"भीगा -2 सा ये दिसंबर है , ये दिसंबर का सर्द मौसम है" राहुल की आज भी हेलो tune यही रहती थी हर साल दिसंबर के महीने में। कुछ रिश्ता ही ऐसा था जो सर्दी,गाने और तन्हाई आज भी ऐसा x ,y ,z axis वाला 3-D coordinate system बनाते थे जिसका resultant vector 'प्रिया' ही बन जाता था।
ये कुल्फी की तरह ज़माने वाली सर्दी तो राहुल काट भी लेता पर कम्भख्त प्रिया की वो यादें जो ज़ेहन में जम जाती थी उनका क्या करता , वो तो बस हर साल किसी DVD की तरह सिर्फ rewind -play ही होती थी। कहते हैं कंप्यूटर की memory से data delete कभी नहीं होता ,सिर्फ memory location के coordinates delete होते हैं , अगर कंप्यूटर की memory इतनी वफादार थी तो राहुल का तो फिर वो सच्चा प्यार थी।
वो प्यार जो इंजीनियरिंग में तबसे हिलोरे ले रहा था जब इंजीनियरिंग में हम रोज़ नहाते थे या शायद तबसे जब हम रोज़ कॉलेज जाते थे मतलब शायद Freshers पार्टी से भी पहले से। कोहरे में जब visibility कम हो जाती है तो हॉस्टल से आने वाली लड़कियों में "अपनी वाली' पहचानना किसी specialization से कम नहीं होता,वैसे में scarf ,मफलर ,दुपट्टा या बंदी के silhouette से पहचानना 'विज्ञानं' नहीं 'कला' थी। ये कला किसी बाजार में नहीं बिकती ,इसे develop करना पड़ता है। खैर जैसे तैसे करके 'प्रिया का पिया' बनने का जो सपना देखा था , उसको पूरा करने के लिए हॉस्टल से कैंटीन तक ,कैंटीन से लैब तक और लैब से पार्किंग तक उसको ताड़ने की 'opportunity' create करना उसे चाहे 'इत्तेफ़ाक़' लगता रहा हो पर था वो 'हुनर' ।चार साल ये हुनर ऐसे develop किया था की प्लेसमेंट में CV का career objective इसी को लिख सकते थे और area ऑफ़ स्पेशलाइजेशन 'प्रिया' को। प्रिया से राहुल के bond बनने की chance उतनी ही थी जितनी किसी inert गैस के ionic bond बनाने की यानि tend towards zero ।
ये कुल्फी की तरह ज़माने वाली सर्दी तो राहुल काट भी लेता पर कम्भख्त प्रिया की वो यादें जो ज़ेहन में जम जाती थी उनका क्या करता , वो तो बस हर साल किसी DVD की तरह सिर्फ rewind -play ही होती थी। कहते हैं कंप्यूटर की memory से data delete कभी नहीं होता ,सिर्फ memory location के coordinates delete होते हैं , अगर कंप्यूटर की memory इतनी वफादार थी तो राहुल का तो फिर वो सच्चा प्यार थी।
वो प्यार जो इंजीनियरिंग में तबसे हिलोरे ले रहा था जब इंजीनियरिंग में हम रोज़ नहाते थे या शायद तबसे जब हम रोज़ कॉलेज जाते थे मतलब शायद Freshers पार्टी से भी पहले से। कोहरे में जब visibility कम हो जाती है तो हॉस्टल से आने वाली लड़कियों में "अपनी वाली' पहचानना किसी specialization से कम नहीं होता,वैसे में scarf ,मफलर ,दुपट्टा या बंदी के silhouette से पहचानना 'विज्ञानं' नहीं 'कला' थी। ये कला किसी बाजार में नहीं बिकती ,इसे develop करना पड़ता है। खैर जैसे तैसे करके 'प्रिया का पिया' बनने का जो सपना देखा था , उसको पूरा करने के लिए हॉस्टल से कैंटीन तक ,कैंटीन से लैब तक और लैब से पार्किंग तक उसको ताड़ने की 'opportunity' create करना उसे चाहे 'इत्तेफ़ाक़' लगता रहा हो पर था वो 'हुनर' ।चार साल ये हुनर ऐसे develop किया था की प्लेसमेंट में CV का career objective इसी को लिख सकते थे और area ऑफ़ स्पेशलाइजेशन 'प्रिया' को। प्रिया से राहुल के bond बनने की chance उतनी ही थी जितनी किसी inert गैस के ionic bond बनाने की यानि tend towards zero ।
इंजीनियरिंग कॉलेज में किसी लड़की को Like करने का सबसे बड़ा नुकसान ये है की वो लड़की avoid करना चालू कर देती है और बाकी अपनी private क्लास से निकाल कर Void main में डाल देती हैं और लड़के वाकई में public objects बनकर रह जाते है जिन्हे कोई भी function कहीं से भी call करता है और कभी भी jump (), goto () या break कर देता है। वो original बंदी friend function के अंदर recursive loop लगा के बन्दे का clrscr () कर देती है।
राहुल बेचारा मोदी जी की बातों में आ गया था और सोचने लगा था की प्रिया उसके 'अच्छे दिन ' ला देगी लेकिन प्रिया ने उसकी ज़िंदगी में ऐसा रायता फैलाया की केजरीवाल की तरह राहुल की year बैक आ गयी। राहुल की हालत अब कांग्रेस के राहुल गांधी की तरह थी क्यूंकि अब वो उसका जूनियर हो गया था और प्रिया मोदी की तरह 'मिशन 9.2 CGPA' के सपने को साकार करके GMAT देकर अमेरिका का वीसा लगवाना चाह रही थी।पता नहीं क्यों 'प्यार का पंचनामा ' वाला Liquid का charecter राहुल की याद दिलाता था। पता नही शायद मैं ही pessimistic था और क्या पता राहुल PK मूवी का 'सरफ़राज़' था।
कहानी आगे लिखने का मन तो है लेकिन शायद ये कहानी आपको आपके किसी ख़ास दोस्त की कहानी जैसी लग रही हो और इसलिए मैं इसे आगे ले जाकर एक सुखद या दुखद अंत नही देना चाहता क्यूंकि हर कहानी सुनी नहीं जाती ,कुछ कहानिया जी जाती हैं , शायद आप खुद 'राहुल' हो या किसी राहुल के दोस्त हो क्यूंकि राहुल Proper Noun नहीं है ,ये तो Common Noun है।
क्या आप किसी ऐसे राहुल को जानते हैं या आपके क्लास में ऐसी कोई प्रिया पढ़ती है ?
ऐसा तो नहीं की वो 'राहुल' आईने में हो … सुना है आजकल राहुल की हेलो tune "किताबें बहुत सी पढ़ी होंगी तुमने,मगर कोई चेहरा भी तुमने पढ़ा है" है
Note: जल्द आ रहा है UPTU के students का one -stop -career -destination- Youtube-Channel, See Ya Soon !!!
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