Friday, 22 February 2019

कहानी पूरी फिल्मी है !


ये कहानी पिंटू तिवारी की है। इसे कहानी कहना धोखा है क्यूंकि ये UPTU की एक क्लास में 60 बच्चों में से 50 की कहानी है लेकिन जो इसे यादगार बनाता है वो इस कहानी का अंत नहीं है, happy ending नहीं हुई है लेकिन सफर, वो journey, जो मिर्ज़ापुर के पिंटू ने तय की है वो शायद कहानियों में ही मिलती है।
बात उस समय की है जब UPTU की काउंसलिंग सिर्फ लखनऊ में होती थी। पिंटू तिवारी UPTU AIR ५०,००० काउंसलिंग attend करने लखनऊ आये थे। मिर्ज़ापुर तो डिस्ट्रिक्ट था,रहते तो चुनार में थे। पहली बार लखनऊ आये तो ऐसा लगा की साला ये तो बड़े शहर में आ गए। किसी दूर के रिश्तेदार के यहाँ रुके थे और अगले सुबह Polytechnic पहुंचे इस उम्मीद में की HBTI कानपूर या KNIT सुल्तानपुर मिल गया तो सीधी ट्रैन है, आराम से चले जाएंगे। लेकिन कैसा है न की जो भी काउंसलिंग में आता था उस समय, वो यही दो कॉलेज के नाम जानता था और पता नहीं क्यों कंप्यूटर की स्क्रीन में ये option 'Not Available' दीखते थे। खैर फिर सोचा की घर से दूर कोई कॉलेज ले लेते हैं, कम से कम aiyyashhi ही कर लेंगे और पहुँच गए पश्चिमी उत्तर प्रदेश के एक 'पढ़ाई के अलावा बाकी सब चीज़ों में नामी ' कॉलेज में। ये उन दिनों की बात है जब हर कोई या तो इलेक्ट्रॉनिक्स ब्रांच लेता था और या Biotech क्यूंकि बूम तो भैया वहीँ आने वाला था।
कॉलेज में काबिल टीचर्स की भरमार, नया नया ऑरकुट का प्यार और उसपे इंग्लिश भाषा में ऐसी पकड़ की 'Tell me about Yourself ' में ही सारी अंग्रेजी समाप्त हो जाती थी तो लाज़मी था की जैसे तैसे इंजीनियरिंग पूरी हुई। ऐसा नहीं होता है की छोटे शहर के हिंदी मध्यम वालों को answer नहीं पता होता है, लेकिन समाज में अंग्रेजी को इतनी ज्यादा अहमियत प्राप्त है की हिंदी बोलना एक कमज़ोरी एवं शर्म का प्रतिक समझा जाता है। वो टीचर्स जिनके लिए मार्क्स लाना ही काबिलियत का परिचायक है, उनके लिए पिंटू तिवारी विफलता की केस study था। अगर पिंटू कोई Stock होता तो वो सारे टीचर उसके भविष्य पे SELL कॉल देके रखते। ऐसा नहीं था की वो गलत होते एकदम - पढ़ाई में एवरेज, इलेक्ट्रॉनिक्स जैसी ब्रांच जिसमे कोर जॉब्स मिलना ऐसा है जैसे मंगल में soulmate और अंग्रेजी में हाथ तंग तो कोई भी ऐसा ही सोचता लेकिन क्या है न कि आप कहाँ पहुंचोगे ये सिर्फ आप तय करते हो और आपकी 'risk appetite' और जिनके पास खोने के लिए ज्यादा कुछ नहीं होता उनके पास पाने के लिए पूरा आसमान होता है। इससे आगे की कहानी मै आपको नहीं बताऊंगा की कैसे वो यहाँ पहुंचा क्यूंकि हर किसी का सफर अलग है लेकिन ज़रूरी ये है की ऐसे बहुत से लोग जो पिंटू से पढ़ाई में बहुत अच्छे थे, फर्राटेदार अंग्रेजी भी बोलते थे और Apti भी अच्छी थी सुना है उसी कॉलेज में प्रोफेसर हैं और वो प्रोफेसर जो पिंटू को कोसते रहते थे आज फेसबुक में उसके check -ins देख के रोटी पानी के साथ लीलते हैं। ये कहानी पूरी नहीं लिख रहा हू क्यूंकि इसके आगे की आपको अपनी खुद लिखनी है। उम्मीद है अच्छी लिखेंगे ........

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