही नहीं पता था कि वो दुनिया के सबसे कम उम्र के CEO बन गए हैं. और ये काम उन्होंने किसी आलिशान office में बैठ के नहीं बल्कि Banglore के एक छोटे से Cyber-Cafe में बैठ कर किया था.

आज Globals Inc एक multi-million dollar company है और इसके operations USA, UK, Spain, Australia, इत्यादि देशों में फैले हुए हैं. मात्र पच्चीस वर्ष की अवस्था में, जब जादातर लोग अपनी पढाई पूरी करने में ही लगे होते हैं; तभी Suhas Gopinath ने अनेकों उपलब्धियां हांसिल कर रखी है –

    वो World Bank की ICT Advisory Council के BOARD MEMBER हैं

    साल 2007 में उन्हें European Parliament and International Association for Human Values ने “Young   Achiever Award " से सम्मानित किया.

    World Economic Forum. ने उन्हें ‘Young Global Leaders’for 2008-09 के सम्मान से भी नवाजा.

    वो World Economic Forum हे अब तक के सबसे young member भी हैं.

Suhas Gopinath With Bill Gates

क्या बात है!!!

आइये उन्ही की जुबान से जानते हैं उनकी कहानी:

सुहस का बचपन:

मैं एक माध्यम-वर्गीय परिवार से belong करता हूँ . मेरे पिता Indian Army में बतौर Scientist काम करते थे. और मैं Banglore के Airforce School में पढता था. बचपन में मेरा interest animal और vetrinary science में था . लेकिन जब मैंने अपने दोस्तों जिनके पास PC था; को कंप्यूटर के बारे में बात करते सुनता था तो मेरे अंदर भी एक चाहत उत्पन्न हुई की मैं भी उनकी तरह बात करू.

उस वक्त हमारे घर पे computer नहीं था और न ही हम उसे afford कर सकते थे. इसलिए मैंने अपने घर के नजदीक ही एक Internet Cafe find किया, तब मुझे हर महीने सिर्फ 15 रूपए बतौर pocket money मिलते थे, इतने पैसों में रोज internet नहीं surf किया जा सकता था. लेकिन मैंने इस दूकान के बारे में एक चीज notice की थी, ये हर रोज दोपहर में 1 बजे से 4 बजे तक बंद रहती थी. मैंने दुकानदार को एक offer दिया कि school के बाद 1 बजे से 4 बजे तक मैं आपकी दूकान खोलूँगा और customers का ध्यान रखूंगा. बदले में आप मुझे free में net surf करने देंगे. ये मेरी life की पहली business deal थी, और ये काफी सफल साबित हुई.

Website बनाने की दीवानगी:

अब मेरे पास कंप्यूटर और Internet दोनों था ..धीरे-धीरे मैंने website बनाना शुरू कर दिया. और कुछ ही समय में ये मेरा passion बन गया. Internet पे कुछ freelance marketplace होते हैं जहाँ मैं एक website-builder के रूप में registerहो गया. मुझे पहली वेबसाइट free of cost बनानी पड़ी क्योंकि मेरे पास references नहीं थे. ये New York के एक कंपनी की वेबसाइट थी. मेरी पहली कमी $100 की थी जो मुझे एक अन्य website बनाने पे मिली, तब मैं 13 वर्ष का था. चूँकि मेरा कोई bank account नहीं था इसलिए मैंने अपने पापा को इस बारे में बताया.

मैं पैसे को ले के जरा भी excited नहीं था. क्योंकि मई ये काम पैसे के लिए नहीं, अपने passion के लिए करता था. मैं free में भी वेबसाइट बनाता था, तब मैं नौवीं कक्षा का ही छात्र था. उसके बाद मैंने coolhindustan.com नाम का एक पोर्टल बनाया. जो NRIs पे focussed था. मैं इस पोर्टल के माध्यम से अपनी skills दिखाना चाहता था. उसके बाद तो कई कम्पनिया मुझे अपना web-designer बनाने के लिए approach करने लगीं.

जब अपना पहला computer खरीदा:

जब मैं 9th class में था तभी मैंने computer खरीदने के लिहाज से काफी पैसे जमा कर लिये थे. उस समय मेरा भाई Engineering कर रहा था , पापा ने सोचा उसे कंप्यूटर की ज़रूरत है और उसके लिए कंप्यूटर खरीद दिया, कुछ ही समय में मैंने भी एक कंप्यूटर खरीद लिया. पर मेरे घर पे net-connection नहीं था. Net-cafe में जादा समय देने से मेरी पढाई भी प्रभावित हुई. मैंने 9th के बाद अपनी सारी summer vacation cafe में काम करते हुए बिताई.

जब US से job-offer मिला :

जब मैं चौदह साल का था तब US की एक कंपनी NetworkSolutions से मुझे part -time job का offer मिला, वो US में मेरी education भी sponsor करने को तैयार थे . पर मैंने वो offer reject कर दिया क्योंकि उसी दौरान मैंने Bill Gates के बारे में पढ़ा था किउन्होंने कैसे Microsoft कि शुरुआत की थी.
मैंने सोचा अपनी कंपनी शुरू करने में जादा मजा है. US की कई कंपनियां मुझसे कहती थीं कि मेरी तो मूंछ भी नहीं है और वो मेरी services लेने में insecure feel करती हैं. वो मेरी ability को मेरी उम्र और qualification से जोड़कर देखती थीं.इसलिए मैंने अपनी कंपनी शुरू करने कि सोची ताकि मैं दुनिया को दिखा सकूं कि age और academic qualification मायने नहीं रखते हैं. मैंने निश्चय किया कि जब मैं अपनी कंपनी start करूँगा तो मैं सिर्फ youngsters को लूँगा और उनसे उनकी academic qualification या marks के बारे में नहीं पूछूँगा. आज मैं इस चीज को अपनी कंपनी में follow करता हूँ.

जब चौदह साल की उम्र में अपनी company start की :


Class 9th की छुट्टियाँ खतम होने के कुछ दिन बाद ही मैंने अपनी कंपनी Globals Inc. की शुरुआत की. मैं कंपनी का नाम Global या Global Solutions रखना चाहता था, पर दोनों ही नाम available नहीं थे, इसलिए मैंने Globals नाम रख लिया.

मैंने अपनी कंपनी US में register कराइ क्योंकि India में आप 18 वर्ष से कम उम्र में कंपनी नहीं डाल सकते. US में कंपनी शुरू करने में बस 15 minute लगते हैं. मैं company का owner और CEO बन गया, मेरा एक दोस्त जो अमेरिका की एकUniversity का छात्र था board member बन गया. मैं काफी excited था क्योंकि यही तो मैं करना चाहता था. उस दिन से मैं अपनी कंपनी को Microsoft के जितना बड़ा बनाने का ख्वाब देखेने लगा.

पहले साल में Globals Inc का turn-over Rs. 1 lac था ,जो दुसरे साल में बढ़कर Rs. 5 Lac हो गया.

स्कूल में अच्छा ना करने पर:

अपने pre-board CBSE exam में मैं Mathematics में fail हो गया. स्कूल की हेड-मिस्ट्रेस shocked हो गयीं,क्योंकि पहली बार मैं किसी subject में fail हुआ था. उन्होंने मेरी माँ को बुलाया और मेरी शिकायत की. घर पे माँ ने मुझसे कसम ली की मैं पढाई पे ध्यान दूँगा. मैंने अपनी माँ से कहा कि जब दुनिया के सबसे अमीर आदमी ,Bill Gates ने अपनी पढाई पूरी नहीं की तो आप मुझे पढाई के लिए force क्यों करती हैं? तब उन्होंने कहा कि मैं sure हूँ कि तुम्हारी और उसकी कुंडली एक जैसी नहीं हैं.

मैं एक ऐसे परिवार से हूँ जहाँ entrepreneurship को पाप समझा जाता है. मेरी माँ काफी upset थीं , वो चाहती थीं कि मैं पहले Engineering और फिर MBA करके किसी अच्छी कंपनी में काम करूं. अपनी माँ कि इच्छाओं का ख़याल रखते हुए मैंने चार महीने तक अपनी कंपनी के लिए कोई काम नहीं किया और board exams की तयारी में जुट गया . मैंने परीक्षाएं first class में पास की.

मैं अभी भी feel करता हूँ कि सिर्फ bookish knowledge से कुछ नहीं होता ,practical knowledge बहुत जरूरी है.

Europe बतौर एक Market:

जब मैं 16-17 साल का था तब तक मैंने अपनी कंपनी के बारे मैं घर मैं किसी को कुछ नहीं बताया था, वो येही समझते थे कि मैं एक freelancer हूँ . हम लोग वेबसाइट बनाना , online-shopping , e-commerce से related काम करते थे . कभी कभी हम US में part-time programmers को भी काम देते थे, पर अभी तक हमारा कोई ऑफिस नहीं था. जब मैं सोलह साल का था तब मैंने महसूस किया कि Europe में काफी opportunities हैं क्योंकि जादातर भारतीय IT companies US पे ही focus कर रहीं थीं. जब मैंने Spain कि एक कंपनी को contact किया तब उन्होंने हमारे साथ ये कहते हुए काम करें से मना कर दिया कि Indians को Spanish नहीं आती.

एक entrepreneur rejection नहीं स्वीकार कर सकता खासतौर पे जब वो young हो. मैंने Spanish Universities से पांच interns को hire किया और उन्हें उनके successful sales के हिसाब से pay करने को कहा. इन लोगों ने हमारी कंपनी के लिए projects लाये . तब मैंने decide किया कि Spain में हमारा एक office होना चाहिए.ठीक ऐसा ही मैंने Italy में भी किया.

जब Germany में Entrepreneurship पर बात करने गए :

American news-paper और BBC मेरे बारे में काफी कुछ बता रहे थे “World’s youngest CEO at 14 from a middle class background” मैंने कभी lime-light में आने के बारे में नहीं सोचा था, मेरे लिए तो एक कंपनी स्टार्ट करना मेरे passion का हिस्सा था. ये सब देख कर Germany के एक B-School ने मुझे entrepreneurship पर अपने स्टुडेंट्स से बात करने के लिए invite किया. तब मैं 17 साल का था , मैंने अपनी बारहवीं कि पढाई पूरी कर ली थी और बेंगलुरु के एक Engineering College में दाखिला ले लिया था. जब मैं 18 साल का था तब मैंने अपनी कंपनी का Europeanhead-quarter, Bonn में set-up कर दिया.
इस तरह से हमने एक छोटे से Internet Cafe से एक multi-national company तक का सफर तय किया जिसके operations आज Europe, Middle East, the US, Canada, the UK, Australia,आदि जगहों पर फैले हुए हैं.



जब 18 साल में भारत में कंपनी register की :

जिस दिन मैं अठारह साल का हुआ उसी दिन मैंने अपनी कंपनी को भारत में Globals नाम से register कर लिया और चार लोगों को recruit कर लिया. मैंने अपना ऑफिस उसी cafe के बगल में खोला जहाँ से मैंने अपने career की शुरुआत की थी. अब तक वो cafe बंद हो चूका था और उसका मालिक किसी फैक्ट्री में काम करने लगा था. वो जब ही मुझे मिलता मै उससे येही कहता कि “ आपने मुझे तो entrepreneur बना दिया पर खुद एक नौकरी कर ली”

कंपनी को एक Products company बनाने पर:

हम अपनी कंपनी को एक products company भी बनाना चाहते थे और हमारा focus education पर था. हमने एक ऐसा software बनाया है जो बच्चे के स्कूल में दाखिले से लेकर उसके निकलने तक उसकी सारी जानकारी रखे.हम इस क्षेत्र में market leader बनाना चाहते हैं. आज हमारा ये सॉफ्टवेर India, Singapore और Middle-East के सौ से जादा विद्यालयों में use हो रहा है.

जब Ex-President डा. अब्दुल कलाम से मुलाक़ात हुई: 

जब मैं Dr.  Abdul Kalam से मिला तब वो भारत के राष्ट्रपति थे. तब मैं 17-18 साल का था . वो meeting 15 min की होनी थी लेकिन हमारा conversation इतना intense था कि हमारी मुलाक़ात देढ घंटे तक चली. मुझे लगा ही नहीं कि मैं President of India से बात कर रहा हूँ. हम लोगों ने दो दोस्तों की तरह बात की. वो पहले टेबल की दूसरी ओर बैठे थे ,फिर बाद में मेरी बगल में आ के बैठ गए.यह मेरे लिए एक बड़ा ही यादगार और अच्छा learning experience था.

2005 में World Bank का board-member बनने पर:

अपनी parents की इच्छानुसार मैंने engineering में दाखिला तो ले लिया पर Bill Gates की तरह उसे complete नहीं कर पाया. जब मैं 5th Semester था, तब World Bank ने मुझे उनकी board meeting attend करने के लिए invite किया. उस board में मैं ही एक Indian था . इसका objective था कि emerging economies में किस तरह ICT का प्रयोग करके quality of education को improve किया जाय. Mr. Robert Zoellick , the President of World Bank सिर्फ Americans को बोर्ड में नहीं चाहते थे, वो और भी देशों से members चाहते थे. और चूँकि वो education पे focus कर रहे थे इसलिए वो young minds को इसमें include करना चाहते थे.
मैंने तो कभी सपने में भी नहीं सोचा था कि मैं कभी Worls Bank का Board Member बनूँगा. ये मेरी जिंदगी का सबसे unforgettable moment था.मुझे direct Robert B Zoellick को report करना था. CEO of Cisco, VP of Microsoft ,CEO of SAP, etc भी इस बोर्ड के मेम्बर थे.

अपनी कंपनी के future पर :

मैंने हमेशा येही माना है कि IT महज एक technology नहीं है बल्कि problems solve करने का एक tool है. और मैं येही इसcompany में करना चाहता हूँ . मैं चाहता हूँ कि Globals, educations से related software solutions provide करने में market-leader हो.

जब मैं छोटा था तब मैं पैसों के बारे में जादा care नहीं करता था , लेकिन अब मैं अपने employees के लिए उत्तरदायी हूँ ,अगर मैं पैसों के बारे में न सोचूं तो हम scale-up नहीं कर पायेंगे. जब मैंने बेंगलुरु के एक cafe से कंपनी शुरू कि थी तब मैंने सोचा भी नहीं था कि एक दिन ये multi-million dollar कंपनी बन जायेगी . मेरा driving force मेरा passion है और अभी तक का सफर काफी amazing रहा है.

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knowledge sakar wishes Suhas a life full of achievements. May this son of India fulfil all his dreams and bring a revolutionary improvement in field of education through his software solutions.

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Sachin Tendulkar के 10 सबक

Sachin-Tendulkar
                                      

 

Sachin एक  ऐसे  महान  खिलाड़ी   हैं , जिनके  जीवन  से  हम   बहुत  कुछ  सीख  सकते  हैं . और   आज  मैं  आपके  साथ  ऐसी  ही 10 बातें  शेयर  कर  रहा  हूँ  जिसे  हम  कह  सकते हैं :
जब   सचिन तेंदुलकर  आखिरी  बार  भारत  की  तरफ  से  खेलेने  उतरे , ये  भावुक  पल  थे . पूरी  दुनिया  उन्हें  देखने  के  लिए  बेताब  थी  हर  कोई  अपने  इस  चहेते  खिलाड़ी   को  आखिरी  बार  मैदान  पर  खेलते  देखने  के  लिए  बेताब  था . मैं  भी  उन  करोड़ों  fans में  से  एक  हूँ  जो  आज  दिन  भर  TV से  चिपके  रहे . मुझे  नहीं  लगता  कि  आज  Sachin Tendulkar के  retirement पर जितनी   आँखें  नाम  हुईं  हैं  उतनी  इससे  पहले  कभी  हुई  होंगी  या  कभी होंगी .

                                       Sachin Tendulkar के  10 सबक

1) बड़ा  सोचिये :

सचिन  जब  भारतीय  टीम  का  हिस्सा  नहीं  थे  तभी  से  वे  लगातार   भारत  के  लिए खेलने  का  सपना  देखते  थे . किसी  भी  cricketer के  लिए  यही  सबसे  बड़ी  बात  हो सकती है  कि  वो  देश  के  लिए  खेले  और  उसे  जीत दिलाये . हमें  भी  अपने -अपने  interest की  field में  जो  सबसे  बड़ा  हो  सकता  है  वो  करने की सोचनी  चाहिए   और  उसे  पाने  के  लिए  जी -तोड़  मेहनत   करनी  चाहिए . In fact आज  की  अपनी  last speech में  Sachin ने  कहा  भी  है …." सफलता   का  कोई  shortcut नहीं  है .”  So, let’s think big , work hard and achieve what we intend to.
2) संतोष  मत  करिये :

Sachin आज  तक  इतने  record बना  चुके  हैं  कि  उनकी  अलग  से  एक  record बुक  बनायीं  जा  सकती  है . सचिन  रनो  के  अम्बार  पर  खड़े  होकर  भी  हमेशा  रनो  के  लिए  भूखे  दिखे , उन्होंने  कभी  संतोष  नहीं  किया  और  दिन  प्रतिदिन  नए  records बनाते  चले  गए .

Friends, ज्यादातर  लोग  कुछ  बड़ा  achieve करने  के  बाद  satisfy हो  जाते  हैं  कि  चलो  मैंने  इतना  बड़ा काम कर लिया , पर  अगर  Sachin से  सीख  ली  जाए  तो  हमें  खुद  को  और  stretch करना  चाहिए  और  अपनी  क्षमता  को  बढ़ाते  हुए  नयी  उपलब्धियां  हासिल  करनी  चाहिए .
3) अपना  Focus  बनाये  रखिये :

Sachin ने  लगातार  24 सालों  तक  international level पे  cricket खेली  है . ये  करना  बिना  100% focus के  असम्भव  है . Sachin media की  आँखों  का  तारा  होने  के  बावजूद  कभी  cricket से  भटके  नहीं . कभी  उन्हें  फिल्मों  में  काम  करने के   तो  कभी  राजनीति  में  आने  के  offer मिले  पर  Sachin clear थे……  चौबीस  साल  से  उनका  focus बाइस  गज  की  pitch पर  ही  था  और  इसलिए  वे  सर पर उम्मीदों का पहाड़ होते हुए भी किसी  और cricketer से  कहीं  अधिक  लम्बे  समय  तक  और  बेहतर  खेल  पाये .

अगर हम भी  कुछ  बड़ा  करना  चाहते  हैं  तो  हमें भी अपना   focus किसी  एक  चीज  पर  लम्बे   समय  तक बनाये  रखना  होगा।
4) Bounce back कीजिये :
हर  खिलाडी  या  व्यक्ति  के  जीवन  में  बुरा  दौर  आता  है , Sachin भी  कई  बार  out of form हुए  हैं , तो  कभी  किसी  चोट  की  वजह  से  team से  बाहर  बैठे  हैं .  पर  हर  बार  उन्होंने  bounce back किया  है .

मुझे  याद  है  Jan 2006 में  Times of India में  बड़ी  सी  headline आयी  थी….

ENDULKAR….  जिसका  मतलब  था  Sachin’s career is over…पर  उसी   paper को   24 Feb 2012 को  एक  नयी  headline देनी  पड़ी …..

Sachin becomes first batsman to score 200 in an ODI  …. ऐसे  हैं  हमारे  master-blaster….

हमें  क्रिकेट  के  इस  भगवान्  से  सीख  लेनी  चाहिए ,कितनी  ही  बार  हमारी  life में  problems आती  हैं  और  हम  उनके  सामने  घुटने  टेकने को  तैयार  हो  जाते  हैं  … let’s not do that…Sachin से  सीख  लेते  हुए  हमें  भी  तमाम  मुश्किलों  के  बावजूद  हर  बार  बाउंस – बैक   करना  चाहिए   और  अपने  लक्ष्य  को प्राप्त  करना  चाहिए .
5) कभी  घमंड  मत  करिये  :

मैं  एक  video देख  रहा  था , “ bhagwan zameen par”, उसमे  एक  बड़ी  मजेदार  बात  कही  गयी  थी …. “Sachin ने  इतने records बनाने  के  बाद  भी  कभी इतना  attitude  show  नहीं  किया जितना लोग  उनके records  याद  कर  के  show करते  हैं .”

Sachin इतना  कुछ  achieve कर  चुके  हैं  फिर  भी  वो  next door guy ही लगते  हैं . ये  आसान  नहीं  है , और भी नहीं जब लोग आपको इंसान से भगवन बना दें…और लोग ही क्यों सचिन की तो उनके साथी खिलाड़ी भी तारीफ़ करते नहीं थकते , ऑस्ट्रलियाई बल्लेबाज Matthew Hayden ने तो यहाँ तक कह दिया- “ मैंने भगवान् को देखा है, वो टेस्ट मैचों में इंडिया की तरफ से नंबर चार पर बैटिंग करते हैं.”

हम  रोज  देखते  हैं किस  तरह  से  थोडा पैसा आने और  media attention मिलने  से  लोगों  का  दिमाग  सातवें  आसमान  पर  पहुँच  जाता  है  पर  Sachin तो  Sachin हैं , perhaps देश  के  सबसे  बड़े  icon होने  के  बाद  भी  वे  इतने  simple, sober और  down to Earth हैं  कि  अपने  आप  ही  उनके  लिए  मन  में  respect पैदा  हो  जाती  है . इसलिए , हमें  भी कभी success को अपने सर पर सवार नहीं होने देना चाहिए और नयी बुलंदियों को  छूते हुए भी  अपने   पैर  ज़मीन  पर  रखने  चाहिएं .
6) Team player बनिए :

Sachin ने  अपने  career में  Krishnamachari Srikanth से  लेकर  Dhoni तक  बहुत  से  captains के  साथ  खेले ,  और  हर  किसी  के  साथ  उनकी  relation बहुत  अच्छी  रही . इतना  बड़ा  खिलाडी  होने  के  बावजूद  उनके  साथ  किसी  तरह  की  ego problem नहीं  देखने  को  मिली .

सचिन  एक  सम्पूर्ण  team player हैं  जो अपने  हितों  से  पहले  team के  हित  को  रखता  है  और  जिसके  लिए  उसके  personal achievements से  कहीं  ज़रूरी  Team की  जीत  है.

जब सुनील गावस्कर से पूछा  गया कि सचिन को सबसे ज्यादा अफ़सोस किस बात का रहेगा तो उन्होंने कहा, ” उस समय का जब सचिन ने रन बनाये और भारत हार गया और उस समय का जब सचिन ने रन नहीं बनाये और भारत हार गया। ” , इसी से पता चलता है कि सचिन किनते बड़े टीम प्लेयर थे और उनसे सीख लेते हुए हमें भी as a team player काम करना चाहिए .
7 ) अपनी  कमियों  को  मानिये  :

एक  समय  ऐसा  आया  जब  Sachin को  कप्तानी  सौंपी  गयी , पर  as a captain वो अच्छा  नहीं  कर  पा  रहे  थे . ऐसे  में   Sachin ने  खुद  को  पीछे  रखते  हुए  किसी  और  को  कप्तान  बनाया  जाना  उचित   समझा . उन्होंने  ये  सब  बड़ी  सहजता  के  साथ  किया  और  अपना  ध्यान  उसपर  लगाया   जो  वो  सबसे  अच्छे  ढंग   से  करते  हैं – बल्लेबाजी .

पर  captain न  होने  के  बावजूद  वे  एक  अच्छे   leader बने  रहे  और  साथी  कप्तानों  और  खिलाडियों  को  अपने  अनुभव  के  आधार  पर  हमेशा  guide करते  रहे .

ये  एक  fact है  कि  सबके  अंदर  कुछ  कमियां  होती  हैं , ज़रूरी  है  उन्हें  acknowledge करना  और  उनसे  पार  पाना . Friends, problem का  solution ज़रूरी  है , चाहे  वो  आप  खुद  करें  या  किसी  और  के  through करा  लें .  Sachin की  तरह  हमें  भी  अपनी  कमियों  को  समझना  चाहिए  और  उनका solution खोजना चाहिए  .
8) पुराने लोगों  को मत भूलिए   :

अभी  एक -दो  दिन  पहले  ही  Sachin के  गुरु   Shri Ramakant Achrekar का  statement आया , “ सचिन  उन्हें  गुरु  मानता  है …ये  उसकी  महानता  है. ”

Sachin जब  भी  कोई  series या  tournament खेलने  जाते थे  तो  उससे  पहले  अपने  गुरु  से  ज़रूर  मिलते  थे  और  उनका  आशीर्वाद  लेते  थे . इतने  खिलाडी   हैं  देश  में पर  मैंने  और  किसी  में  अपने  गुरु  के  लिए  इतनी  respect नहीं  देखी . सच  में   सचिन  महान  हैं  उनके  अंदर  बहरतीय  मूल्यों  को  समावेश   साफ़  दीखता  है .

Sachin सिर्फ  अपने  गुरु  के  लिए  ही  ऐसे  नहीं  हैं , वे  आज  भी  अपने  पुराने  यार -मित्रों  और  साथी  खिलाडियों   के  लिए  वही  पुराना  सचिन  हैं , और  समय  समय  पर  उनकी  मदद   करते  रहते हैं.

सचिन ने आज अपनी फेयरवेल स्पीच में कहा भी , ” दोस्तों के बिना ज़िन्दगी अधूरी है ! “

हमें  भी कामयाब होने के बाद उन लोगों को नहीं भूलना चाहिए जो कहीं न कहीं हमारे सफ़र का हिस्सा रहे हैं .
9) अपने  काम  से  अपना  जवाब  दीजिये :

Sachin पर  ना  जाने  कितनी  बार  retire होने  का  pressure आया , कितनी  ही  बार  आलोचकों  ने  उनके  खेल  में  कमियां  निकालीं  और  जो   लोग  cricket का  ’C’ भी  नहीं  जानते  वे  भी  नसीहत  देने  में  पीछे  नहीं  रहे  . पर  सचिन  ने  कभी  भी आलोचकों को  मुंह  से   जवाब  नहीं  दिया , वे   हर  बार  मैदान  पर  गए  और  उनके बल्ले ने बात की .

  आपके  profession में  भी  ऐसा  वक़्त  आ  सकता  है  जब  चीजें  आपके  अनुकूल  न  हों , ऐसे  में  अपने       temper lose करने  से  और  औरों  को  भला -बुरा  कहने  से  बेहतर  होगा  कि  सचिन  की  तरह  हम  भी       अपने  काम  के  ज़रिये  लोगों  का  मुंह  बंद  करें।
10) कुछ  और  बनने  से  पहले  एक  अच्छा  इंसान  बनिए :

सचिन  को  आज  जो  सम्मान  , जो  प्यार  मिल  रहा  है  , वो  सिर्फ  उनके  खेल  की  वजह  से  नहीं  है . सचिन  एक  महान  खिलाड़ी  होने  के  साथ – साथ  एक  बहुत अच्छे  इंसान  भी  हैं . वो  high officials से  लेकर  support staff तक  को  बराबर  सम्मान  देते   हैं . कभी  किसी  विवादों  में  नहीं  पड़ते  और  समय -समय  पर  सामजिक  कार्यों  में  भी  हिस्सा  लेते  रहे  हैं .

Friends, सचिन सही मायने में  “भारत  रत्न ” हैं  औऱ आज उनके  retire होने  के  साथ ही क्रिकेट का  एक  बहुत  बड़ा  अध्याय  ख़त्म  हो  गया  है   और  साथ  ही  ख़त्म  हो  गया  है  करोड़ों  हिन्दुस्तानियों   द्वारा  पूछे  जाने  वाला वो सवाल —सचिन  ने  कितने  रन  बनाये ?

All the best Sachin , we love you.

————सचिन तेंदुलकर की प्रशंशा में कहे गए कथन—————–

————Sachin Tendulkar’s Farewell Speech in Hindi—————–


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