Monday, 10 February 2020

Old Monk and PPT Presentation

ये लेख एक सच्ची घटना पर आधारित है , लेकिन वैधानिक चेतावनी जारी करते हुए आपको सूचित करुगा की इसे अपने कॉलेज ,संस्थान जैसी जगहों पर ना दोहराये क्योकि इसके नतीजों के दुष्परिणाम हो सकते है
बात उन दिनों की है जब उत्तर प्रदेश के एक छोटे से कसबे का लड़का दिल्ली जैसे बड़े शहर में MBA करने जाता है , यु तो वो भी इंग्लिश मीडियम का छात्र था लेकिन बड़े शहरों के लड़की लड़को में जो कॉन्फिडेंस, स्मार्टनेस और प्रेजेंटेशन स्किल्स होती थी उससे वो उन सब से बहुत पीछे था। MBA में ६० परसेंट कोर्स प्रैक्टिकल और प्रेसेंटेशन्स पर आधारित होता है , लेकिन अब तो ओखली पर सर आ ही चूका था तो मूसल से डर तो निकालना ही था , हाथ पैर कापते थे प्रेजेंटेशन देने में , पोडियम का इस्तेमाल सिर्फ इसलिए होता था ताकि कोई कापते हुए पैर न देख ले और हां प्रेक्टिकल वाले दिन भुखार का वो झूठा बहाना भी काफी मददगार होता था।
प्लेसमेंट्स शुरू होने में बस ३ महीने बचे थे , और इंटरनेशनल प्लेसमेंट्स में अप्लाई करने से पहले हर स्टूडेंट को एक ३० मिनट की प्रेजेंटेशन देनी थी , उसमे फ़ेल होने पर मल्टीनेशनल कंपनी में काम करने का सपना सिर्फ सपना हो जाना था इसलिए हर कोई जीजान से तैयारी में लगा हुआ था।
विदेश में काम करने का सपना मैंने भी देखा था लेकिन प्रेसेनशन की उस प्रेत बाधा से निकलना बार बार मुस्किल हो रहा था। बार बार शीशे के आगे अटक अटक कर एक कोशिश मै भी कर रहा था और आखरी दिन तक अटकता रहा
समय आ गया था , सुबह के ८ बज रहे थे और सजा का समय दोपहर को २ बजे मुकवर हुआ था , एक कैदी से उसकी आखरी इच्छा पूछी जाती है , और अपनी इच्छा पूरी करने वो सीधे पास के ठेके पर ओल्ड मोंक का सहारा लेने पंहुचा , खाली पेट , दिल्ली की गर्मी में ओल्ड मोंक का एक एक पेग तेज़ाब की तरह अंदर जा रहा था , हर एक पेग में टूटते सपने थे , और आँख से सीधे गिलास में गिरते नमकीन आंसू पेग का वजन दोगुना कर रहे थे। लाल लाल आखे ले कर जब कॉलेज पंहुचा तो सब कुछ धुंधला लग रहा था ( सपने भी ) लेकिन डर कही दूर ठेके पर छूट गया। आगे का ज्यादा याद नहीं लेकिन तालियों की गड़गड़ाहट से नशा कुछ कमज़ोर ज़रूर हुआ था और 95 नंबर आये थे उस प्रेजेंटेशन में उसके , सुना था साक्षात " ओल्ड मोंक" ने वो प्रेजेंटेशन दी थी जिसके आशीर्वाद से विदेश भी गया और इंटरनेशनल प्लेसमेंट भी हुई
ये वाक्या युही पिछले हफ्ते याद आया जब पता चला नीतीश कुमार जी ne मदिरा पर पाबंदी लगा दी है , अच्छा कदम है नशा मुक्ति के लिए और इसका स्वागत भी होना चाहिए CM साहब ये भूल गए इसका असर सीधे तौर पर उनकी राज्य की एंग्रेज़ी भाषा पर पड़ेगा , नागिन डांस वाली वो अनूठी कला भी विलुप्ति की कगार पर आ सकती है , " परेशान मत हो तू मेरा छोटा भाई है " जैसे वाक्य सिर्फ किताबी बातें रह जायेगी। हर चीज़ के अपने नफे नुक्सान होते है , बचपन में पढ़ा था ज्यादा दूध पीने से भी दांत की कई बीमारी हो जाती है और एक पेग रोज़ लेने से दिल की बिमारी से बचा जा सकता है
अपनी अपनी ज़िन्दगी है सबको अपने अच्छे बुरे की पहचान है ये तो आप पर निर्भर करता है की " how you make it large "

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