Friday, 22 February 2019

train

"पिंटू कहाँ है ?"
"खाना खा रहा है "
"8 बजे तो खाना खा रहा था मेरे साथ मेस में "
" जानते हो भुक्कड़ है, 9:30 बजे फिर भूखा हो गया"
" 10:30 की ट्रैन है, कब निकलेंगे "
"10:10 पे बाबा बाइक से छोड़ देगा"
"सालों, ५ लोग एक बाइक से कैसे जाएंगे और 2 ही बर्थ है कन्फर्म, 1 की RAC है, १ गधे की वेटिंग है और एक साला रेलवे की औलाद, खुद फ्री में आ रहा है और अपनी छमिया को बोला है की तुमको भी adjust कर लेंगे"
"हम जाते ही सो जाएंगे, उठेंगे ही नहीं जब तक गाडी पनकी स्टेशन नहीं पहुँचती"
" बिहारी को बोल दो , हम Capstan सिगरेट नहीं पीते, बड़ी गोल्डफ्लेके रख लेगा, बाथरूम में पी लेंगे, कंजर आदमी है "
" आशु को पूछ लेना पत्ते रखा है की नहीं, माता का जगराता है आज, दहला पकड़ खेलेंगे "
" Old Monk रख लिए हैं हम"
" अबे घोड़े हो क्या, इतनी गर्मी में old monk पिएंगे "
"तुम न पीना, ज़बरदस्ती थोड़े है"
"ठीक है, रख लिए हो तो पी लेंगे"
" देखो ज़रा पिंटू का खाना हुआ की नहीं, मेस workers का खाना भी खा के उठेगा ये अब"
" जल्दी चलो बे, PNR में देखना होता है की कौन सी लड़की किस बोगी में अकेले travel कर रही है"
" अबे अब रेलवे ने चार्ट लगाना बंद कर दिया है, तुम्हारे ठरकी पने के वजह से "
" बड़ा नुकसान हो गया बे"
" हाँ तुम तो तोह DDLJ के हीरो हो न, सिमरन ढूंढ़ ही लेते "
" अच्छा सुनो, हम upper बर्थ में सोयेंगे, Tundla स्टेशन में जगा देना, छोले-भठूरे खाने हैं"
" साला अभी हौंक के आया है और फिर खाने की चिंता, आदमी हो या राक्षस, ईंट -मौरंग खाना शुरू करो तुम अब, वो भी पचा लोगे तुम पिंटू "
"अख़बार रखे हो ?"
" अख़बार लगवाया ही नहीं है, पिछले सेमेस्टर की Thermodynamics की किताब रख लिए हैं, पेज फाड़ के रख लेना नीचे, syllabus बदल गया है तो अब बिक भी नहीं रही है"
" पता नहीं कहाँ से भूखे नंगे आ गए हैं, कोई और कॉलेज नहीं मिला था काउंसलिंग में तुम सालों को "
" तुम्ही IIT चले जाते, कानपूर के कानपूर में रहते, लेकिन उखड़ा तुमसे कुछ, जनरल में तो डेढ़ लाख रैंक आयी थी "
" चलो अच्छा मुँह न लगो, निकलो जल्दी "
" यही दिन देखना बचा है की तुमसे मुँह लगे"
_______________
मोबाइल की घंटी बजी और नींद खुल गयी
एयरपोर्ट के lounge में बैठा हू, सामने लैपटॉप खुला है, Powerpoint में कुछ चार्ट बना है, सामने orange जूस और एक थाली में कुछ high figh सा नाश्ता है, जो घर में नहीं खाता हु वो एयरपोर्ट के lounge में क्रेडिट कार्ड से खा लेता हू।
अकेला बैठा हू , चारों ओर सब अजनबी हैं, सिगरेट छोड़ दी है, दारु कम कर दी है। अब तो छींक भी इंग्लिश में आती है और ऐसी फर्राटेदार इंग्लिश में client presentation देता हु की client सन्न रह जाता है ।
मोबाइल में एक इंजीनियरिंग वाला whatsapp ग्रुप है जिसमे जोक्स आते रहते हैं। touch में हैं लेकिन सबकी ज़िंदगी में इतना सब कुछ बदल गया है की कोई कहानी सुना ही नहीं सकते , सबकी कहानियों में किरदार बदले हुए हैं। बस पूछ लेते हैं "कैसे हो?" और सब कह देते हैं "ठीक हैं"
boarding शुरू होने का time हो गया है और हमारा confirm टिकट है, window सीट का। ट्रैन में तो window सीट (lower बर्थ ) मिलती नहीं थी, यहीं शौक पूरा कर लेते हैं।
जब वहां था तब ऐसी ज़िंदगी चाहता था, आज यहाँ हू, तो वो ज़िंदगी बहुत मिस करता हू |
कहानी में आप जहाँ पर भी हो , जी लो, ये one -way ट्रैन है, वापिस नहीं आएगी और चढ़ना तो पड़ेगा ही क्यूंकि इस ट्रैन का नाम है 'वक्त' |

बहुत बहुत मुबारक अगर आज कम नंबर आये हैं


सीबीएसई की बारहवीं के रिजल्ट आ गए हैं और अगर आज घर पे आपकी तेरहवीं मन रही है तो बहुत बहुत मुबारक।
क्या सोच रहे हो , रिश्तेदारों की तरह पेज एडमिन भी मज़ाक उड़ा रहा है , नहीं भाई , देखो ज्यादातर पता तो था ही तुम्हे की क्या आनेवाला है, किसी को बोलते नहीं थे लेकिन अंदर ही अंदर अंदाज़ा तो रहता ही है, हाँ कुछ दिन acting करो रोने धोने की, career discuss करो मामा के लड़कों से , एक दो टाइम dinner भी skip कर देना , लेकिन जब अकेले होना तो जी भर के खुद को शाबाशी देना , आसान थोड़े है सीबीएसई में कम नंबर लाना , खाली कॉपी भी छोड़ दो तो 33 दे देते हैं और कहीं पैर से लिख आओ तो भी 75% आ जाते हैं , इसलिए बहुत मेहनत और लगन से लाए हो ये मार्क्स।
खुश इसलिए होना कि अब कोई नहीं कहेगा टॉप करने को , टॉप करना दूर पास हो जाओगे न, तो भी तारीफ होगी , benchmark कोहली का बनाते तो तुलना भी मोहल्ले के सचिन से होगी, आज जब रविन्द्र जडेजा बन ही गए हो तो फिर क्या डरना , यहाँ से अच्छा ही करोगे , कोई IIT जाने के लिए नहीं बोलेगा , UPTU आ जाओ, बुरा है लेकिन अब हर कोई IIT में ही तो नहीं जा सकता , Resnic Halliday और HC वर्मा के बाहर भी एक दुनिया है , आओ इंजीनियरिंग करने , मज़ा आएगा, UPTU आ रहे हो तो और भी अच्छा है , ठोकर लगेगी, फिर खड़े होना , फिर लगेगी , फिर खड़े होंगे , फिर जब ;लगेगी तब तक आदत लग गई होगी, उठने में दर्द कम होगा, expectation word आज चला गया है , यहाँ से जो करोगे अपने लिए करोगे , अब तुमने साबित कर ही दिया है की PCM नहीं आती है तो क्यों न NIFT try करो - अपने अमेठी में खुल गया है, होटल मैनेजमेंट करो , Law के एक से एक integrated प्रोग्राम्स हैं, filmmaking करो, कुछ भी करो , अभी भी नहीं समझ रहा है की क्या करो तो कोटा जाओ और कोचिंग करो....12th पास लोगों का हरिद्वार है वो!
यकीं मानो आज ये पढ़ के लगेगा की क्या romantic writer है , यहाँ साल बर्बाद होता दिख रहा है और ये struggle में रोमांस ढूंढ रहा है, पांच साल बाद दिल्ली, मुंबई या बैंगलोर में जब सुनोगे की CBSE का 12th का रिजल्ट आया है सोचोगे की वो सही ही कहता था..........
Welcome to a new Life..... 

happy birthday daada

फ़र्ज़ कीजिये की आप टीम lead हैं, एक बहुत बड़ा प्रोजेक्ट sucessfully deliver हो गया है, कंपनी के MD ने पार्टी रखी है, आप उस पार्टी में अपनी बेटी के साथ जाते हो और जब Group फोटो के लिए बुलाया जाता है तो आप अपनी बेटी के साथ खेलने में व्यस्त हो, बस formality के लिए खड़े हो जाते हो। जब आपसे कोई पूछता है की सारे बड़े प्रोजेक्ट्स जीत लिए अब आगे क्या करोगे और आप बस यूँही बोल देते हो की एक बार और जीत लेंगे। जब कोई पूछता है की requirement gathering के लिए इतने बड़े client के सामने एक fresher को भेज दिया तो आप कहते हो की आप बस client का rhythm बिगाड़ रहे थे। ये सब हम में से कोई नहीं कर सकता क्यूंकि हमारी रेटिंग affect होगी लेकिन एक आदमी है जिसको पूरा देश rate करता है और उसको घंटा फ़र्क़ ही नहीं पड़ता। माही का फैन होना बहुत सरल है, माही होना बहुत मुश्किल। आपको किसी चीज़ के प्रति passionate भी होना है और मिलने के बाद उसे जाने भी देना है। वो umbilical cord जिससे आप किसी चीज़ से जुड़े हो, मिलते ही काट देनी है क्यूंकि यही एक Leader का कर्त्तव्य है। आपको पता है आपके हर टीम member की कमियां और उसकी खूबियाँ , उनकी vulnerabilities और उनकी strengths। आपको ये सब इसलिए नहीं पता है क्यूंकि आप brilliant हो पर क्यूंकि ये संघर्ष देखा है आपने, ऑफ-campus में apti , GD -PI , Interview के सवाल , जॉब का शोषण, दिवाली की छुट्टी का struggle , प्रमोशन की चमचागिरी और client की गालियां सब देखी है और शायद इसीलिए अपने टीम वालों को सबसे बचाते हो। ये किसी श्रीनिवासन की चमचागिरी करते हैं जिससे किसी विराट को फिर न करनी पड़े। ऐसा नहीं है की सब ख़राब ही मिले इन्हे, हर माही के पीछे कोई गांगुली मौजूद था। ये महज इत्तेफ़ाक़ नहीं है की माही के जन्मदिन के अगले दिन गांगुली का जन्मदिन है। बहुत सारे माही आपके आसपास हैं, सभी को धन्यवाद !

कहानी पूरी फिल्मी है !


ये कहानी पिंटू तिवारी की है। इसे कहानी कहना धोखा है क्यूंकि ये UPTU की एक क्लास में 60 बच्चों में से 50 की कहानी है लेकिन जो इसे यादगार बनाता है वो इस कहानी का अंत नहीं है, happy ending नहीं हुई है लेकिन सफर, वो journey, जो मिर्ज़ापुर के पिंटू ने तय की है वो शायद कहानियों में ही मिलती है।
बात उस समय की है जब UPTU की काउंसलिंग सिर्फ लखनऊ में होती थी। पिंटू तिवारी UPTU AIR ५०,००० काउंसलिंग attend करने लखनऊ आये थे। मिर्ज़ापुर तो डिस्ट्रिक्ट था,रहते तो चुनार में थे। पहली बार लखनऊ आये तो ऐसा लगा की साला ये तो बड़े शहर में आ गए। किसी दूर के रिश्तेदार के यहाँ रुके थे और अगले सुबह Polytechnic पहुंचे इस उम्मीद में की HBTI कानपूर या KNIT सुल्तानपुर मिल गया तो सीधी ट्रैन है, आराम से चले जाएंगे। लेकिन कैसा है न की जो भी काउंसलिंग में आता था उस समय, वो यही दो कॉलेज के नाम जानता था और पता नहीं क्यों कंप्यूटर की स्क्रीन में ये option 'Not Available' दीखते थे। खैर फिर सोचा की घर से दूर कोई कॉलेज ले लेते हैं, कम से कम aiyyashhi ही कर लेंगे और पहुँच गए पश्चिमी उत्तर प्रदेश के एक 'पढ़ाई के अलावा बाकी सब चीज़ों में नामी ' कॉलेज में। ये उन दिनों की बात है जब हर कोई या तो इलेक्ट्रॉनिक्स ब्रांच लेता था और या Biotech क्यूंकि बूम तो भैया वहीँ आने वाला था।
कॉलेज में काबिल टीचर्स की भरमार, नया नया ऑरकुट का प्यार और उसपे इंग्लिश भाषा में ऐसी पकड़ की 'Tell me about Yourself ' में ही सारी अंग्रेजी समाप्त हो जाती थी तो लाज़मी था की जैसे तैसे इंजीनियरिंग पूरी हुई। ऐसा नहीं होता है की छोटे शहर के हिंदी मध्यम वालों को answer नहीं पता होता है, लेकिन समाज में अंग्रेजी को इतनी ज्यादा अहमियत प्राप्त है की हिंदी बोलना एक कमज़ोरी एवं शर्म का प्रतिक समझा जाता है। वो टीचर्स जिनके लिए मार्क्स लाना ही काबिलियत का परिचायक है, उनके लिए पिंटू तिवारी विफलता की केस study था। अगर पिंटू कोई Stock होता तो वो सारे टीचर उसके भविष्य पे SELL कॉल देके रखते। ऐसा नहीं था की वो गलत होते एकदम - पढ़ाई में एवरेज, इलेक्ट्रॉनिक्स जैसी ब्रांच जिसमे कोर जॉब्स मिलना ऐसा है जैसे मंगल में soulmate और अंग्रेजी में हाथ तंग तो कोई भी ऐसा ही सोचता लेकिन क्या है न कि आप कहाँ पहुंचोगे ये सिर्फ आप तय करते हो और आपकी 'risk appetite' और जिनके पास खोने के लिए ज्यादा कुछ नहीं होता उनके पास पाने के लिए पूरा आसमान होता है। इससे आगे की कहानी मै आपको नहीं बताऊंगा की कैसे वो यहाँ पहुंचा क्यूंकि हर किसी का सफर अलग है लेकिन ज़रूरी ये है की ऐसे बहुत से लोग जो पिंटू से पढ़ाई में बहुत अच्छे थे, फर्राटेदार अंग्रेजी भी बोलते थे और Apti भी अच्छी थी सुना है उसी कॉलेज में प्रोफेसर हैं और वो प्रोफेसर जो पिंटू को कोसते रहते थे आज फेसबुक में उसके check -ins देख के रोटी पानी के साथ लीलते हैं। ये कहानी पूरी नहीं लिख रहा हू क्यूंकि इसके आगे की आपको अपनी खुद लिखनी है। उम्मीद है अच्छी लिखेंगे ........

Well Played Gautam Gambhir

हमारी क्लास में कुछ लड़के होते हैं जो topper नहीं होते लेकिन उनके मार्क्स हमेशा अच्छे आते है, उनको कॉलेज के बहुत से लोग न जानते हो लेकिन जो जानते हैं, वो मानते है। वही बंदा गौतम गंभीर होता है. जिसने भी कभी क्रिकेट खेला है, वो जानता है की उस दिन धोनी से अच्छी पारी गौती ने खेली थी लेकिन 91 नाबाद अमर हो गया और 97 पे आउट होना कालचक्र में कहीं लुप्त हो गया। लोग भूल गए जब महज २५ रन पे दो विकेट निपट गए थे, कैसे तुमने सिंगल लेले कर मैच बनाया था, दूसरे छोर पे खड़े हुए जब सचिन को वापिस जाते देखा होगा और वो स्टेडियम में पसरा सन्नाटा महसूस किया होगा, कितना कठिन पल रहा होगा। लोग भूल गए जब तुमने दिलशान, मुरली, मलिंगा की एक एक गेंद को 'on -merit' खेला था। लोग भूल गए जब एक एक सिंगल के लिए तुमने उस दिन लम्बी लम्बी dive मारी थी। तुम्हारे भी ज़ेहन में एक बार तो 2003 फाइनल आया होगा, लेकिन उस दिन इतने बड़े मंच पे इतनी बड़ी ज़िम्मेदार पारी खेलने के लिए धन्यवाद। हम सबको वो स्मृति देने के लिए हम सब भारत वासी तहे दिल से शुक्रगुज़ार हैं।
2007 विश्वकप फाइनल की वो 75 रन की पारी हो या newzealand में वो ऐतिहासिक टेस्ट मैच बचाती पारी, शायद क्रिकेट journalist तुम्हे भुला देंगे,लेकिन क्रिकेट के जानकारों के ज़ेहन में तुम हमेशा रहोगे।
तुम्हारी वो प्रेस कांफ्रेंस जिसमे तुमने कहा था की माही ने बैटिंग slow की, मैं होता तो मैच फॅसने ही न देता। आज भी तुम्हे कमेंटरी करते देखता हु तो BCCI के चाटुकारों ( संजू मंजू या आकाश चोपड़ा) के बीच तुम्हारी बेबाक राय सुन के मज़ा आता है। तुम्हारी वो ज़िद्द, सैनिको का सम्मान और देश के प्रति वो जज़्बा वाकई काबिल-ए-तारीफ है। 

December ka mahina

"भीगा -2 सा ये दिसंबर है , ये दिसंबर का सर्द मौसम है" राहुल की आज भी हेलो tune यही रहती थी हर साल दिसंबर के महीने में। कुछ रिश्ता ही ऐसा था जो सर्दी,गाने और तन्हाई आज भी ऐसा x ,y ,z axis वाला 3-D coordinate system बनाते थे जिसका resultant vector 'प्रिया' ही बन जाता था।
ये कुल्फी की तरह ज़माने वाली सर्दी तो राहुल काट भी लेता पर कम्भख्त प्रिया की वो यादें जो ज़ेहन में जम जाती थी उनका क्या करता , वो तो बस हर साल किसी DVD की तरह सिर्फ rewind -play ही होती थी। कहते हैं कंप्यूटर की memory से data delete कभी नहीं होता ,सिर्फ memory location के coordinates delete होते हैं , अगर कंप्यूटर की memory इतनी वफादार थी तो राहुल का तो फिर वो सच्चा प्यार थी।
वो प्यार जो इंजीनियरिंग में तबसे हिलोरे ले रहा था जब इंजीनियरिंग में हम रोज़ नहाते थे या शायद तबसे जब हम रोज़ कॉलेज जाते थे मतलब शायद Freshers पार्टी से भी पहले से। कोहरे में जब visibility कम हो जाती है तो हॉस्टल से आने वाली लड़कियों में "अपनी वाली' पहचानना किसी specialization से कम नहीं होता,वैसे में scarf ,मफलर ,दुपट्टा या बंदी के silhouette से पहचानना 'विज्ञानं' नहीं 'कला' थी। ये कला किसी बाजार में नहीं बिकती ,इसे develop करना पड़ता है। खैर जैसे तैसे करके 'प्रिया का पिया' बनने का जो सपना देखा था , उसको पूरा करने के लिए हॉस्टल से कैंटीन तक ,कैंटीन से लैब तक और लैब से पार्किंग तक उसको ताड़ने की 'opportunity' create करना उसे चाहे 'इत्तेफ़ाक़' लगता रहा हो पर था वो 'हुनर' ।चार साल ये हुनर ऐसे develop किया था की प्लेसमेंट में CV का career objective इसी को लिख सकते थे और area ऑफ़ स्पेशलाइजेशन 'प्रिया' को। प्रिया से राहुल के bond बनने की chance उतनी ही थी जितनी किसी inert गैस के ionic bond बनाने की यानि tend towards zero ।
इंजीनियरिंग कॉलेज में किसी लड़की को Like करने का सबसे बड़ा नुकसान ये है की वो लड़की avoid करना चालू कर देती है और बाकी अपनी private क्लास से निकाल कर Void main में डाल देती हैं और लड़के वाकई में public objects बनकर रह जाते है जिन्हे कोई भी function कहीं से भी call करता है और कभी भी jump (), goto () या break कर देता है। वो original बंदी friend function के अंदर recursive loop लगा के बन्दे का clrscr () कर देती है।
राहुल बेचारा मोदी जी की बातों में आ गया था और सोचने लगा था की प्रिया उसके 'अच्छे दिन ' ला देगी लेकिन प्रिया ने उसकी ज़िंदगी में ऐसा रायता फैलाया की केजरीवाल की तरह राहुल की year बैक आ गयी। राहुल की हालत अब कांग्रेस के राहुल गांधी की तरह थी क्यूंकि अब वो उसका जूनियर हो गया था और प्रिया मोदी की तरह 'मिशन 9.2 CGPA' के सपने को साकार करके GMAT देकर अमेरिका का वीसा लगवाना चाह रही थी।पता नहीं क्यों 'प्यार का पंचनामा ' वाला Liquid का charecter राहुल की याद दिलाता था। पता नही शायद मैं ही pessimistic था और क्या पता राहुल PK मूवी का 'सरफ़राज़' था।
कहानी आगे लिखने का मन तो है लेकिन शायद ये कहानी आपको आपके किसी ख़ास दोस्त की कहानी जैसी लग रही हो और इसलिए मैं इसे आगे ले जाकर एक सुखद या दुखद अंत नही देना चाहता क्यूंकि हर कहानी सुनी नहीं जाती ,कुछ कहानिया जी जाती हैं , शायद आप खुद 'राहुल' हो या किसी राहुल के दोस्त हो क्यूंकि राहुल Proper Noun नहीं है ,ये तो Common Noun है।
क्या आप किसी ऐसे राहुल को जानते हैं या आपके क्लास में ऐसी कोई प्रिया पढ़ती है ?
ऐसा तो नहीं की वो 'राहुल' आईने में हो … सुना है आजकल राहुल की हेलो tune "किताबें बहुत सी पढ़ी होंगी तुमने,मगर कोई चेहरा भी तुमने पढ़ा है" है
Note: जल्द आ रहा है UPTU के students का one -stop -career -destination- Youtube-Channel, See Ya Soon !!!

नया साल तो बस हॉस्टल में होता था


वो भी क्या दिन थे जब 31 दिसम्बर की रात को कोई प्लान नहीं होता था क्यूंकि न जेब में पैसे होते थे और न शहर के डिस्क में stag एंट्री। होती थी तो बस कड़ाके की सर्दी , चार दोस्त, एक old monk और खूब सारे गानों पे बहुत सारा नाच । बस नाच , अच्छा या बुरा, न मायने रखता था न किसी को कोई फ़र्क़ पड़ता था दो पेग के बाद। फिर क्या हिंदी , अंग्रेजी और भोजपुरी गाने, सब माइकल जैक्सन नागिन डांस ही नाचते थे। बाहर खाने जाते थे तो किसी ढाबे पे जहाँ कढ़ाई चिकन और लच्छा परांठा मिलता हो । ये वो दिन थे जब चार बोतल वोडका, काम मेरा रोज का गाना नहीं motto था। रात भर दहला पकड़ होता था और बीच में सिगरेट से छल्ला बनाने का हुनर विकसित किया जाता था। आज कल के लौंडों की तरह टेबल बुक कराने जैसा मामला न था, न Zomato Gold जैसी कोई चीज़ थी लेकिन फिर भी सबसे अच्छी न्यू ईयर पार्टी तो कंगाली के दिनों में ही थी। आज मिल तो सब जाता है लेकिन रात के दो बजे तकिया के नीचे से निकाल के सुट्टा न मिलने पे दिसंबर की ठण्ड में बस स्टैंड तक बड़ी gold-flake लेने चलने वाला दोस्त नहीं मिलता। पूरा सिगरेट का डब्बा पर्स में है लेकिन पता नहीं उस चोरी की सिगरेट को पांच लोगों share करने पर मिलने वाली एक कश कैसे भारी पड़ती है।
ये वो दिन थे जब हफ़्तों बीत जाते थे बिना नहाये और deodorant भी उधार का होता था, नया साल तो बस हॉस्टल में होता था !
फ़ोन उठाओ और किसी दोस्त को बोलो Happy New Year, एडमिन भी दोस्त ही है वैसे !

Follow your Passion wali job

क्या वाकई में UPTU से इंजीनियरिंग करके Follow your Passion वाली नौकरी मिल सकती है।
"मैं कंप्यूटर साइंस का छात्र हू लेकिन मुझे coding में कोई interest नहीं है, क्या मै कुछ और कर सकता हू जैसे journalism या फोटोग्राफी। "
"UPTU में नौकरी तो लगती नहीं है, उसपे तुम्हे मनचाही नौकरी चाहिए, औकात में सोचो"
"GATE या CAT ही रास्ता है, और कोई चारा नहीं है, Core ब्रांच में तो कोई स्कोप ही नहीं है और Bank PO वाली अपनी Apti नहीं है"
"Final ईयर में आ गए और पता ही नहीं है की अपना passion किधर है"
लम्बी सांस लो, तीन बार, एक गिलास पानी पियो, खिड़की से बाहर देखो, हवा को महसूस करो और भरोसा रखो, भगवान से ज्यादा खुद पे क्यूंकि तुम पहले नहीं हो ये महसूस करने वाले और न आखिरी होगे, पीछे पलट के देखो, कितना रस्ता चल आये हो, कहाँ थे और यहाँ तक कैसे आये, सोच के देखो, सब कुछ unplanned ही था ना, फिर planning किस बात की कर रहे हो। जब कोई प्लान कभी नहीं चला तो आगे भी mostly नहीं चलेगा। प्लानिंग destination की करनी ही नहीं है, planning करनी है journey की, मंजिल जो भी हो, journey में struggle पक्का है, planning struggle की करनी है, प्लानिंग उन skill sets की करनी है जो journey में तुम्हे टूटने से बचाएंगे, यकीन मानो इंजीनियरिंग का पढ़ा कुछ काम नहीं आना है लेकिन इंजीनियरिंग में सीखी प्रेशर handling capability , team work , leadership, तुम्हारी नयी चीज़ जल्दी सीखने की quality , mail लिखना, Excel में चार्ट बनाने की छमता, अंग्रेजी भाषा में command, इंजीनियर की तरह problem solving attitude,चमचागिरी और गलत चीज़ें देखकर ethical होने की छमता ये सब काम आएगा।
जब इंजीनियरिंग में होंगे तो सोचोगे की बस कहीं नौकरी लग जाए, बाद में समझोगे की मनचाही नौकरी कितनी ज़रूरी है। नौकरी और मनचाही नौकरी में शायद तीन चार साल निकल गए होंगे, शायद तब भी नहीं समझा होगा की तुम किस चीज़ में वाकई passionate हो लेकिन ये समझ गए होंगे की किस्मे एकदम ही नहीं हो। ये पहला कदम होगा सही दिशा में। धक्के बहुत मिलेंगे, NIT और IIT वालों के सामने बेइज़्ज़ती भी होगी जब उन्हें precedence दी जाएगी, फिर आदत पड़ जाएगी और पता नहीं चलेगा की कब फ़र्क़ पड़ना बंद हो जाएगा। फिर एक दिन NIT और IIT वाले तुम्हे रिपोर्ट करेंगे और फिर भी तुम्हे फ़र्क़ नहीं पड़ेगा क्यूंकि एक लेवल के बाद emotion भी emotionless हो जाते हैं। ये वो समय होगा जब पैकेज के लिए काम नहीं करोगे, कुछ और मिलना चाहिए, ऐसी सोच होगी, भले दो पैसे कम मिले। मन करेगा सब कुछ छोड़ के अपने गाँव में गरीब बच्चों को पढ़ाऊँ, अपनी ज़रूरतें तो ज्यादा कभी थी ही नहीं, रह लेंगे लेकिन वो होम लोन और कार लोन वापिस जाने नहीं देंगे ।
ऑफिस में अपनी डेस्क से बाहर देखते हुए उस कबूतर को देखोगे जो हमेशा तुम्हारी खिड़की में ही बैठता है और सुट्टा मारते हुए सोचोगे की इसके पास पंख है, ये उड़ के कहीं भी जा सकता है लेकिन जाता क्यों नहीं और फिर सिगरेट बुझाते हुए मुस्कुराते हुए सोचोगे की ये बात तो तुमपे भी लागू होती है और वापिस सीट पे आके अपना कोड लिखने बैठोगे, लग जाओगे appraisal, deadline, onsite, जॉब switch की इस rat race में, एक दिन अपने कॉलेज के alumni group से मेल आएगा की कॉलेज में बुलाया है, Guest Lecture में बच्चों को मोटीवेट करने और वहां जा के तुम भी उन्हें 'Follow your Passion ' बोल के आओगे और उस दिन खूब हंसोगे और इतना हँसोगे की रोने लगोगे अपने इंजीनियरिंग के दोस्त से बात करते करते।
रणबीर कपूर की फिल्मे देखते हुए सोचोगे की follow your पैशन शायद एक myth है लेकिन तुम्हारे क्लास का एक लड़का जो पढ़ने में ठीक ठाक था आज एक बड़े ऑनलाइन न्यूज़ वेबसाइट में क्रिकेट और फिल्म review करता है उसको देख के एक बार को ख्याल आएगा की शायद वो सब myth नहीं था बस एक कदम उठाना था जिसकी शायद हिम्मत नहीं जुटा पाया मै।
तब समझोगे की UPTU का उस Passion वालीं नौकरी से तो कोई लेना देना कभी था ही नहीं , उसका लेना देना सिर्फ तुमसे है।