हमारी क्लास में कुछ लड़के होते हैं जो topper नहीं होते लेकिन उनके मार्क्स हमेशा अच्छे आते है, उनको कॉलेज के बहुत से लोग न जानते हो लेकिन जो जानते हैं, वो मानते है। वही बंदा गौतम गंभीर होता है. जिसने भी कभी क्रिकेट खेला है, वो जानता है की उस दिन धोनी से अच्छी पारी गौती ने खेली थी लेकिन 91 नाबाद अमर हो गया और 97 पे आउट होना कालचक्र में कहीं लुप्त हो गया। लोग भूल गए जब महज २५ रन पे दो विकेट निपट गए थे, कैसे तुमने सिंगल लेले कर मैच बनाया था, दूसरे छोर पे खड़े हुए जब सचिन को वापिस जाते देखा होगा और वो स्टेडियम में पसरा सन्नाटा महसूस किया होगा, कितना कठिन पल रहा होगा। लोग भूल गए जब तुमने दिलशान, मुरली, मलिंगा की एक एक गेंद को 'on -merit' खेला था। लोग भूल गए जब एक एक सिंगल के लिए तुमने उस दिन लम्बी लम्बी dive मारी थी। तुम्हारे भी ज़ेहन में एक बार तो 2003 फाइनल आया होगा, लेकिन उस दिन इतने बड़े मंच पे इतनी बड़ी ज़िम्मेदार पारी खेलने के लिए धन्यवाद। हम सबको वो स्मृति देने के लिए हम सब भारत वासी तहे दिल से शुक्रगुज़ार हैं।
2007 विश्वकप फाइनल की वो 75 रन की पारी हो या newzealand में वो ऐतिहासिक टेस्ट मैच बचाती पारी, शायद क्रिकेट journalist तुम्हे भुला देंगे,लेकिन क्रिकेट के जानकारों के ज़ेहन में तुम हमेशा रहोगे।
तुम्हारी वो प्रेस कांफ्रेंस जिसमे तुमने कहा था की माही ने बैटिंग slow की, मैं होता तो मैच फॅसने ही न देता। आज भी तुम्हे कमेंटरी करते देखता हु तो BCCI के चाटुकारों ( संजू मंजू या आकाश चोपड़ा) के बीच तुम्हारी बेबाक राय सुन के मज़ा आता है। तुम्हारी वो ज़िद्द, सैनिको का सम्मान और देश के प्रति वो जज़्बा वाकई काबिल-ए-तारीफ है।
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