आज कल हर चीज़ relative हो गयी है। physics में relative velocity के concept जैसी …… यहाँ तक की breakup भी
काफी समय से कोशिश करने के बाद भी जब लगा की अब नहीं हो पा रहा है तो एक दिन "'Its over" बोल दिया। सोचा था ये ऐसा होगा की जैसे desktop से Shift -delete करने जैसा। पूरी file एक बार में गायब , ना सुराग , ना सबूत।
लेकिन ऐसा था नहीं , आज कल की ज़िंदगी में breakup absolute नहीं रह गए , वो relative हो गए है। आप शहर बदल सकते हो , नौकरी बदल सकते हो लेकिन वो जाते नहीं , फेसबुक से उनको तो unfriend कर सकते हो लेकिन क्लास के 58 mutual friends की वजह से वो timeline में आ ही जाते हैं | आप reference फ्रेम बदल सकते है , force के component नहीं.
Whatsapp group हो या instagram ना चाहते हुए भी आपको उनका हर टैग आ ही जाता है , मैंने शहर बदल लिया , नौकरी बदल ली , number तक बदल लिया लेकिन कुछ फाइल्स Operating system ही corrupt कर देती है और अगर system format भी कर दो तो कुछ नीछ दोस्त बैकअप लेकर घूमते रहते हैं , तुरंत CD लगा के फिर upload कर देते हैं , दारु शायद आज के युग की time मशीन है। पीते ही फिर उसी दौर में पहुँच जाते हैं जहाँ आज भी आतिफ और मै साथ साथ गाते है , " गुलाबी आँखें जो तेरी देखी , शराबी ये दिल हो गया ". आज भी उस अनजान शहर की गलियों में उसको ढूंढता मैं और भगवान की की तरह प्रकट होती वो याद है , उसका चेहरा अब ज़ेहन में धुंधला गया है कुछ वैसे ही जैसे 19 का पहाड़ा , धुन में गाऊंगा तो शायद आज भी याद आ जाए
Breakup एक शब्द नहीं है , एक जज़्बात है , एक पूरा वक़्त है , मेरा एक हिस्सा है , break up, velocity की तरह relative होते हैं . "its over " और "I finally moved on" में एक बहुत लम्बा वक़्त होता है . बहुत लम्बा।
कुछ घाव वक़्त नहीं भर पाता , बस उनके साथ रहने की आदत डाल देता है