Sunday, 31 August 2014

who are you ..???


You’re an original, an individual, a masterpiece. Celebrate it!

Don't change yourself and don't let your uniqueness make you shy. Don't try to be someone else.. Just be like you.. the way you are.. the way you live...the way you talk...the way you smile..the way you laugh..never think and spoil your mood on what others are saying about you.. let them be..

Everyone has their own dreams, their own struggles, and a different path that makes sense for them.

You just live your life at fullest and try to find happiness in every small thing, action you do in a minute...

humeshaa mast raho..happy raho.. the ultimate way to live in this world..

Keep Smile..

Saturday, 30 August 2014

दूसरों को लिए खुद को न बदलें I

मेढक को अगर पानी से भरे बर्तन में रख कर गर्म करना शुरू किया जाए तो एक रोचक और दिमाग को झकझोर देने वाला मंज़र देखने को मिलेगा I जैसे जैसे पानी का तापमान बढ़ेगा मेढक उस तापमान के हिसाब से अपना शरीर समायोजित करने लगेगा I पानी के क्वथनांक में आ जाने तक ऐसा चलता रहेगा I मेढक अपनी सारी उर्जा पानी के तापमान से अपने शरीर को समायोजित करने में लगा देगा ------

पर जैसे ही पानी अपने क्वथनांक (बोइलिंग पॉइंट) में आयेगा, मेढक अपने शरीर को उसके अनुसार समायोजित नहीं कर सकेगा और वो पानी से बाहर आने की कोशिश करेगा, पर अब ये संभव नहीं है ----

क्यूँ ?

क्यूंकि मेढक ने अपनी छलाँग लगाने की क्षमता के बावजूद उसने सारी ऊर्जा वातावरण के साथ समायोजन स्थापित करने में खर्च कर दी I वो पानी से बाहर नहीं आ पायेगा और मारा जायेगा I

पर मेढक को मारता कौन है ?
उबला हुआ पानी ?????????

नहीं !!

मेढक को मार देती है उसकी असमर्थता या कह लीजिये निर्णय लेने की अक्षमता कि पानी से बाहर आने के लिये कब छलांग लगानी है I इसी तरह हम भी अपने आसपास के वातावरण और लोगो के साथ सामंजस्य बना के चलते रहते हैं और कभी कभी ये सामंजस्य हम पर ही भारी पड जाता है, जब लोग ये समझना शुरू कर देते हैं के हम कुछ भी करे ये तो एडजेस्ट कर ही लेगा और हमारी भी आदत हो ही जाती है I धीरे धीरे हम प्रतिरोध करना भी बंद कर देते हैं, या फिर यूँ कहे की हमारी प्रतिरोधात्मक क्षमता खतम हो जाती है I
सब के जीवन में कोई न कोई ऐसा होता है, जिसके लिए हम लगातार खुद के साथ सामंजस्य बनाते रहते हैं । स्वभावतः ये हमें अच्छा नहीं लगता पर कोई न कोई मजबूरी हमें ऐसा करते रहने के लिए प्रेरित करती रहती है और हम अपनी सारी उर्जा इसी में खर्च करते रहते हैं पर जब पानी अपने क्वथनांक (बोइलिंग पॉइंट) में आता है तब हमारे पास बाहर निकलने की क्षमता नहीं रह जाती, और हमारी हालत उसी मेढक की भाँती हो जाती है जो पानी के तापमान के साथ खुद को एड्जस्ट करता रहता है......

पर इसका उपाय है

हमारे द्वारा लिया गया एक दृढ़ निर्णय की ऐसी परिस्थिति और लोगो से कब और कैसे दूर जाना है.....

• जो आपकी मानसिक शांति भंग करे, उसको अपनी
जिंदगी से तुरंत बाहर करें I
• दूसरों को लिए खुद को न बदलें I
• किसी और की पसंद के लिए अपनी पसंद की
तिलांजलि मत दें I
• सामंजस्य बनाने की आदत लग ही गयी है तो अपने
परिवार के साथ बनाये।