Friday, 22 February 2019

train

"पिंटू कहाँ है ?"
"खाना खा रहा है "
"8 बजे तो खाना खा रहा था मेरे साथ मेस में "
" जानते हो भुक्कड़ है, 9:30 बजे फिर भूखा हो गया"
" 10:30 की ट्रैन है, कब निकलेंगे "
"10:10 पे बाबा बाइक से छोड़ देगा"
"सालों, ५ लोग एक बाइक से कैसे जाएंगे और 2 ही बर्थ है कन्फर्म, 1 की RAC है, १ गधे की वेटिंग है और एक साला रेलवे की औलाद, खुद फ्री में आ रहा है और अपनी छमिया को बोला है की तुमको भी adjust कर लेंगे"
"हम जाते ही सो जाएंगे, उठेंगे ही नहीं जब तक गाडी पनकी स्टेशन नहीं पहुँचती"
" बिहारी को बोल दो , हम Capstan सिगरेट नहीं पीते, बड़ी गोल्डफ्लेके रख लेगा, बाथरूम में पी लेंगे, कंजर आदमी है "
" आशु को पूछ लेना पत्ते रखा है की नहीं, माता का जगराता है आज, दहला पकड़ खेलेंगे "
" Old Monk रख लिए हैं हम"
" अबे घोड़े हो क्या, इतनी गर्मी में old monk पिएंगे "
"तुम न पीना, ज़बरदस्ती थोड़े है"
"ठीक है, रख लिए हो तो पी लेंगे"
" देखो ज़रा पिंटू का खाना हुआ की नहीं, मेस workers का खाना भी खा के उठेगा ये अब"
" जल्दी चलो बे, PNR में देखना होता है की कौन सी लड़की किस बोगी में अकेले travel कर रही है"
" अबे अब रेलवे ने चार्ट लगाना बंद कर दिया है, तुम्हारे ठरकी पने के वजह से "
" बड़ा नुकसान हो गया बे"
" हाँ तुम तो तोह DDLJ के हीरो हो न, सिमरन ढूंढ़ ही लेते "
" अच्छा सुनो, हम upper बर्थ में सोयेंगे, Tundla स्टेशन में जगा देना, छोले-भठूरे खाने हैं"
" साला अभी हौंक के आया है और फिर खाने की चिंता, आदमी हो या राक्षस, ईंट -मौरंग खाना शुरू करो तुम अब, वो भी पचा लोगे तुम पिंटू "
"अख़बार रखे हो ?"
" अख़बार लगवाया ही नहीं है, पिछले सेमेस्टर की Thermodynamics की किताब रख लिए हैं, पेज फाड़ के रख लेना नीचे, syllabus बदल गया है तो अब बिक भी नहीं रही है"
" पता नहीं कहाँ से भूखे नंगे आ गए हैं, कोई और कॉलेज नहीं मिला था काउंसलिंग में तुम सालों को "
" तुम्ही IIT चले जाते, कानपूर के कानपूर में रहते, लेकिन उखड़ा तुमसे कुछ, जनरल में तो डेढ़ लाख रैंक आयी थी "
" चलो अच्छा मुँह न लगो, निकलो जल्दी "
" यही दिन देखना बचा है की तुमसे मुँह लगे"
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मोबाइल की घंटी बजी और नींद खुल गयी
एयरपोर्ट के lounge में बैठा हू, सामने लैपटॉप खुला है, Powerpoint में कुछ चार्ट बना है, सामने orange जूस और एक थाली में कुछ high figh सा नाश्ता है, जो घर में नहीं खाता हु वो एयरपोर्ट के lounge में क्रेडिट कार्ड से खा लेता हू।
अकेला बैठा हू , चारों ओर सब अजनबी हैं, सिगरेट छोड़ दी है, दारु कम कर दी है। अब तो छींक भी इंग्लिश में आती है और ऐसी फर्राटेदार इंग्लिश में client presentation देता हु की client सन्न रह जाता है ।
मोबाइल में एक इंजीनियरिंग वाला whatsapp ग्रुप है जिसमे जोक्स आते रहते हैं। touch में हैं लेकिन सबकी ज़िंदगी में इतना सब कुछ बदल गया है की कोई कहानी सुना ही नहीं सकते , सबकी कहानियों में किरदार बदले हुए हैं। बस पूछ लेते हैं "कैसे हो?" और सब कह देते हैं "ठीक हैं"
boarding शुरू होने का time हो गया है और हमारा confirm टिकट है, window सीट का। ट्रैन में तो window सीट (lower बर्थ ) मिलती नहीं थी, यहीं शौक पूरा कर लेते हैं।
जब वहां था तब ऐसी ज़िंदगी चाहता था, आज यहाँ हू, तो वो ज़िंदगी बहुत मिस करता हू |
कहानी में आप जहाँ पर भी हो , जी लो, ये one -way ट्रैन है, वापिस नहीं आएगी और चढ़ना तो पड़ेगा ही क्यूंकि इस ट्रैन का नाम है 'वक्त' |

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